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महाराष्‍ट्र में डाक्टरों को समर्थन दे रहे आईएमए ने हड़ताल वापस ली

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हड़ताली रेजीडेंट डाक्टरों को काम पर लौटने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने का अल्टीमेटम दिया। उधर, बंबई उच्च न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों को उनकी सेवाएं खत्म करने का विकल्प दिया। इस बीच, महाराष्‍ट्र रेजीडेंट डाक्टरों को समर्थन दे रहे भारतीय चिकित्सा संघ :आईएमए: ने हड़ताल वापस ले ली।
महाराष्‍ट्र में डाक्टरों को समर्थन दे रहे आईएमए ने हड़ताल वापस ली

फडणवीस ने कहा, बस बहुत हो गया। अगर डाक्टर आज काम पर नहीं लौटते हैं तो सरकार चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने डाक्टरों के रवैये को अडि़यल और असंवेदनशील बताया।

अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के समर्थन में डाक्टरों की हड़ताल का शुक्रवार को पांचवां दिन रहा।

मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में कहा, हम मरीजों को मरने के लिए छोड़ नहीं सकते। मैं डाक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके गतिरोध खत्म करने का अंतिम प्रयास कर रहा हूं। अगर कोई समाधान नहीं निकलता है और डाक्टर काम पर नहीं लौटते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

करीब चार हजार रेजीडेंट डाक्टर सोमवार से काम से दूर हैं और उनकी सुरक्षा बढाने की मांग है क्योंकि राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा उनके सहयोगियों पर कई हमले हुए हैं।

डाक्टरों पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति को स्वीकार करना मुश्किल है जहां मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि डाक्टरों की पिटाई करने की घटनाओं को अंजाम देने वाली असामाजिक प्रवृत्तियों और बीमारों का इलाज करने की शपथ लेने के बाद डाक्टरों के खुद काम से दूर होने में क्या अंतर है। डाक्टरों को आश्वासन दिया गया था कि सरकार उनकी मांग को पूरा समर्थन देती है, इसके बावजूद उनके अडियल रूख पर मैं आश्चर्यचकित हूं।

उन्होंने कहा, उन्हें राक्षस बताए जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए। :वे: कौन सी राजनीति कर रहे हैं?

डाक्टरों को आड़े हाथ लेते हुए मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर ने कहा, डाक्टर हमारा और हमारी हमदर्दी का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। अगर आप इस तरह से मामले को खींचते रहे तो जनता आकर आप पर हमला करेगी। आप ऐसा माहौल बना रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि अगर डाक्टरों को यह रवैया है तो संबंधित अस्पताल प्रबंधन उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है और उनकी सेवाएं खत्म कर सकता है।

पीठ ने कहा, आश्वासन के बावजूद अगर डाक्टर काम पर नहीं लौटे तो हमें लगता है कि हमने सहानुभूति दिखाकर और उनके काम की तारीफ करके गलती की।

उधर, डाक्टरों के काम से दूर रहने के बीच, सरकारी और निकाय अस्पतालों के ओपीडी और जनरल वार्ड का कामकाज पांचवें दिन प्रभावित रहा।

केईएम अस्पताल के डीन डाक्टर अविनाश सूपे ने पीटीआई भाषा को बताया, केईएम, सायन और नायर अस्पताल के ओपीडी में अभी तक पूरी तरह से कामकाज बहाल नहीं हो पाया है। कुछ डाक्टर काम कर रहे हैं लेकिन मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया, कुछ ही डाक्टर ड्यूटी पर वापस लौटे हैं। इसलिए, पूरी चिकित्सकीय सेवा तत्काल उपलब्ध नहीं हो पाएगी।

भारतीय चिकित्सा संघ :आईएमए: ने महाराष्‍ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डाक्टर्स :एमएआरडी: से काम पर लौटने की अपील की।

आईएमए के एक सदस्य ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन और रेजीडेंट डाक्टरों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई।

आईएमए के प्रतिनिधियों ने शनिवार दोपहर विधान भवन में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। फडणवीस ने उनसे कहा कि शनिवार से 16 अस्पतालों में सुरक्षा प्रदान की गई है।

उन्होंने कहा, सरकार डाक्टरों को सुरक्षा देने के लिए काम कर रही है और दस दिन के भीतर और इंतजाम किये जाएंगे। 

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