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नमाज कक्ष विवाद पर छलका विधानसभा अध्‍यक्ष का दर्द, सोशल मीडिया पर की टिप्‍पणी, जानें- क्या कहा

झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए विधानसभा अध्‍यक्ष द्वारा अलग कक्ष आवंटित करने के मामले में झारखंड की...
नमाज कक्ष विवाद पर छलका विधानसभा अध्‍यक्ष का दर्द, सोशल मीडिया पर की टिप्‍पणी, जानें- क्या कहा

झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए विधानसभा अध्‍यक्ष द्वारा अलग कक्ष आवंटित करने के मामले में झारखंड की राजनीति गरमाई रही। सदन की कार्यवाही इसी को लेकर विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ गई। बिहार तक इसकी धमक पहुंची। सदन का सत्र समाप्‍त होने के करीब एक सप्‍ताह के बाद विधानसभा अध्‍यक्ष रबींद्रनाथ महतो की पीड़ा छलकी है। 

ट्वीटर पर अपना दर्द जाहिर करते हुए कहा है, ''सदन सर्वोपरी होता है। नमाज रूम को लेकर उठे विवाद के बाद सर्वदलीय कमेटी गठित की गई है। जिस तरह से इस मुद्दे पर विवाद खड़ा किया गया वह उचित नहीं था। इसकी वेदना मेरे मन में है। कभी-कभी सदन में सदस्‍यों के मन में जनता की भावना इतनी प्रबल होती है कि वे आवेश में बोलते भी हैं। मगर आसन, उनकी भावना को समझते हुए उन्‍हें शांत कराने की कोशिश करता है और हमलोग बर्दाश्‍त करते हैं। तकलीफ हमें इस बात पर है कि जनता की गाढ़ी कमाई से सत्र आहुत की जाति है मगर कोई फलाफल नहीं निकला।

विधानसभा में अध्‍यक्ष की भूमिका कस्‍टोडियन की होती है। जो सभी सदस्‍यों को साथ लेकर चलता है। तो फिर सदन की परिपार्टी का हम कैसे उल्‍लंघन कर सकते हैं। आसन पर आक्षेप लगाना सही नहीं है। आसन की उम्र बहुत लंबी है। मैंने उन्‍हें(बिना नाम लिये) नियमावली भी दे दी है कि कैसे और किस तरह से सदन में समस्‍या उठाई जाती है। नियम संचालन विधि के बारे में भी उन्‍हें बताया, इसके बावजूद वे संतुष्‍ट नहीं हुए और समस्‍या उठाना चाह रहे थे।''

दरअसल, सत्र के अंतिम दिन नौ सितंबर को भाजपा के वरिष्‍ठ सदस्‍य, पूर्व मंत्री अमर बाउरी सदन से रोते हुए बाहर निकले थे। उनका कार्यस्‍थन मंजूर नहीं हुआ था। रोते हुए उनकी तस्‍वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई थी। उन्‍होंने कहा था कि दलित समाज से आता हूं इसलिए विधानसभा अध्‍यक्ष ने उनका काम रोको प्रस्‍ताव बिना नोटिस लिये खारिज कर दिया। पढ़ा तक नहीं। दुख जाहिर करते हुए उन्‍होंने कहा था कि आसन कभी इस तरह का व्‍यवहार नहीं करता जिस तरह का व्‍यवहार उनके साथ किया गया।

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