राष्ट्रीय राजधानी में रविवार सुबह भी वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में बनी रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आईटीओ के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 284 दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 0-50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक को "अच्छा", 51-100 के बीच "संतोषजनक", 101-200 के बीच "मध्यम", 201-300 के बीच "खराब", 301-400 के बीच "बहुत खराब" और 401-500 के बीच "गंभीर" श्रेणी में रखा जाता है।
आईएमडी के अनुसार रविवार को आसमान साफ रहने तथा तापमान 33 डिग्री सेल्सियस (अधिकतम) और 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।
स्थानीय निवासी आर्यन गुप्ता ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण उनके जैसे साइकिल चालकों को सांस लेने में दिक्कत होती है।
उन्होंने एएनआई से कहा, "हर साल की तरह, दिल्ली में प्रदूषण बरकरार है। इससे सांस लेने में दिक्कत हो रही है, खासकर मेरे जैसे साइकिल सवारों को। मैंने रोहिणी से 20 किलोमीटर तक साइकिल चलाई है। मुझे साइनस है, इसलिए मेरे लिए ठीक से सांस लेना मुश्किल हो रहा है। आंखों में जलन भी हो रही है। स्कूल और कॉलेज बंद करना अस्थायी समाधान है।"
उन्होंने कहा कि हालांकि पटाखे फोड़ने से प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है। पंजाब में फसलों को जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं जैसे कारकों से प्रदूषण बढ़ता है, और अब दिवाली के आसपास पटाखे राजधानी में वायु गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनेंगे।
उन्होंने आगे कहा, "दिल्ली चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ क्षेत्र है, इसलिए यहाँ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से प्रदूषण आता है। इसलिए, हम इससे निपटने के लिए स्मोक टावर लगा सकते हैं और कृत्रिम वर्षा कर सकते हैं। इसमें मुख्य योगदान पटाखों का नहीं, बल्कि वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन और फसलों के जलने का है।"