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CAA के खिलाफ केरल सरकार के कदम पर राज्यपाल आरिफ ने जताई नाराजगी, कहा- मैं रबर स्टांप नहीं

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने...
CAA के खिलाफ केरल सरकार के कदम पर राज्यपाल आरिफ ने जताई नाराजगी, कहा- मैं रबर स्टांप नहीं

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नाराजगी जाहिर की है। गवर्नर का कहना है कि राज्य सरकार को इस तरह का फैसला लेने से पहले उनसे पूछना चाहिए था क्योंकि वह संवैधानिक तौर पर हेड हैं।

बता दें नागरिकता कानून के खिलाफ केरल की पिनराई विजयन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इससे पहले सरकार ने विधानसभा में सीएए 2019 और संभावित एनआरसी के खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया था।

सीएए के खिलाफ पास विधेयक की जानकारी भी मुझे अखबार से मिली

केरल सरकार के ताजा कदम पर गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि 'बिना मेरी इजाजत के ऐसा करना गलत कदम है।' उन्होंने कहा कि' राज्य सरकार को मुझे जानकारी देनी चाहिए थी। इस कानून के खिलाफ पास विधेयक की जानकारी भी मुझे अखबार से मिली।'

सुप्रीम कोर्ट जाने से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन देनी चाहिए थी जानकारी

खान ने कहा, 'मुझे उनके सुप्रीम कोर्ट जाने से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था। मुझे इस बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला। जाहिर है, मैं रबर स्टांप नहीं हूं।'

केरल सरकार ने सीएए को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

केरल सरकार ने मंगलवार को संशोधित नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका में केरल सरकार ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस कानून को संविधान में प्रदत्त समता, स्वतंत्रता और पंथनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला करार दिया जाए। संशोधित नागरिकता कानून को अदालत में चुनौती देने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली केरल सरकार पहली राज्य सरकार है। केरल विधानसभा ने ही सबसे पहले इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था।

22 जनवरी को होगी सुनवाई

शीर्ष अदालत में दायर अपने वाद में केरल सरकार ने अदालत से अनुरोध किया है कि संशोधित नागरिकता कानून, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 14 (समता), अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने और उसका आचरण करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए।

शीर्ष अदालत ने संशोधित नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब पांच दर्जन याचिकाओं पर 18 दिसंबर, 2019 को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था। अदालत ने केन्द्र को इन याचिकाओं पर जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

देश में लागू हो गया है नागरिकता कानून

संशोधित नागरिकता कानून 10 जनवरी को राजपत्र में अधिसूचित किए जाने के साथ ही देश में लागू हो गया है। इस कानून में 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिये 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की है।

देशभर में विपक्षी पार्टियों का विरोध

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर हल्ला बोले हुए हैं। केरल की सरकार ने पहले विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पास हुआ था, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी।

 

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