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राजस्थान के बहुचर्चित दारा सिंह एनकाउंटर मामले में सभी 14 अभियुक्त बरी

रामगोपाल जाट राजस्थान के सबसे चर्चित एनकाउंटर रहे दारा सिंह उर्फ दारिया एनकाउंटर मामले में आज...
राजस्थान के बहुचर्चित दारा सिंह एनकाउंटर मामले में सभी 14 अभियुक्त बरी

रामगोपाल जाट

राजस्थान के सबसे चर्चित एनकाउंटर रहे दारा सिंह उर्फ दारिया एनकाउंटर मामले में आज राजस्थान हाईकोर्ट ने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया। कोर्ट ने मामले में आरोपी सभी 14 जनों को बाइज्जत बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सबूतों के अभाव में उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। बहरहाल कोर्ट ने सभी को बरी करता है।

केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने सभी 14 आरोपियों के खिलाफ अंतिम चालान पेश किया था। साल 2006 में जयपुर के मानसरोवर में हुए इस एनकाउंटर में अदालत ने किसी को दोषी नहीं माना। यह एनकाउंटर तब ज्यादा चर्चित हो गया था, जब मामले में बीजेपी के नेता और वर्तमान केबिनेट मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को 2012 में गिरफ्तार कर लिया गया था।

CBI की जांच रिपोर्ट पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। सीबीआइ की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने यह निर्णय दिया है। हालांकि, अभी सीबीआई की तरफ से इस मामले में कोई बयान नहीं आया है। बताया जा रहा है कि प्रकरण को लेकर सीबीआई सुप्रीम कोर्ट तक जा सकती है, किंतु दारा सिंह की पत्नी की तरफ से इस प्रकरण में अभी कोई रुचि नहीं दिखाई जाने के संकेत मिल रहे हैं।

2012 विधायक राजेंद्र सिंह राठौड़ को CBI ने कर लिया था गिरफ्तार 

इससे पहले साल 2012 में तत्कालीन विधायक राजेंद्र सिंह राठौड़ को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। वह करीब 15 महीने तक जेल में रहे, उसके बाद उनको जमानत मिली। लेकिन थोड़े ही दिनों बाद गवाहों के मुकरने के कारण कोर्ट से राजेंद्र राठौड़ को बरी कर दिया गया था।

बताया जाता है कि राजेंद्र सिंह राठौड़ के साले और दारा सिंह के बीच शेखावाटी एरिया में शराब तस्करी को लेकर लंबे समय से द्वंद चल रहा था। जिसमें राजेंद्र सिंह राठौड़ का सहारा लिया गया और उनका पुलिस के द्वारा एनकाउंटर करवा दिया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में आज न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

राठौड़ को बेवजह फंसाया जा रहा है

जब 2012 में राठौड़ को पकड़ा गया था, तब उन्होंने कहा था कि वह निर्दोष हैं। तब भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे समेत पार्टी विधायकों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि उनको इस मामले में जबरदस्ती फंसाया गया है। राठौड़ ने कहा था कि वह दारिया की शक्ल तक नहीं जानता। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने भी कहा कि राठौड को बेवजह फंसाया जा रहा है।

गौरतलब है कि 23 अक्टूबर 2006 को राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) ने मानसरोवर थाना इलाके में दारा सिंह उर्फ दारिया सिंह को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। सुप्रीम कोर्ट ने मृतक दारा सिंह की पत्नी सुशीला देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौपीं थी।

दारिया फर्जी मुठभेड प्रकरण के आरोपी अरशद अली ने नवम्बर 2012 में जबकि, सुभाष गोदारा, सरदार सिंह, बद्री प्रसाद, जग्गा राम गुर्जर ने गत 25 जुलाई 2011 को अदालत में आत्मसमर्पण किया था। शेष सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था।

सीबीआइ ने दारिया फर्जी एनकाउंटर प्रकरण में सोलह में से बारह अभियुक्त भारतीय पुलिस सेवा के निलम्बित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अरविन्द कुमार जैन, भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ए पोन्नूचामी, राजस्थान पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अरशद अली, निसार खान, और अन्य पुलिसकर्मी नरेश शर्मा, सत्य नारायण गोदारा, सुरेन्द्र सिंह, चालक सरदार सिंह, बद्री प्रसाद, जग्गा राम गुर्जर और सुभाष गोदारा पहले से ही न्यायिक हिरासत में रहे थे। बाद में आईपीएस पोंनुचमी को भी बरी कर दिया गया था।

2014 में राजेन्द्र सिंह राठौड़ बरी हुए

सीबीआइ की ओर से इस मामले में अदालत में पेश किए चालान में जुल्फिकार अली, विजय कुमार और राजेश फरार चल रहे थे, लेकिन साल 2014 में जब राजेन्द्र सिंह राठौड़ बरी हुए, तब सभी अभियुक्तों ने अदालत में समर्पण कर दिया था। सीबीआइ की ओर से अदालत में पेश किए चालान में पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा विघायक राजेन्द्र सिंह राठौड का नाम भी शामिल किया गया था। जिसपर जोरदार राजनीति हुई।

हेड कांस्टेबल, ASI सहित 14 आरोपी थे, जिन्हें कोर्ट ने आज बरी किया 

राजेंद्र राठौड़ और IPS पुन्नूचामी के अदालत से बरी होने के बाद पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, ASI सहित 14 आरोपी थे। जिनको आज अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। बताया जा रहा है कि राजेंद्र राठौड़ और कौन हो 4 मई को अदालत से बरी होने से पहले दारा सिंह की पत्नी सुशीला सिंह के बीच एक गुप्त समझौता हुआ था। जिसके आधार पर राठौड़ के खिलाफ बयान देने वाले पलट कर दिया गया।

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