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बहन ने अपनी IPS दीदी के लिए बनाई थी 'उड़ान', घर-घर में लोगों के बीच बन गईं मिसाल

देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार रात निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रही...
बहन ने अपनी IPS दीदी के लिए बनाई थी 'उड़ान', घर-घर में लोगों के बीच बन गईं मिसाल

देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार रात निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रही भट्टाचार्य ने 72 वर्ष की उम्र में मुंबई के एक अस्‍पताल में अंतिम सांस ली। कंचन चौधरी भट्टाचार्य किरन बेदी के बाद देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी थीं। 1973 बैच की महिला आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य के जीवन संघर्ष पर उन्‍हीं की बहन कविता चौधरी ने 80 के दशक में दूरदर्शन पर 'उड़ान' नाम एक सीरीयल भी पेश किया था, जिसने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थीं।

‘उड़ान’ सीरियल दूरदर्शन पर 1989 से 1991 के बीच आया था। यह धारावाहिक महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित था। ये इन्हीं आईपीएस कंचन चौधरी भट्टाचार्य की कहानी से प्रेरित था। खास बात ये है कि इस सीरियल में कंचन का किरदार उनकी छोटी बहन कविता चौधरी ने निभाया था। वो ही इस सीरियल की डायरेक्टर और राइटर भी थीं। इसमें मशहूर एक्टर और डायरेक्टर शेखर कपूर ने भी रोल किया था।

इसमें दिखाया गया था कि कल्याणी सिंह नाम की एक युवा लड़की हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आईपीएस अधिकारी बन जाती है। यह शो ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था और इस शो ने कई महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया।

हिमाचल प्रदेश की रहने वाली थीं कंचन चौधरी

कंचन चौधरी भट्टाचार्य मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली थीं। 2004 में उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं। 31 अक्टूबर 2007 को वे पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुईं।उनका पुलिस सेवा का पूरा करियर शानदार रहा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। उन्होंने वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा।

चुनौती पूर्ण रहा जीवन

कंचन चौधरी ने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से पढ़ाई पूरी की। वहीं, पोस्ट-स्नातक स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली-यूनिवर्सिटी से की। उन्हें मेक्सिको में 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की और से प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया था। 1997 में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें ‘राष्ट्रपति पदक’ भी मिल चुका है।

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