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झारखंड: अब कांग्रेस में ''अधिकारियों'' के खिलाफ असंतोष, सरकार में होने के बावजूद नहीं सुन रहे "बाबू साहब"

"सरकार में होने के बावजूद विधायकों की अधिकारी सुनें नहीं और कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करें तो...
झारखंड: अब कांग्रेस में ''अधिकारियों'' के खिलाफ असंतोष, सरकार में होने के बावजूद नहीं सुन रहे

"सरकार में होने के बावजूद विधायकों की अधिकारी सुनें नहीं और कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करें तो असंतोष का बढ़ना गैर वाजिब नहीं है। झारखण्ड। कांग्रेस कुछ इसी दौर से गुजर रही है।"

बीते 29 जून की ही बात है रामगढ़ के कुज्जूर में पुलिस ने कोयला लदे सात ट्रकों को पकड़ा। कोयला को खलारी, रांची से लोड कर के आइपीएल पॉवर प्लांट रामगढ़ जाना था मगर सातों ट्रक विपरीत दिशा में कुज्जूत के एक निजी  पॉवर प्लांट में कोयला गिराने जा रहे थे। सातों ट्रकों को पुलिस ने बिना प्राथमिकी के देर रात छोड़ दिया। रामगढ़ की कांग्रेस विधायक ममता देवी ने इसे ट्वीट करते हुए कोयले की अवैध तस्करी का मामला बता जांच की मांग की। कोई असर नहीं हुआ तो महगामा से कांग्रेस विधायक व पार्टी की राष्ट्रीय सचिव ने रीट्विट करते हुए लिखा कि ''ये पुलिस की निष्क्रियता है या जानबूझकर किसी के इशारे पर इन अवैध ट्रकों की निकासी कराई जा रही है। खुद विधायक ने संज्ञान लेकर जानकारी दी फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुख्य़मंत्री जी क्या पुलिस को ये निर्देश है कि विधायकों की ना सुनें।''

दूसरी तरफ दबंगई के लिए मशहूर पूर्व विधायक योगेंद्र साव-निर्मला देवी की पुत्री बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद और उनके समर्थकों पर हाल ही कटकमदाग थाना से अवैध बालू लदे ट्रैक्ट्रर जबरन ले जाने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। 48 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में इसी थाना में अंबा प्रसाद व विनोबा भावे विवि के कुलपति सहित 11 लोगों के खिलाफ बीते मई माह में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इनकी बड़कागांव डीएसपी से पट नहीं रही।  इस तरह की घटनाओं के बाद  राज्य में अधिकारियों के रवैये से नाराज चल रहीं महिला विधायकों ने चार जून को बैठक की। विधायक दल नेता आलमगीर आलम व अन्य विधायकों के साथ वर्चुअल बात की। तय हुआ कि विधायक दल की बैठक में इस पर विमर्श होगा। दीपिका पांडेय ने कहा कि अगर विधायक दल की बैठक में बात नहीं सुनी गई तो दिल्ली दरबार में फरियाद करेंगे। इधर तत्कांल पुलिस महानिदेशक ने जिलों के नाम संदेश जारी किया कि जन प्रतिनिधियों के साथ शिष्टाचार से पेश आयें और किसी मामले को संज्ञान में लाते हैं तो उस पर त्वरित अमल किया जाना चाहिए। दूसरे विधायक भी महसूस करते हैं कि सरकार के साथ समन्वय ठीक है मगर अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है। कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने अनुसार विधायक सरकार के काम-काज से नाराज नहीं हैं कुछ अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा है कि जिला और प्रखंड स्तार पर बीस सूत्री और निगरानी समितियों का जल्द  गठन होगा। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री से इस पर बात की है। 24 जून को करीब चार घंटे चली विधायक दल की बैठक में भी कई विधायकों ने अधिकारियों द्वारा न सुनने, काम नहीं होने को लेकर नाराजगी जाहिर की। कहा कि जनता का काम नहीं होगा तो सरकार में होने का क्याद फायदा।

 मंत्री की दौड़ में शामिल कोलेबिरा विधायक नमन विक्से कोंगाड़ी कहते हैं कि अधिकारी विधायकों की सुनते नहीं हैं। विधायक दल की बैठक में दूसरे विधायकों ने भी ऐसी शिकायत की है। तालमेल के अभाव का नतीजा है कि जिस गति से जिले में काम होना चाहिए नहीं हो रहा है। हमारा ध्यान जनहित के मुद्दों पर होता है मगर अफसरों की प्राथमिकता ठेकेदार के आधार पर होती है।

प्रदेश कार्यकारी अध्यहक्ष डॉ इराफान अंसारी भी मानते हैं कि कार्यकर्ताओं में असंतोष है। विधायकों में भी असंतोष है उन्हें उचित सम्माान नहीं मिल रहा है। संगठन कमजोर हो गया है। मंत्री अधिकारी बन गये हैं। अपनी ही पार्टी के मंत्रियों की कार्यशैली उन्हें पसंद नहीं।

पार्टी में असंतोष की वजह नई नहीं है। गठबंधन की सरकार बने डेढ़ साल हो गये मगर अभी तक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय नहीं हो सका है। निगरानी समिति और बीस सूत्री समितियों के लिए के लिए कांग्रेस की चार सदस्यीय समन्वय समिति बनी थी मगर बीते कोई छह माह में सिर्फ एक ही बैठक हो सकी है। जिलों का प्रभारी मंत्री बनाकर सरकार खामोश है। नतीजा है कि प्रदेश से लेकर जिला स्तर के पार्टी के पदाधिकारी और दूसरे बड़े कार्यकर्ताओं को महसूस नहीं हो रहा कि उनकी पार्टी की सरकार है। बीस सूत्री और निगरानी समिति में मिलाकर कोई तीन हजार लोगों को पावर का एहसास कराया जा सकता है। करीब ढाई दर्जन बोर्ड, निगम और आयोगों में पद खाली पड़े हैं। मलाईदार बोर्ड-निगमों पर विधायकों की नजर है। विधायकों के साथ पार्टी के बड़े नेताओं की इस पर नजर है। चुनाव लड़वाने वाले और बड़े नेताओं की दलील है कि मलाईदार पद सिर्फ विधायक ही लेंगे क्या।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव और उत्तलराखंड की सह प्रभारी गामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने आउटलुक से कहा कि जो विधायक नहीं हैं ऐसे नेताओं को बोर्ड निगमों में जगह मिलनी चाहिए। जनता की अपेक्षाएं हमसे अधिक हैं। जिस गति से चाहते हैं काम नहीं हो पाता है। हम चाहते हैं कि अफसर पीपुल फ्रेंडली हों मगर ऐसा हो नहीं पा रहा। अधिकारियों द्वारा काम नहीं किये जाने को लेकर जनता की शिकायतें आती रहती हैं। निगरानी और बीस सूत्री समितियों में वर्करों को एडजस्ट करने की गुंजाइश रहती है। जिलों में प्रशासनिक काम-काज पर निगरानी का तंत्र है। सरकार बने डेढ़ साल हो गये, विलंब हो रहा है। कोरोना के कारण बहुत से काम बाधित हुए हैं। मुद्दे और भी हैं जिन्हें वे पार्टी फोरम पर रखना चाहती हैं। हालत यह है कि बस मौका मिलना चाहिए।

पिछले माह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव चिकित्सा के सिलसिले में चेन्नई गये और उसी क्रम में कांग्रेस महासचिव व संगठन प्रभारी केसी वेणु गोपाल से मुलाकात कर संगठन और आउटरीच कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया। मगर बोर्ड, निगम, बीस सूत्री समिति से लेकर हेमन्त कैबिनेट में एक खाली पद पर कांग्रेस से नियुक्ति की खबरें वायरल हो गईं। मंत्रियों के संभावित नाम भी आ गये। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुच्चूस की वापसी की हरी झंडी और सुखदेव भगत को ना का संदेश भी आ गया। इसके तुरंत बाद प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी सहित चार विधायक दिल्ली्पहुंचे और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह से मुलाकात की। संगठन की मजबूती, पार्टी को धार और विधायकों को सम्मान देने पर बात हुई। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत प्रदेश अध्यक्ष  राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वेर उरांव को लेकर भी चर्चा हुई। कुछ विधायकों के साथ इरफान के बाद, दीपिका पांडेय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार भी अन्य नेताओं, जिलाध्यक्षों के साथ दिल्ली दरबार का चक्कर लगा चुके। जानकार बताते हैं कि पार्टी में रामेश्वर उरांव विरोधी गुट तेजी से मुखर हो गया है। बहरहाल पार्टी में सब ठीक नहीं चल रहा। जनता के साथ पार्टी जनों की अपेक्षाएं भी कम नहीं हैं।

 

 

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