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बेटी थी कुख्यात डकैत और सांसद, मां खा रही ठोकरें

एक दौर था जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फूलन देवी के नाम की धमक थी। दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन की एक निगाह पड़ते ही इलाक़े के लोगों की क़िस्मत बदल जाती थी। बीहड़ के दिनो में अमीरों को लूटकर ग़रीबों की मदद करने की उसकी अदा ने उसे इलाक़े का रॉबिनहुड ही बना रखा था। लोगों की मदद करने की शैली फूलन के सांसद बनने के बाद भी नहीं बदली। मगर अब फूलन इस दुनिया में नहीं है और उसकी बूढ़ी मां दर-दर की ठोकरें खा रही है।
बेटी थी कुख्यात डकैत और सांसद, मां खा रही ठोकरें

विधवा एवं वृद्धावस्था पेंशन तो दूर उसे एक अदद राशन कार्ड के लिए भी दफ़्तरों के चक्कर कटाए जा रहे हैं। इलाक़े में तीन साल से ढंग से बारिश नहीं हुई। अधिकांश ज़मीन पर दबंगों ने क़ब्ज़ा कर लिया और बची खुची ज़मीन से गुज़ारा नहीं हो रहा। एसे में भीख मांगने की नौबत आ गई है।

फूलन की छोटी बहन रामकली बताती है कि छः बहन भाइयों में से केवल वह मां मूला देवी के साथ रहती है। दो भाई हैं और दोनों परिवार सहित ग्वालियर में रहते हैं। बड़ा भाई शिव नारायण मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही है। छोटा भाई सुंदर अपना काम करता है। पिता देवी दीन की मौत हो चुकी है। वह बताती है कि जब तक फूलन ज़िंदा थी तब तक सब ठीक था मगर उसकी मौत के बाद से हालात बिगड़ते चले गए। प्रदेश की सपा सरकार भी उनकी कोई सुध नहीं ले रही जबकि फूलन देवी इसी पार्टी की सांसद थी।

बता दें कि जालौन जनपद के गांव गोरहा में जन्मी फूलन छोटी उम्र में ही डकैतों से जा मिली थी और वर्ष 1981 में उस समय दुनिया की निगाह में पहली बार आई थी जब उसने बेहमई गांव में एक साथ 22 लोगों की गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी। बाद में फांसी ना देने की शर्त पर उसने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। ग्यारह साल जेल में रहने के बाद सन 1996 में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया और मिर्ज़ापुर से चुनाव लड़ाकर संसद भेजा। वर्ष 2001 में दिल्ली स्थित आवास पर ही फूलन की हत्या कर दी गई।

फूलन देवी को उत्तर प्रदेश में छोटी जातियों का पूरा समर्थन प्राप्त था। उसके द्वारा इन्हीं जातियों के लोगों को मिला कर एकलव्य सेना भी बनाई गई। यह सेना अब फूलन देवी जन जागृति सेना के नाम से उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में अनेक सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने जा रही है। इस पार्टी के अध्यक्ष कभी फूलन देवी के क़रीबी रहे पप्पू निषाद हैं। खास बात यह है कि फूलन के नाम पर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने की चाह रखने वाले पप्पू भी फूलन की मां का हाल जानने कभी गोरहा नहीं आते।

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