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हरियाणा में कांग्रेस ने धान की खेती पर रोक लगाने के विरोध में किया धरना-प्रदर्शन

कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा हरियाणा के...
हरियाणा में कांग्रेस ने धान की खेती पर रोक लगाने के विरोध में किया धरना-प्रदर्शन

कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा हरियाणा के कुछ हिस्सों में धान की खेती पर लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध किया और दावा किया कि यह किसानों को लगभग 4.5 लाख एकड़ भूमि में धान की फसल उगाने से वंचित करेगा।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व विधायक अनिल धंतोरी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने शाहाबाद में एक धरने में भाग लिया और राज्य सरकार से इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की। धंतोरी ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए केवल चार नेताओं को प्रतीकात्मक विरोध के लिए आमंत्रित किया गया। धरने के बाद कांग्रेसी नेताओं ने राज्यपाल के नाम लिखा पत्र राज्य सरकार के स्थानीय उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को सौपा। इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुरजेवाला ने भाजपा-जेजेपी सरकार पर किसानों को धान की खेती से वंचित करने का आरोप लगाया। सुरजेवाला ने राज्य सरकार से पूछा कि आप किसानों को उनकी ही जमीन पर धान की खेती करने से कैसे रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान अगर धान की खेती करते हैं तो सरकार एमएसपी पर नहीं खरीदने की धमकी दे रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि गठबंधन सरकार उत्तरी हरियाणा के किसानों को "मेरी पान मेरी वीरसत योजना" की आड़ में "सजा" दे रही है। भाजपा-जेजेपी सरकार ने शाहबाद, पिपली, बाबैन, इस्माइलाबाद, सिवान, गुहला और राज्य के विभिन्न ब्लॉकों में धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है, जोकि किसानों को स्वीकर नहीं है। सुरजेवाला ने दावा किया कि आश्चर्य की बात है कि भाजपा-जेजेपी के के विधायक और सांसद हरियाणा में हजारों किसानों को अपनी पुश्तैनी जमीन पर लगभग 4.5 लाख एकड़ जमीन पर धान की खेती से वंचित कर रहे हैं।

मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को राज्य सरकार के आदेश का विरोध करना चाहिए - सुरजेवाला

उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को राज्य सरकार के आदेश का विरोध करना चाहिए और यदि वे किसानों, चावल मिलों और व्यापारियों की रक्षा नहीं कर सकते हैं, तो उन्होंने जनप्रतिनिधि के रूप में नैतिक अधिकार खो दिया है इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि खट्टर सरकार द्वारा फसल विविधीकरण योजना अंतत: बड़ी संख्या में किसानों को फसल उगाने से हतोत्साहित करके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद को रोकने की साजिश है।

राज्य सरकार का प्रयास कुल 19 प्रखंडों के किसान धान की खेती नहीं करें

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि नये तानाशाही आदेश एवं खट्टर सरकार द्वारा लाई गई योजना के तहत वे अब चाहते हैं कि पहचान किये गए आठ अलग- अलग प्रखंडों और कुल 19 प्रखंडों के किसान धान की खेती नहीं करें और यदि वे तब भी फसल उगाना जारी रखते हैं तो धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने से इनकार करके उन्हें दंडित किया जाए। उन्होंने कहा कि साथ ही वे चाहते हैं कि 26 अन्य प्रखंडों में किसानों को पंचायती भूमि पर धान की खेती करने के अधिकार से वंचित किया जाए। यह इस तथ्य के बावजूद है कि राज्य की सरकार द्वारा गत वर्ष शुरू की गई ‘जल ही जीवन योजना’ (अन्य फसल विविधीकरण योजना) को चुपके से बंद कर दिया गया।

सरकार ने अधिक पानी खपत वाले क्षेत्र में धान के बजाए अन्य फसल उगाने की हुई है घोषणा

हरियाणा सरकार ने हाल ही में पानी की बचत के लिए अधिक पानी खपत वाले धान की बजाय अन्य फसल उगाने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन देने की घोषणा की थी। सरकार ने कहा था कि पंचायत क्षेत्रों में जहां भूजल की गहरायी 35 मीटर से अधिक है वहां धान की बुवाई की इजाजत नहीं दी जाएगी।

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