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जातिगत जनगणना: नीतीश से तो मिले मगर हेमन्‍त को नरेंद्र मोदी ने क्‍यों कह दिया न

रांची। जातिगत जनगणना पर झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन के साथ सर्वदलीय बैठक से प्रधानमंत्री...
जातिगत जनगणना: नीतीश से तो मिले मगर हेमन्‍त को नरेंद्र मोदी ने क्‍यों कह दिया न

रांची। जातिगत जनगणना पर झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन के साथ सर्वदलीय बैठक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकार कर दिया है। हालांकि इसी मसले पर नीतीश कुमार के साथ उन्‍होंने विमर्श किया था। नीतीश कुमार की तर्ज पर ही हेमन्‍त भी प्रधानमंत्री से मिलना चाहते थे। जातिगत जनगणना में ओबीसी महत्‍वपूर्ण फैक्‍टर है और प्रदेश में इसकी आबादी करीब 55 प्रतिशत है इसलिए कोई भी दल इससे कटकर नहीं रह सकता। बल्कि सब अभी से ओबीसी के लिए गोलबंदी करने में जुटे हुए हैं।

हेमन्‍त सोरेन ने सर्वदलीय शिष्‍टमंडल के मुलाकात के लिए सात सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि मेरे नेतृत्‍व में नौ सदस्‍यीय प्रतिनिधिमंडल आपसे मिलकर जाति आधारित जनगणना कराने से संबंधित मांग पत्र सौंपना चाहता है। अनुरोध है कि शीघ्र मिलने का समय आवंटित करने की कृपा की जाये। जानकार बताते हैं कि वे 12 से 20 सितंबर के बीच समय चाहते थे।

दरअसल विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान झामुमो विधायक सुदिव्‍य कुमार सोनू ने जब जातीय जनगणना की मांग उठाई तो मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने प्रधानमंत्री से नौ सदस्‍यीय सर्वदलीय शिष्‍टमंडल मिलने की घोषणा की थी। प्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 55 प्रतिशत है मगर आरक्षण 14 प्रतिशत। इन्‍हें 27 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर सभी दल लगातार आवाज उठा रहे हैं। 2011 की जनगणना में भी जातीय आधार पर गणना हुई थी मगर व्‍यापक विसंगतियों के हवाले इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।
इधर झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टा चार्य ने कहा कि
एक अचंभित करने वाला कल बयान सामने आया। विधानसभा ने सर्वसम्‍मत जनगणना के बारे में प्रस्‍ताव पारित किया। जातिगत जनगणना के साथ यहां के आदि धर्म सरना धर्म का भी एक रिलीजन कोड शामिल करने का प्रस्‍ताव पारित किया गया। चालू सत्र के अंतिम दिन सदन की राय से मुख्‍यमंत्री ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था कि राज्‍य से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल सरना धर्म कोड के मुद्दे और जातिगत जनगणना पर मिलना चाहता है। समय उपलब्‍ध करा दें। नौ सितंबर को प्रधानमंत्री के कार्यालय से एक मेल आया जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि झारखंड का प्रतिनिधिमंडल जिसका नेतृत्‍व मुख्‍यमंत्री करेंगे वो देश के गृह मंत्री से मिलकर अपनी बात को रखें। यह तार्किक भी है, पीएम की व्‍यस्‍तता भी होती है और जनगणना का विभाग गृह मंत्रालय होता है। इसमें बुराई नहीं है। पीएम को जब समय मिलेगा और दिल में जब झारखंड के लिए प्रेम होगा तो निश्चित तौर पर इसके बाद समय उपलब्‍धता के हिसाब से राज्‍य प्रतिनिधिमंडल को समय देंगे।

भाजपा जिसके विधायकों ने विधानसभा में सर्वसम्‍मत राय व्‍यक्‍त की थी के प्रदेश अध्‍यक्ष ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में साफ कहा कि भाजपा को कोई प्रतिनिधि दिल्‍ली जाकर गृह मंत्री से मुलाकात नहीं करेंगा। इससे बहुत स्‍पष्‍ट होता है कि भाजपा जिस सांप्रदायिकता की राजनीति करती है धर्म को धर्म से लड़ाने की, जाति को जाति से लड़ाने की उसी मानसिकता के तहत वह नहीं चाहती कि झारखंड का आदि धर्म सरना धर्म को प्रतिष्ठित किया जा सके, उनकी एक पहचान हो। अब स्‍पष्‍ट हो गया है कि भाजपा सरना धर्म के ही खिलाफ है। आदि धर्म का यही प्रस्‍ताव पश्चिम बंगाल ने भी पास किया। इसकी गूंज ओडिशा और छत्‍तीसगढ़ के विधानसभा में भी सुनी गई। पूर्वी भारत के मुख्‍य चार आदिवासी बहुल राज्‍य के लोगों की आवाज भाजपा दबाना चाहती है उन्‍हें डर है हेमन्‍त सरकार से। प्रधानमंत्री के मुलाकात से इनकार और भाजपा के रवैये को देखते हुए जाति आधारित जनगणना और सरना आदिवासी धर्म कोड के सवाल पर आगे टकराव और बढ़ने के आसार दिख रहे हैं।

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