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उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत, महाराष्ट्र में 9 विधान परिषद सीटों के चुनाव की तैयारी शुरू

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की अपील स्वीकार कर ली है। अब महाराष्ट्र विधान...
उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत, महाराष्ट्र में 9 विधान परिषद सीटों के चुनाव की तैयारी शुरू

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की अपील स्वीकार कर ली है। अब महाराष्ट्र विधान परिषद में खाली नौ सीटों पर चुनाव कराने को लेकर शुक्रवार को चुनाव आयोग की बैठक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए  करने का फैसला लिया है। इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य विधान परिषद के लिए नामित करने से इनकार कर दिया था और चुनाव आयोग से खाली सीटों पर जल्द-चुनाव कराने की अपील की थी।

इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी और मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उद्धव ठाकरे ने पीएम से कहा था कि उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि वो इस मामले को देखेंगे और अधिक जानकारी लेंगे। इससे पहले राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत किए जाने का प्रस्ताव रखते हुए परिषद की दो खाली सीटों में से एक पर राज्यपाल के कोटे में उन्हें मनोनीत करने की सिफारिश की थी।

उद्धव ठाकरे नहीं हैं किसी सदन के सदस्य

दरअसल, उद्धव ठाकरे अभी महाराष्ट्र विधानसभा या विधान परिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। संवैधानिक नियमों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के अंदर किसी-न-किसी सदन की सदस्यता लेना उनके लिए अनिवार्य है। उन्हें 27 मई से पहले तक किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा। पिछले साल 28 नवंबर को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने बतौर मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

ये नेता भी बने थी सीएम, जो नहीं थे किसी सदन के सदस्य

जून 1980 में सीएम बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने। वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में सीएम बने थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।  निलांगेकर पाटिल जून 1985 में सीएम बने थे। उस वक्त पाटिल किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। शंकरराव चव्हाण मार्च 1986 जब सीएम बने। उस वक्त वो केंद्रीय मंत्री थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।  नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार सीएम बने थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। 2003 में जब सुशील कुमार शिंदे राज्य के सीएम बने तब वो किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में वो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।

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