Advertisement

आतंकियों की धमकी के बीच जम्मू-कश्मीर में हुआ मतदान, घाटी में महज 8.3 फीसदी वोटिंग

  जम्मू-कश्मीर में 13 साल बाद हो रहे निकाय चुनाव के पहले चरण में सोमवार को जम्मू, राजौरी और पुंछ में भारी...
आतंकियों की धमकी के बीच जम्मू-कश्मीर में हुआ मतदान, घाटी में महज 8.3 फीसदी वोटिंग

जम्मू-कश्मीर में 13 साल बाद हो रहे निकाय चुनाव के पहले चरण में सोमवार को जम्मू, राजौरी और पुंछ में भारी मतदान हुआ, जबकि घाटी के तमाम पोलिंग स्टेशनों पर सन्नाटा रहा।

कश्मीर में दो बड़ी पार्टियों नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बहिष्कार के ऐलान का असर दिखा। इससे अनंतनाग (7.3%), बारामुला (5.7%) और बांदीपोरा में सिर्फ 3.3% वोट पड़े। घाटी के 83 वार्डों में कुल मिलाकर महज 8.3 फीसदी वोटिंग हुई। 69 वार्डों में उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। वोटिंग के दौरान बांदीपोरा जिले में हुए पथराव से एक भाजपा कैंडिडेट घायल हो गया।

जम्मू क्षेत्र में लगभग 65 फीसदी वोट पड़े। जम्मू डिविजन के राजौरी में करीब 60% और पुंछ में 52% वोट पड़े। इसी तरह करगिल में सबसे ज्यादा 78.1 फीसदी और लेह में 55.2 फीसदी वोट पड़े।

चुनाव को देखते हुए दक्षिण कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड की गईं, जब‌कि दूसरी जगहों पर स्पीड घटाकर 2G  कर दी गई

4 चरणों में होने वाले चुनाव के लिए कुल 2,990 प्रत्याशी मैदान में हैं। अब तक लगभग 244 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं, जिनमें से अधिकतर कश्मीर घाटी से हैं। राज्य की मुख्यधारा की दो पार्टियां नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी इन चुनावों का बहिष्कार कर रही हैं। लिहाजा कई सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के उम्मीदवार न खड़े होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पहले ही जीत दर्ज कर चुके हैं।

चुनाव अधिकारी के मुताबिक पहले फेज में कुल 422 वार्डों के लिए 1,283 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें जम्मू में 1010, कश्मीर में 207, लद्दाख में 66 उम्मीदवार हैं।

जम्मू में दोपहर एक बजे तक 45 फीसदी मतदान हुआ। राजौरी में 75 फीसदी, पुंछ 65 फीसदी वोटिंग हुई है।

बांदीपोरा में पथराव

जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले में सोमवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में शरारती तत्वों ने पत्थरबाजी की, इसमें भाजपा का एक प्रत्याशी घायल हो गया।

अधिकारियों ने बताया कि बांदीपोरा नगर निगम समिति के वार्ड क्रमांक 15 के भाजपा प्रत्याशी आदिल अहमद बुहरू उस समय घायल हो गये जब दाचीगम में शरारती तत्वों ने उन पर पत्थर फेंके। उस समय वह एक मतदान केन्द्र पर वोट डालने जा रहे थे। अधिकारी ने बताया कि बुहरू को नजदीक के अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान बांदीपोरा के कई इलाकों से पथराव की खबरें हैं।

भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने पार्टी प्रत्याशी पर हमले की निंदा की और कहा कि हिंसा में शामिल लोग लोकतंत्र से डरे हुये हैं।

लोग मतदान की तारीख और उम्मीदवारों से हैं अनजान

घाटी में शहरी निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान आज हो रहा है लेकिन अनेक लोगों को इस बारे में बहुत कम मालूम है और उनमें से अधिकतर ने अपने उम्मीदवारों को नहीं जानने तथा मतदान की तारीख पता नहीं होने की शिकायत की।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, श्रीनगर निवासी सुहैब अहमद ने बताया कि उनके वार्ड के लोग नहीं जानते हैं कि इस बार उनके उम्मीदवार कौन-कौन हैं।

एक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले अहमद ने कहा, ‘‘यहां किसी से भी पूछिए कि क्या उन्हें पता है कि कौन-कौन उम्मीदवार हैं। हर व्यक्ति आपको बताएगा कि उसे कुछ नहीं मालूम। काफी गोपनीयता है।’’

अहमद ने आरोप लगाया कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, उसे उपयुक्त तरीके से चुनाव कराने में कोई रुचि नहीं है।

केवल श्रीनगर ही नहीं, घाटी के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी अपने वार्डों में चुनाव के बारे में अनजान होने की बात कही। गंदेरबल के इशफाक अहमद ने कहा, ‘‘हमें पता नहीं है कि हमारे वार्ड से चुनाव कौन लड़ रहा है। अब तक कोई चुनाव प्रचार नहीं कर रहा है या घर-घर नहीं जा रहा है। सरकार ने भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों का ब्योरा नहीं डाला है। कहीं कोई विवरण नहीं है। केवल उम्मीदवार को ही पता है कि वह चुनाव लड़ रहा है। शायद, उसके परिवार को भी पता नहीं है, इतनी गोपनीयता है।’’

उसने कहा कि ज्यादातर लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बस उम्मीदवार के रिश्तेदार एवं मित्र वोट डालेंगे।

उम्मीदवार अपना प्रचार नहीं कर सकते

वहीं पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की वर्तमान स्थिति उम्मीदवारों को खुलेआम प्रचार करने की इजाजत नहीं देती है क्योंकि उनकी जान को खतरा है। अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है, आतंकवादियों ने इन चुनावों में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘उम्मीदवारों को सुरक्षा दी गयी है और उनमें से ज्यादातर लोगों ने सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रखी है। स्थिति ऐसी है कि वे प्रचार नहीं कर सकते। केवल आतंकवादियों से ही नहीं, बल्कि भीड़ से भी खतरा है।’’

माहौल चुनाव के लायक नहीं: कांग्रेस

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में माहौल चुनाव के लायक नहीं है लेकिन पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय किया क्योंकि केंद्र ने लोगों पर चुनाव थोप दिया। इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता संदेह को जन्म देती है। 

खालिद नाम के व्यक्ति ने कहा कि वह पहले मतदान को लेकर बहुत रोमांचित था लेकिन अब उसका मानना है कि स्थिति सुधरने तक चुनाव स्थगित कर दिया जाए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement