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किसानों का साथ नही मिलने से अकाली दल की बढ़ी परेशानी, अब सीधे कैप्टन पर हमला करने की रणनीति

केंद्रीय मंत्रीमंडल से हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद एनडीए से किनारा करने वाले शिरोमणी अकाली दल...
किसानों का साथ नही मिलने से अकाली दल की बढ़ी परेशानी, अब सीधे कैप्टन पर हमला करने की रणनीति

केंद्रीय मंत्रीमंडल से हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद एनडीए से किनारा करने वाले शिरोमणी अकाली दल (शिअद)को किसान संगठनों का समर्थन न मिलने से शिअद अब पंजाब की कांग्रेस सरकार पर अक्रामक हो गया है। 28 अगस्त को पंजाब विधानसभा सत्र का बहिष्कार करने वाला शिअद अब सदन का विशेष सत्र बुलाए जाने पर अड़ा है। शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने अगले एक हफ्ते के भीतर सदन का विशेष सत्र बुला तीनांे कृषि अध्यादेशों को पंजाब के लिए निरस्त करने की मांग रखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चेतावनी दी है कि यदि एक हफ्ते के भीतर विधानसभा सत्र नहीं बुलाया गया तो अकाली मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों के घरों का घेराव करेंगे। शिअद के इस कदम पर  मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि कृषि विधेयकों के प्रारुप तैयार होने से लेकर इनके लोकसभा व राज्यसभा मंे पारित होने तक एनडीए का समर्थन करने वाले शिअद को अब पंजाब के किसान याद आने लगे। जब कृषि िवधेयक िबलों का प्रारुप तैयार हो रहा था तब शिअद ने किसान संगठनांे की राय केंद्र सरकार तक क्यों नहीं पहुंचाई।

 पिछले 20 दिनों से अपने हकों की लड़ाई के लिए रेल टैक्स,टोल प्लाजा और पेट्रोल पंपों पर पक्के मौर्चें लगाए बैठे किसानों के बीच जाने की कोई बड़ा सियासी नेता हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। पठानकोट-हाेशियारपुर के रास्ते टोल प्लाजा पर पक्का मौर्चा लगाए बैठे किसानों द्वारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पर हुए हमले को भी भाजपा द्वारा यह कहकर सियासी रंग दिया जा रहा है कि हमलावर कांग्रेसी थे। दरअसल पंजाब मंे भाजपा से शिअद के अलग होने से यहां भाजपा का अस्त्तित्व खतरे मंे हैं। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ने की है। भाजपा के पास एक भी ऐसा कद्दावर नेता नहीं है जिसे मुख्यमंत्री का चेहरा बना चुनावी मैदान में उतारा जा सके। राज्य की 113 विधानसभा सीटांे मंे से अभी तक केवल 23 सीटों पर लड़ती आई भाजपा को सभी 113 सीटांे के लिए मजबूत चेहरे तलाशने होंगे जो राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव को चौकोणीय मुकाबले में परिवर्तित कर सके। अभी तक चुनावी मैदान में कांग्रेस की टक्कर मंे शिअद के अलावा आम आदमी पार्टी है।

बगैर शिअद के विधानसभा चुनव के लिए पंजाब में भाजपा थर्ड फ्रंट के नेताओं को एकजुट कर अपने पाले में लाने की रणनीति बना रही है। इनमें आम आदमी पार्टी के पटियाला से पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी और अाप के बड़े नेता रहे सुच्चा सिंह छोटेपुर, शिअद के बागियों में सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा और उनके पुत्र पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा,टकसाली अकाली नेताओं में पूर्व सांसद रणजीत सिंह ब्रहमपुरा,पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां आदि हैं पर इनका जनाधार अपने हलकों तक ही सीमित है। ऐसे में भाजपा को शिअद के बगैर किसी गठजोड़ से भी ताकत मिलना मुश्किल है।

किसानों के संघर्ष के दौरान लगातार उनके बीच पैंठ बनाने की जोरआजमाइश में आम आदमी पार्टी  2022 के विधानसभा चुनाव में पंजाब की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही है। हालांकि आप के समक्ष भी संकट मुख्यमंत्री चेहरे का ही है। कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भले ही 2017 के चुनाव से पहले उस चुनाव को अपनी आखिरी पारी बता िसयासी खेल खेला पर जैसे ही सरकार का एक साल पूरा हुआ कैप्टन अपनी कथनी से पलट गए इसलिए 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए भी वे खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाने की तैयारियों में अभी से जुटे हैं। 92 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल 2022 तक स्वस्थ रहते हैं तो शिअद का सीएम चेहरा बड़े बादल होंगे वहीं विकल्प के तौर पर शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर के नाम की भी चर्चा है।    

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