Advertisement

हादसों की खुराक बनते भारतीय वायुसेना के जवान और विमान

भारत अपने सैन्य जवान और विमान के बल पर अपना सीना फुलाए रखता है। लिहाजा यह देश दुनिया में अपनी ताकत को...
हादसों की खुराक बनते भारतीय वायुसेना के जवान और विमान

भारत अपने सैन्य जवान और विमान के बल पर अपना सीना फुलाए रखता है। लिहाजा यह देश दुनिया में अपनी ताकत को दूसरे से कमतर नहीं आंकता। लेकिन हमारी वायु सेना के जवान और विमानों को लगातार लीलते खतरनाक हादसों ने ‌चिंता की काली रेखाएं खींच दी हैं। बिना किसी जंग के शहीद होते हमारे देश के पहरेदारों की सुरक्षा के लिए फिक्रमंदी और उसके पोख्ता इंतजाम निहायत जरूरी हैं। ऐसे में इन मामलों को लेकर सरकार की गंभीरता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

6 अक्टुबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में ट्रेनिंग के दौरान भारतीय वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर- एमआई-17 वी5 क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में सात सैन्यकर्मियों की जान चली गई, जिसमें पांच वायु सेना के कर्मचारी थे और दो पायलट थे। दुघर्टना के मामले में जांच के आदेश जारी किए गए हैं।

ऐसा नहीं है कि ऐसी दुर्घटना इक्का-दुक्का हुई हो बल्कि इसी साल 23 मई को अरुणाचल प्रदेश में सुखोई-30 एमकेआई विमान लापता हो गया था और बाद में उसका मलबा बरामद हुआ था। जिसमें दो पायलटों की मौत हो गई थी।  वहीं 15 मार्च 2017 को सुखोई लड़ाकू विमान राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें तीन लोग घायल हो गए। इस तरह यह फेहरिस्त काफी लंबी है। कई विमान-जवान का महज मलबे और शव में तब्दील होना कई सवाल पैदा करते हैं।

पिछले वर्ष रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने दलील दी थी कि सेना में 1986 के बाद से 93 हेलीकॉप्टर हादसे हो चुके हैं, लेकिन इनमें 62 फीसदी हादसों की वजह मानवीय भूल रही है। जबकि 22 फीसदी ही तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हुए। रक्षा जानकारों के मुताबिक 2010 के बाद भी 28 सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए हैं, जिनमें 50 जानें जा चुकी हैं।

इसे लेकर पर्रिकर ने विश्वास दिलाया था कि जब तक कोई हेलीकॉप्टर बिलकुल सही न हो, उड़ान नहीं भरेगा।

कुछ हादसों की टाइमलाइन

-अरुणाचल प्रदेश में 23 मई को सुखोई-30 एमकेआई विमान लापता हो था. जिसका मलबा बाद में बरामद हुआ। इस दौरान दो पायलटों की मौत हुई।

-15 मार्च 2017 को सुखोई लड़ाकू विमान राजस्थान के बाड़मेर के पास हादसे का शिकार हो गया, इसमें तीन लोग घायल हो गए।

-मई 2014 को वायुसेना का MiG-21 लड़ाकू विमान जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में क्रैश हो गया, इस दुर्घटना में पायलट की मौत हो गई।

-28 मार्च 2014 को C-130J सुपर हर्क्यूलिस स्पेशल ऑपरेशन ट्रांसपोर्ट ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हुआ। इस दौरान चालक दल के पाचं लोगों की मौत हो गई।

-अरुणाचल प्रदेश में 9 जून 2009 को AN-32 क्रैश हो गया, इस हादसे में 13 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई।

-7 मार्च 1999 को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास AN-32 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें वायुसेना के 18 कर्मियों समेत 21 लोगों की मौत हो गई थी।

-25 मार्च 1986 को जामनगर से मस्कट जा रहा AN-32 विमान अरब सागर में लापता हो गया। इस विमान का आजतक पता नहीं चला।

उठते सवाल?

आखिर सैन्य ताकतों पर गर्व करता हमारा देश इन दुर्घटनाओं को रोकने में असफल क्यों नजर आता है? क्या विमानों की तकनीक में गड़बड़ी है या उसके पायलट की कुशलता में कमी है या दुर्घटना का शिकार बनने वाले विमान अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं? ऐसे में देश सेवा कर रहे जवान मौत की हवा में गोते लगा रहे हैं।

नब्बे के दशक में जॉर्ज फर्नांडिस ने संसद में कहा था कि सरकार विमान दुर्घटनाओं की दर को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है। कमोबेस यही बयान हमारी कई सरकारें अबतक दोहरा चुकी हैं।  

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad