Advertisement

छत्तीसगढ़ में पुलिस में दूरियां मिटाने की पहल

आमतौर पर पुलिस के जवानों और अफसरों में दूरी देखी जाती है। इसे अनुशासन कहा जाता है और पुलिसिया अंदाज...
छत्तीसगढ़ में पुलिस में दूरियां मिटाने की पहल

आमतौर पर पुलिस के जवानों और अफसरों में दूरी देखी जाती है। इसे अनुशासन कहा जाता है और पुलिसिया अंदाज भी। इस दूरी को मिटाने की पहल शुरू की है छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेंज के महानिरीक्षक जीपी सिंह ने। इसके लिए पुलिस दरबार लगाया। छत्तीसगढ़ में एक ओर पुलिस जवानों के परिवार अपनी तकलीफों को लेकर सडकों पर आ रहे हैं। सरकार उन्हें ऐसा करने से रोकने में अपनी ताकत लगा रही है। ऐसे समय में जीपी सिंह की पहल ने नई दिशा दिखा दी है और संदेश भी देने की कोशिश की है कि पुलिस में अनुशासन के साथ जवानों से प्रेम और सद्भाव रखते हुए उनकी तकलीफें भी दूर की जानी चाहिए। वहीँ पुलिस अफसरों और जवानों के बीच भेदभाव मिटाने के लिए रिटायरमेंट पर अफसरों की तरह जवानों के लिए भी विदाई  समारोह आयोजित किया जाएगा। 

राज्य के पुलिस जवानों के परिवार के सदस्य वेतन-भत्ते व दीगर सुविधाएं बढ़ने के लिए 25 जून को राजधानी रायपुर में एकजुट हुए। रायपुर में पुलिस अपने परिवार के आंदोलन को नाकाम करने में लगी रही, वही उसी दिन आइजी जीपी सिंह बालोद में अपने रुटीन के निरीक्षण के बाद सिपाहियों और हवलदारों की तकलीफ जानने और हल करने के लिए आम दरबार लगा लिया। दरबार में सिपाही-हवलदार और दूसरे पुलिस वालों खुलकर अपनी बातें रखी। 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह का कहना है सिपाही-हवलदार पुलिस विभाग की रीढ़ की हड्डी है। अच्छी पुलिसिंग के लिए उनका मनोबल ऊंचा होना जरूरी है। उन्हें काम के लिए अच्छा वातावरण भी मिलना चाहिए। जवानों के फिटनेस के लिए अब खेलकूद के साथ योग भी कराया जाएगा। फिटनेस का पूरा ख्याल रखा जाएगा।  

सिपाही-हवलदार हफ्ते भर ड्यूटी में लगे रहते हैं, कभी क्राइम तो कभी वीआईपी ड्यूटी। वे अपने वेतन- भत्ते एरियर्स की जानकारी कम ही रख पाते हैं। इसी प्रकार दंड और इनाम का भी उनके पास कुछ नहीं होता। दरबार में कई जवानों ने इसका उल्लेख भी किया। इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले जीपी सिंह ने जवानों की तकलीफों को हल करने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया। समस्यों के निदान के लिए ऐप के साथ एसएमएस सर्विस का सहारा लिया। अब इसके जरिए पुलिस वालों को अपने ग्रीवान्सेस की जानकारी मिल जाएगी। निजी समस्याओं के साथ जनसुविधाओं के बारे में भी जवानों ने बाते रखीं। आइजी ने थानों में आधुनिक सुविधा वाले टायलेट के बंदोबस्त करने को भी कहा। आइजी जीपी सिंह की पहल को अब पूरे छत्तीसगढ़ में लागू करने की बात होने लगी है।

जीपी सिंह ने एक ऐप भी डेवेलप करवाया है, जिसमें उनकी छुट्टी के आवेदन से लेकर उनकी हर समस्या निराकरण की जानकारी होगी। छत्तीसगढ़ में करीब 65 हजार सिपाही-हवलदार है। पुलिस परिवार के आंदोलन के बाद अब जवानों को हफ्ते में एक दिन छुट्टी और काम के घंटे निर्धारित करने के बारे में सरकार सोचने लगी है।  कानून-व्यवस्था सरकार का बड़ा काम है और इसमें पुलिस वाले बड़ी भूमिका निभाते हैं। पुलिस की छवि से सरकार की छवि जुड़ी होती है। पुलिस अत्याचार के मांमले सामने आते ही सरकार पहले घिरती है। वहीं सरकार पुलिस के दम अपना काम भी करती है। दूसरे कर्मचारियों की तरह पुलिस जवान अपनी समस्याओं के लिए नकारात्मक नहीं रह सकते। एक तो अनुशासन का डंडा, दूसरा वर्दी का सम्मान। पहली बार छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवार के लोगों ने गुस्सा दिखाया है। छह महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने है, ऐसे में पुलिस की बड़ी भूमिका होगी, तो सरकार भी नहीं चाहेगी कि पुलिस वाले नाराज हों। आइजी जीपी सिंह ने एक रास्ता दिखाया है। शायद अब सरकार उस राह पर चलते सिपाही-हवलदारों को खुश की रणनीति पर काम करे। सरकार का रुख क्या होता है यह समय बताएगा। अभी तो जीपी सिंह का फार्मूला फिट और उनके रेंज के जवानों दिल खुश हो गया है।  

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad