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जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का केंद्र को जायेगा प्रस्ताव, झारखंड सरकार ने लिया फैसला

हेमंत सरकार ने 2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। सोमवार...
जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का केंद्र को जायेगा प्रस्ताव, झारखंड सरकार ने लिया फैसला

हेमंत सरकार ने 2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। सोमवार को कैबिनेट ने इसे अपनी मुहर लगा दी। जल्‍द संबंधित प्रस्‍ताव केंद्र को भेजा जायेगा। विधानसभा से प्रस्‍ताव पास कराने के लिए 11 नवंबर को विधानसभा का एक दिनी विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया है।

आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग लंबे समय से चल रही थी। आदिवासी संगठन इसे लेकर लगातार आंदोलनरत थे। मगर इसमें भी राजनीतिक होती रही अनेक संगठन आदिवासी धर्म कोड की मांग कर रहे थे तो अनेक सरना धर्म कोड। प्रदर्शन के अतिरिक्‍त अनेक संगठनों ने कई बार मुख्‍यमंत्री ने मिलकर भी इससे संबंधित ज्ञापन दिया था। अनेक विधायकों ने भी इसके लिए आग्रह किया था। सरना और आदिवासी को लेकर उठते विवाद के बीच मुख्‍यमंत्री ने चालाकी दिखाई और संकल्‍प के विषय में आदिवासी/सरना धर्म कोड दर्ज कराया। हालांकि चार पृष्‍ठों के संकल्‍प में ज्‍यादातर सरना धर्म कोड की चर्चा की गई है। यह भी बताया गया है कि 2011 की जनगणना में 21 राज्‍यों में रहने वाले 50 लाख आदिवासियों ने जनगणना फार्म में सरना लिखा है। झारखंड की पहल पर जनगणना कॉलम में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड मिल जाता है तो हेमंत सोरेन का देश के आदिवासियों के बीच कद और बड़ा हो जायेगा।

तकनीकी पेंच

पहले भी आदिवासी संगठनों ने सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखा था। उस समय 2015 में जनगणना महाानिबंधक ने यह कहकर प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया था कि देश में एक सौ से अधिक आदिवासी समुदाय है। अलग-अलग प्रदेशों से अलग-अलग नामों जैसे झारखंड में सरना, कहीं गोंड, कहीं भिल्‍ली जैसी मांग हो रही है। नाम के एकरूपता के बिना यह व्‍यावहारिक नहीं है। इसी को देखते हुए विभिन्‍न आदिवासी संगठनों ने आदिवासी धर्म कोड पर विभिन्‍न राज्‍यों में आम सहमति बनाई तो अनेक संगठन अभी भी सरना धर्म कोड पर ही अड़े हैं। आदिवासी और सरना दोनों का जिक्र कर हेमंत सरकार ने बीच का रास्‍ता निकालने की कोशिश की है।

कैबिनेट में रिम्‍स ( राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्‍थान) रांची में एमबीबीएस सीटों की संख्‍या 150 से बढ़ाकर 250 करने के लिए भारत सरकार के साथ एमओयू के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गई। इसमें आधारभूत संरचना पर 120 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें 40 फीसद राशि का खर्च राज्‍य सरकार वहन करेगी। धान के समर्थन मूल्‍य और उस पर बोनस के प्रस्‍ताव को भी घटनोत्‍तर स्‍वीकृति प्रदान की गई। साधारण धान  1868 रुपये प्रति क्विंटल और एक ग्रेड धान 1888 रुपये प्रति क्विंटल दर निर्धारित की गई है जिसमें 182 रुपये क्विंटल बोनस जोड़कर सरकार भुगतान करेगी। कौशल विकास कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन उच्‍च तकनीकी शिक्षा विभाग से अलग कर श्रम विभाग में जोड़ने के लिए कार्यपालक नियमावली की सूची में संशोधन, कोरोना के मद्देनजर राज्‍य के मान्‍यता प्राप्‍त बीएड महाविद्यालयों में सत्र 2020-22 में नामांकन के लिए संयुक्‍त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित किये बिना मेधा सूची के आधार पर नामांकन के प्रस्‍ताव को भी मंजूरी दी है। जेसीईसीईबी रांची को बीएड की खातिर मेधा सूची तैयार करने एवं काउंसलिंग एजेंसी के रूप में काम करने के लिए अधिकृत किया गया है।

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