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नेपाल तबाही: मौत का तांडव और जिंदगी की तलाश

पिछले आठ दशक से भी ज्यादा समय में आए सबसे भीषण भूकंप की त्रासदी का सामना कर रहे नेपाल में भारत सहित दुनिया भर से आए राहतकर्मी पीडि़तों तक पहुंचने और उनको मदद पहुंचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
नेपाल तबाही: मौत का तांडव और जिंदगी की तलाश

इस हिमालयी देश में आपदा के दिन से ही दुनिया के सभी हिस्से से मानवीय सहायता आ रही है। भूकंप की इस त्रासदी में अब तक 6200 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 14 हजार लोग घायल हैं। कभी विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली राजधानी काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय बचावकर्मी तमाम मुश्किलों के बीच भूकंप के छठे दिन काम में जुटे हैं और जमींदोज हो चुकी इमारतों, भवनों से फंसे लोगों को निकालने की मशक्कत चल रही है।

रिक्टर पैमाने पर 7.9 की तीव्रता के भूकंप और इसके बाद भी कई झटकों से हिले नेपाल में अब जिंदगी की रौनक और रंगीनी गायब है, हर तरफ तबाही का मंजर है जो चेहरे पर मायूसी की शक्ल में झलकता है। भारत, चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी आपदा प्रभावित देश में आम जन जीवन को पटरी पर लाने में मदद कर रहे हैं और अमेरिका ने भी अपनी टीम भेजी है। पोलैंड और कई अन्य देशों ने बेशकीमती जानों को बचाने के लिए विशेष टीमें तैनात की है। पांच महीने का एक शिशु हो या एक किशोर, मलबे से इन दोनों को जिंदा निकालने से आशा की किरण अब भी नजर आती है।

बचावकर्मियों ने जब नन्हें शिशु को हाथों में थाम बाहर निकाला तो मौत को मात देने के ऐसे चमत्कार से उपस्थित लोग खुशी से झुमने लगे। मानवीय कोशिशों को तब और बल मिला जब हर तरफ दहशत और गम के आलम के बीच जेनेवा स्थित इंस्टीट्यूशंस इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेडक्रॉस (आईसीआरसी) और डॉक्टर्स विदआउट बार्डर्स (मेडिसिंस सेंस फ्रंटियर्स या एमएसएफ) की मदद भी इसमें आ जुड़ी। एमएसएफ भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, एमएसएफ से हमारी 61 लोगों की टीम है।

फ्रांस से हमारा पहला कार्गों विमान आया जिसमें अस्पताल बनाने के लिए चार टेंट, सभी जरूरी चिकित्सक्रीय सामग्री आई। उन्होंने कहा, बुधवार को, एक टीम को गोरखा जिले के गुंबा गांव में 200 आश्रय किट पहुंचाने में सफल रहे। इसके बाद गुरुवार को काठमांडो और भक्तपुर में अस्पतालों में प्रबंधन क्षमता का आकलन किया गया। आईसीआरसी देश में प्रभावित लोगों तक पहुंचने में नेपाल रेडक्रॉस सोसाइटी की मदद कर रही है। लापता लोगों का पता लगाने के लिए उसने एक वेबसाइट भी शुरू की है।

आईसीआरसी ने कहा है, हमारी कोशिशों में भूकंप के बाद बिछड़ गए परिवार के सदस्यों को मिलाने और जरूरी प्राथमिक चिकित्सा तथा मदद मुहैया कराने की है। आईसीआरसी शवों को मुकम्मल जगह पहुंचाने आदि की व्यवस्था में भी सहायता कर रही है। संगठन ने कहा, अब तक हमने फोरेंसिक मेडिसीन विभाग को शव पहुंचाने के लिए 400 बैग मुहैया कराए हैं। इसके साथ ही भूकंप में घायल लोगों के उपचार के लिए सात सेट डेसिंग मॉडयूल भी उपलब्ध कराया गया है।

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