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झारखंड में केंद्रीय योजनाओं के पैसे का धर्मांतरण में हो रहा इस्तेमाल

फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत मिलने वाले विदेशी फंड का बड़ा हिस्सा झारखंड में धर्मांतरण कराने में उपयोग किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षो में झारखंड में धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूलों को 3.10 अरब रुपये दान में मिले हैं। विशेष शाखा ने यह रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध कराई है। इसमें विदेशी फंड का उपयोग जबरन धर्म परिवर्तन के लिए किए जाने की आशंका जताई गई है। इसकी सीआइडी से जांच कराने की अनुशंसा की गई है।
झारखंड में केंद्रीय योजनाओं के पैसे का धर्मांतरण में हो रहा इस्तेमाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार की योजना आदिम जनजाति/इंटीग्रेटेड ट्रायबल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (पीटीजी/आइटीडीए) प्रदेश में हर जिले में कार्यरत है। इस मद में हर जिले को करीब 40 लाख रुपये दिए जाते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आदिम जनजाति का विकास एवं रोजगार उपलब्ध कराना है। इस योजना के क्रियान्वयन में काफी अनियमितता बताई जाती है। इस राशि का उपयोग जबरन धर्मातरण में किया जाता है।

इस योजना का क्रियान्यवन अधिकांश ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इसलिए जरूरी है कि पीटीजी योजना के तहत एनजीओ को दी गई राशि की जांच कराई जाए। यह भी देखा जाए कि पिछले पांच वर्षो में किस जिले में कितना पैसा आइटीडीए के तहत गया है। इसमें संलग्न एनजीओ की जांच होनी चाहिए कि कहीं उन्होंने पैसे का इस्तेमाल धर्मातरण में तो नहीं किया है।

विशेष शाखा की रिपोर्ट में कहा गया है कि खेल विभाग के अंतर्गत 130 आवासीय विद्यालय हैं। इनमें से 50 स्कूल धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। इसमें अनुशंसा की गई है कि आवासीय स्कूलों में ईसाई मिशनरियों का हस्तक्षेप बंद कर स्कूल दूसरी संस्थाओं को दिए जा सकते हैं।

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