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सीएम हेमन्‍त का टूटा धैर्य, राज्‍यपाल से मांगा चुनाव आयोग का मंतव्‍य, भाजपा अनैतिक तरीके से सत्‍ता हासिल करने में जुटी है

झारखंड विधानसभा से अपनी सदस्‍यता समाप्‍त किये जाने संबंधित चुनाव आयोग के पत्र को 20-22 दिनों से जारी...
सीएम हेमन्‍त का टूटा धैर्य, राज्‍यपाल से मांगा चुनाव आयोग का मंतव्‍य, भाजपा अनैतिक तरीके से सत्‍ता हासिल करने में जुटी है

झारखंड विधानसभा से अपनी सदस्‍यता समाप्‍त किये जाने संबंधित चुनाव आयोग के पत्र को 20-22 दिनों से जारी संशय और राजभवन की खामोशी के बीच मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन का धैर्य टूटा और गुरूवार को वे सीधे राजभवन पहुंच गये। राज्‍यपाल से मुलाकात की और और सीलबंद लिफाफे का मजमून यानी चुनाव आयोग का मंतव्‍य मांगा। कहा कि भाजपा इस भ्रम का इस्‍तेमाल कर अनैतिक रूप से सत्‍ता हासिल करने में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए यह भी कहा कि उनके खिलाफ जन प्रतिनिधित्‍व कानून की धारा 9ए का मामला नहीं बनता। 

दरअसल खुद के नाम माइनिंग लीज के मामले में विधानसभा से अपनी सदस्‍यता खत्‍म किये जाने को लेकर चुनाव आयोग द्वारा राजभवन को मंतव्‍य भेजे जाने और मीडिया में लगातार छप रही खबरों से पूरा सरकारी तंत्र परेशान और संशय में है। इसे लेकर पिछले पखवारा हाई वोल्‍टेज राजनीतिक ड्रामा भी चलता रहा। मुख्‍यमंत्री ने पूरे घटना क्रम के संबंध में राज्‍यपाल को पत्र भी सौंपा।

हेमन्‍त का राज्‍यपाल के नाम पत्र का मजमून

मुझे राज्‍य में विगत तीन सप्‍ताह से अधिक समय से उत्‍पन्‍न असामान्‍य स्थिति एवं दुर्भग्‍यपूर्ण परिस्थितियों के कारण इस अभ्‍यावेदन के साथ भवदीय (राज्‍यपाल) के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाघ्‍य होना पड़ रहा है। फरवरी 2022 से ही भारतीय जनता पार्टी द्वारा यह भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा पत्‍थर खनन पट्टा लिये जाने के आधार पर मुझे विधानसभा की सदस्‍यता से अयोग्‍य ठहरा दिया जायेगा। इस संबंध में भाजपा द्वार भवदीय के समक्ष एक शिकायत भी दर्ज की गई थी। हालांकि संबंधित विषय के संबंध में सर्वोच्‍च न्‍यायालय करतार सिंह भन्‍डाना बनाम हरी सिंह नल्‍वा (2002) 4 एससीसी 661 एवं सीवीके राओ बनाम दंतू भाष्‍कार राओ (1965) एससी 93 के दो आधिकारिक एवं बाध्‍यारी न्‍याय निर्णयों द्वारा पूर्ण आच्‍छादित किया गया है। जिसें यह पूर्णत: एवं स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था दी गई है कि खनन पट्टा लिये जाने से जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्‍यता उत्‍पन्‍न नहीं होती। तथापित इस विषय में मंतव्‍य गठन हेतु संविधान के अनुच्‍छेद 192 के अंतर्गत भवदीय के रेफरेंश के अनुसारण में भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई भी आयोजित की गई थी।

यद्यपित भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार निर्वान आयोग को अपना मंतव्‍य भवदीय के समक्ष प्रस्‍तुत करना है और भवदीय द्वारा तत्‍पश्‍चात अधेहस्‍ताक्षरी (हेमन्‍त सोरेन) को सुनवाई का युक्तियुक्‍त अवसर प्रदान कर यथोचित कार्रवाई करनी है। तथापि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से यह प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना मंतव्‍य भारतीय जनता पार्टी को सौंप दिया गया है। भवदीय के कार्यालय के कथित श्रोतों एवं भाजपा नेताओं के बयानों को उधृत करते हुए विगत 25 अगस्‍त से प्रिंट एवं इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में यह व्‍यापक रूप से परिचालित किया जा रहा है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा यह अभिमत दे दिया गया है कि अधोहस्‍ताक्षरी पंचम झारखंड विधान सभा की सदस्‍यता से निरर्हित कर दिये गये हैं।

इस बावत यूपीए के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा भवदीय से एक सितंबर 2022 को भेंटकर निर्वाचन आयोग के मंतव्‍य को शीघ्र सार्वजनिक करने हेतु एक अभ्‍यावेदन दिया गया था। भवदीय द्वारा प्रतिनिधिमंडल के सदस्‍यों को बताया गया कि निर्वाचन आयोग से मंतव्‍य प्राप्‍त हो गया है तथा इस संबंध में आवश्‍यक विधि सम्‍मत कार्रवाई दो-तीन दिनों के अंदर पूर्ण कर लिया जायेगा।

महोदय भारत निर्वाचन आयोग के मंतव्‍य के संबंध में मीडिया में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किये जा रहे प्रचार एवं भवदीय के कार्यालय से मंतव्‍य के संबंध में कथित सूचना के छनकर आने से सरकार, कार्यपालिका एवं जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्‍पन्‍न हो रही है जो राज्‍यहित एवं जनहित में नहीं है। भारतीय जनता पार्टी इस भ्रम की स्थिति का उपयोग दलबदल के अस्‍त्र के रूप में कर अनैतिक रूप से सत्‍ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। भारतीय जनता पार्टी अपनी इस अनैतिक प्रयास में कभी सफल नहीं होगी क्‍योंकि राज्‍य के गठन के बाद पहली बार हमारी सरकार को लगभग दो तिहाई सदस्‍यों का समर्थन प्राप्‍त है।

पांच सितंबर को यूपीए सरकार ने विधानसभा पटल पर अपना अपार बहुमत भी साबित किया है एवं विधायकों द्वारा अधोहस्‍ताक्षरी के नेतृत्‍व में अपनी पूर्ण निष्‍ठा एवं विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया है। राज्‍य के संवैधानिक प्रमुख के नाते भवदीय से संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा में महती भूमिका की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में अधोहस्‍ताक्षरी संविधान एवं कानून के शासन के अनुपालन के लिए कृतसंकल्पित है। अत: अधोहस्‍ताक्षरी का भवदीय से अनुरोध है कि निर्वाचन आयोग के मंतव्‍य की एक प्रति उपलब्‍ध करायी जाये एवं यथाशीघ्र युक्तियुक्‍त सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाये ताकि स्‍वस्‍थ लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण शीघ्र दूर हो सके एवं राज्‍य उन्‍नति, प्रगति एवं विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सके।

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