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कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ किसानों के हितों के लिए सख्त कानून लाएगा पंजाब

केंद्र के कृषि विधेयकों को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में निरस्त करने के साथ पंजाब की कैप्टन...
कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ किसानों के हितों के लिए सख्त कानून लाएगा पंजाब

केंद्र के कृषि विधेयकों को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में निरस्त करने के साथ पंजाब की कैप्टन अमरिदंर सिंह  सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए कड़ा कानून विधानसभा में लाए जाने की तैयारी मैं है। किसानों और विपक्षी दलों के दबाव में सोमवार से शुरु हुए विधानसभा के इस विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को पंजाब सरकार केेंद्र के कृषि विधेयकों को निरस्त करने का प्रस्ताव लाएगी। सदन की सोमवार की कार्रवाई में यह प्रस्ताव अधिसूचित नहीं हुआ है। ढेड साल बाद पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हरेक दल किसानों के कृषि िवधेयक के िखलाफ छिड़े आंदोलन को अपने पक्ष में भुनाना चाहता है।

  एनडीए से अलग हुए शिरोमणी अकाली दल के विधायक सोमवार को विधानसभा सत्र के लिए ट्रैक्टर रैली निकाल कर आए वहीं आम आदमी पार्टी के विधायकांे ने विधानसभा के बाहर कृषि बिल की कॉपियां दहन कर रोष प्रदर्शन किया। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की अगली पारी की फिराक में  कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों का एक सुर मंे कहना है कि नए कृषि विधेयकों को किसी भी सूरत में पंजाब में लागू नहीं होने दिया जाए। केंद्र के कृषि विधेयकों को निरस्त करने के साथ कैप्टन सरकार विधायकों के सुझाव पर राज्य में लागू अपने कृषि विधेयक मंे एमएसपी से कम दाम पर खरीद करने वालों को 5 साल तक कैद और भारी जुर्माना लगाने जैसे प्रावधान ला सकती है। विधानसभा सत्र से पहले कृषि कानूनों पर विस्तृत चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पी. चिदंबरम के साथ भी विचार-विमर्श किया। विधानसभा में कृषि विधेयक निरस्त िकए जाने के साथ कांग्रेस किसानों की यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक जारी रहेगी।

  इधर कृषि बिलों पर किसानों को सियासी फायदे के लिए प्रयोग होने से बचाने के लिए पंजाब की किरती किसान यूनियन ने बाकी 29 किसान संगठनों से खुद काे अलग रखने का फैसला किया है। कैप्टन सरकार के आहवान पर 29 किसान संगठनों मंे से अधिकतर ने रेलवे ट्रैक्स व टोल प्लाजा पर मौर्चें 20 अक्टूबर तक जारी रखने का फैसला किया है वहीं भारतीय किसान यूनियन(बीकेयू) उगरांह ने अनिश्चितकाल के लिए धरने जारी रखने का फैसला किया। बीकेयू(उगरांह)के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने आउटलुक को बताया कि उनकी यूनियन किसी सियासी दल या किन्हीं अन्य किसान यूनियनों के दबाव मंे काम नहीं करेगी। किसानों का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार कृषि विधेयक वापस नहीं ले लेती।  कोकरीकलां का कहना है कि उनकी यूनियन से जुड़े किसान कृषि क्षेत्र में दखल देने वाले कॉरपोरेट्स के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को घेराव करेगी। रिलायंस के पेट्रोल पंपों के बाद अब रिलायंस मार्ट व स्टोर्स का घेराव किया जाएगा। वहीं मोगा स्थित अडानी के साइलो से अनाज की आवाजाही बाधित की जाएगी।

    बीकेयू डकोंदा व बीकेयू एकता के प्रवक्ता डा.दर्शन पाल के मुताबिक पंजाब के 29 किसान संगठनों द्वारा जल्द ही भाजपा के जिला प्रधानों से लेकर राज्य स्तर के नेताओं के घरों का घेराव किया जाएगा। पाल का कहना है कि धरने प्रदर्शन के लिए किसानों के मौर्चों में अभी तक 7 किसानों की मौत हो चुकी है। इनके परिवारों को राहत के लिए अभी तक केंद्र और राज्य सरकार ने अभी तक कोई घोषणा नहीं की है।   

 

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