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केरल विधानसभा में विपक्षी दलों ने रोका राज्यपाल का रास्ता, दिखाए ‘वापस जाओ’ के प्लेकार्ड

कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने केरल में आज राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान का रास्ता रोक लिया।...
केरल विधानसभा में विपक्षी दलों ने रोका राज्यपाल का रास्ता, दिखाए ‘वापस जाओ’ के प्लेकार्ड

कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने केरल में आज राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान का रास्ता रोक लिया। राज्यपाल मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन के निमंत्रण पर विधानसभा में संबोधन के लिए जा रहे थे। विपक्षी दल ने न सिर्फ आरिफ मोहम्मद खान का रास्ता रोका बल्कि ‘वापस जाओ’ के नारे लिखे प्लाकार्ड भी प्रदर्शन करीब 10 मिनट तक चला। बाद में मार्शलों ने बल प्रयोग कर विपक्षी सदस्यों को हटा कर राज्यपाल के लिए अंदर जाने का रास्ता बनाया।

पहले विरोध फिर धरना

हालांकि मुख्यमंत्री और अध्यक्ष ने बार-बार आंदोलनकारी विपक्षी सदस्यों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने और सीएए के विरोध में और इस कानून के समर्थन में खड़े खान के खिलाफ नारे लगाते रहे।

राज्यपाल के आसन तक पहुंचते ही राष्ट्रगान बजाया गया। उस दौरान भी विपक्ष के सदस्य आसन के पास इकट्ठा हो गए। जैसे ही राष्ट्रगान पूरा हुआ, विपक्षी सदस्यों ने ‘राज्यपाल वापस जाओ’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। राज्यपाल के संबोधन शुरू करते ही विपक्षी सदस्य नारे लगाते हुए असेंबली हॉल से बाहर चले गए। अभिभाषण का बहिष्कार करने के बाद विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा गेट पर धरना दिया।

सीएए को लेकर पहले भी हो चुकी है रार

सीएए को लेकर केरल विधानसभा और राज्यपाल के बीच मतभेद खत्म नहीं हो रहे हैं। इस घटना से पहले भी केरल सरकार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है। राज्य सरकार ने इस कदम की जानकारी राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को नहीं दी थी। इसके बाद राज्यपाल ने बहुत सख्त लहजे में राज्य सरकार से पूछा था कि आखिर राज्यपाल दफ्तर को इस बारे में क्यों नहीं बताया गया? मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि सरकार के कामकाज किसी शख्स या राजनीतिक दल की मर्जी के हिसाब से नहीं चलता। सभी को इस नियम का पालन करना चाहिए।

सीपीएम ने दिया था संविधान का हवाला

आरिफ मोहम्मद खान केरल सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को हटाने के लिए पास हुए प्रस्ताव को गलत ठहरा चुके हैं। राज्यपाल का कहना है कि किसी राज्य को केंद्र के विषयों पर प्रस्ताव पास करने का संवैधानिक हक नहीं है। इस लड़ाई में सीपीएम अपने मुखपत्र के जरिये बीच में आया था, जब उसने अपने मुखपत्र में लिखा था कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है इसलिए उन्हें संविधान के मुताबिक काम करना चाहिए न कि व्यक्तिगत आधार पर। सीपीएम ने यह भी कहा था कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है कि राज्य सरकार हर दिन की जानकारी राज्यपाल को दे। अनुच्छेद 167 स्पष्ट रूप से बताता है कि कब मुख्यमंत्री को राज्यपाल को कामकाज की जानकारी देनी चाहिए। अनुच्छेद 167 के अनुसार मुख्यमंत्री केवल कैबिनेट के फैसलों की सूचना राज्यपाल को देने के लिए बाध्य हैं।

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