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क्या है डीडीसीए और जेटली के भ्रष्टाचार का मामला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सचिव राजेंद्र कुमार के ठिकानों और दफ्तरों पर छापे के बाद आम आदमी पार्टी (आप) सरकार अचानक केंद्र सरकार के खिलाफ सक्रिय हो उठी है। आज वह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जितने भी आरोप लगा रही है, उस पर आउटलुक ने पहले ही कवर स्टोरी (1-15 जुलाई) ‘अब जेटली की बारी’ प्रकाशित किया था। ये सभी आरोप भाजपा के ही सांसद कीर्ति आजाद एक अरसे से लगाते आ रहे हैं। डीडीसीए के घपले और अरुण जेटली के कनेक्‍शन का सच क्या है, इस खबर से स्पष्ट हो जाएगा।
क्या है डीडीसीए और जेटली के भ्रष्टाचार का मामला

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने एक दिवसीय मैचों से बैटिंग पावरप्ले भले ही हटा दिया हो, ललित मोदी कांड के बाद लगातार रहस्योद्घाटनों से लगता है कि भारतीय क्रिकेट में पावर प्ले और मनी प्ले यानी राजनीति और धन के गठजोड़ का वर्चस्व अपूर्व है। इसमें अपनी करतूतों के कारण विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुक्चयमंत्री वसुंधरा राजे की जनमत में धुनाई के बाद अब वित्त मंत्री की बारी है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी नसीहत देनी पड़ गई कि हवाला कांड में नाम उछलने के बाद उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था इसलिए सुषमा और वसुंधरा को भी इस बारे में सोचना चाहिए। यदि भारतीय कानून के लंबे हाथों से विदेश भाग छूटे तरह-तरह के काले धन से जगमग आईपीएल के जनक ललित मोदी के मुनाफे में अपनी पारिवारिक हिस्सेदारी की वजह से उनकी मददगार स्वराज और राजे की वजह से केंद्र की भाजपा सरकार की जान सांसत में है तो ललित मोदी के ट्वीटों से भी ज्यादा अपनी ही पार्टी के सांसद कीर्ति आजाद और बिशन सिंह बेदी जैसे उनके मशहूर पूर्व क्रिकेटर साथियों के गंभीर आरोपों की सफाई देने से जेटली अब तक बचते रहे हैं। वैसे विपक्ष के शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, शशि थरूर और राजीव शुक्ला को भी अपने खिलाफ आरोपों की बहुत सफाई देनी है लेकिन अभी सत्ता में होने के कारण अपने तीन नेताओं की वजह से भाजपा ज्यादा कटघरे में है, खासकर इसलिए कि वह भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दुहाई देकर सत्ता में आई। खासकर इसलिए भी कि अपने नेता जेटली के नेतृत्व वाली बीसीसीआई कमेटी की ही एक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी गौतम अडानी की कंपनी के ललित मोदी से अनुचित लाभ पाने की बात आई। इसलिए भी कि साल भर से सत्ता में होने के बावजूद इस सरकार ने ललित मोदी को वापस भारत लाने की पहल करना तो दूर, अपनी विदेश मंत्री को उनकी मदद करने की छूट दी। और इसलिए भी कि जहां विपक्ष के नेताओं के बस नाम बताए जा रहे हैं, भाजपा नेताओं के धन प्रवाह (मनी ट्रेल) और हितों के जुड़ाव के दस्तावेज दिख रहे हैं।

इसमें सबसे पहले तो वसुंधरा का नाम आता है जिन्होंने कागजी रूप से मोदी की मदद की। शुरू में पता चला कि मोदी ने उनके बेटे की कंपनी नियंत होटल्स में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। बाद में यह खबर सामने आई कि इस कंपनी में वसुंधरा के शेयर भी हैं यानी मोदी के करोड़ों निवेश का फायदा वसुंधरा को भी सीधे मिला। सुषमा स्वराज को भले ही सीधे धन लाभ न हुआ हो मगर हितों के टकराव का मामला तो बनता है क्योंकि उनके पति और बेटी ललित मोदी के वकील रहे हैं और विदेश मंत्री के रूप में सुषमा ललित मोदी की मदद करते पाई गई हैं। इस मदद का धन्यवाद भी ललित मोदी ने सुषमा को नहीं बल्कि उनके पति स्वराज कौशल को फोन करके किया। इस कड़ी में अरुण जेटली का नाम भले ही ललित मोदी से सीधा न जुड़ रहा हो मगर क्रिकेट की राजनीति में दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के रूप में उनके ऊपर उनकी ही पार्टी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने दर्जनों आरोप लगाए हैं।

सबसे पहले संडे टाइम्स ने जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद से ललित मोदी के ब्रिटेन से पुर्तगाल जाने की खबर का खुलासा किया था तो मोदी ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा था कि संडे टाइम्स के मालिक रूपर्ड मर्डोक उनसे पुरानी खुन्नस निकाल रहे हैं लेकिन इसके बाद ही उन्होंने वसुंधरा राजे और कुछ अन्य राजनीतिज्ञों से अपने मधुर संबंधों तथा उनसे मिलने वाली मदद की बात स्वीकार कर ली। ललित मोदी का यह भी दावा है कि भारत में क्रिकेट और राजनीति के बीच उनकी गहरी पैठ है, खासकर कुछ ऐसे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध रहे हैं जो पिछले कुछ दशकों से भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के शीर्ष पदों पर काबिज हैं। मोदी ने 2010 के आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के बाद भारत छोड़ दिया था, लगभग उसी समय केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आईपीएल से जुड़े कुछ मुद्दों की जांच शुरू करा दी थी। बीसीसीआई की अनुशासन समिति ने इनमें से आठ मामलों में मोदी को अनियमितता और कदाचार बरतने का दोषी पाते हुए उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। इस समिति के अध्यक्ष अरुण जेटली ही थे और अब उनका वित्त मंत्रालय मोदी मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में अब तक की सुस्त रफ्तार जेटली के खिलाफ कीर्ति आजाद के अभियानों को और तर्कसंगत तथा मजबूत करती है जिसके तहत बतौर डीडीसीए अध्यक्ष जेटली के मातहत भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलने वाली और दिल्ली क्रिकेट की दुर्दशा बयां करने वाली लगभग 200 चिट्ठियां वित्त मंत्री को वह लिख चुके हैं। मजे की बात है कि डीडीसीए अध्यक्ष ने इनमें से किसी चिट्ठियां का जवाब देना उचित नहीं समझा बल्कि उन पर अपने द्वारा कथित तौर पर 'लादे गए’ अहसान (25 सितंबर, 2010 को लिखे पत्र) ही गिना दिए।

मोदी के खिलाफ चल रही जांच को देखते हुए भारत सरकार ने मोदी का पासपोर्ट रद्द कर दिया और उन्हें ब्रिटेन में ही रहने को मजबूर कर दिया। संडे टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, पिछले साल मोदी की पत्नी पुर्तगाल में कैंसर का इलाज करवा रही थीं इसलिए उन्होंने ब्रिटेन सरकार से यात्रा प्रमाण-पत्र की मांग की। ब्रिटिश सरकार ने उसकी मांग यह कहकर खारिज कर दी कि भारतीय कानून के मुताबिक मोदी भगोड़ा है। लेकिन सुषमा स्वराज ने जब उसे आश्वासन दिया कि मोदी की यात्रा से भारत सरकार को कोई आपत्ति नहीं है तो उन्हें पुर्तगाल जाने की इजाजत मिल गई। इसके कुछ दिनों बाद ही मोदी का पासपोर्ट जद्ब्रत करने का आदेश भी रद्द हो गया और अब वह इस पासपोर्ट से यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं। अचानक से मोदी के पक्ष में बने अनुकूल माहौल से उन पर न्यायाधीशों और ब्रिटिश अदालत की मेहरबानी की पुष्टिï होती है। ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञों के साथ मोदी के कटु रिश्ते भी थे जो पिछले कुछ दशकों से बीसीसीआई को नियंत्रित कर रहे थे। जब उन्होंने आईपीएल टीम कोच्चि टस्कर्स की फ्रेंचाइजी में कांग्रेस सरकार के एक जूनियर मंत्री शशि थरूर और उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर के परोक्ष दखल का खुलासा किया तभी से उनके अर्श से फर्श की ओर पतन शुरू हो गया। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि बीसीसीआई और राजनीतिज्ञों के बीच गहरी सांठगांठ रही है। सुषमा स्वराज से मिली मदद को जहां वह मानवता-आधार बताते हैं वहीं वसुंधरा राजे से वह अपने 30 साल पुराने संबंधों की दुहाई देते हैं। एक टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा है कि उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल तथा कांग्रेस नेता राजीव शुञ्चला से भी मदद मिली है। शुक्‍ला का दावा है कि उन्होंने तीन साल से मोदी से कोई बात भी नहीं की है जबकि पवार का दावा है कि उन्होंने पूर्व आईपीएल प्रमुख को भारत लौट आने तथा जांच का सामना करने के  लिए मनाने की कोशिश की थी।

अरुण जेटली के नेतृत्व में गठित अनुशासन समिति की बीसीसीआई को सौंपी रिपोर्ट में ललित मोदी को सन 2010 की आईपीएल फ्रेंचाइजी की बोली के दौरान दो खास कंपनियों अडानी ग्रुप और वीडियोकॉन के पक्ष में ऊंची बोली लगाने का दोषी पाया गया है। अडानी गु्रप लंबे समय से गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीएजी) का कमर्शियल पार्टनर रहा है जिसके अध्यक्ष उस समय प्रधानमंत्री हुआ करते थे और सन 2014 से इसके अध्यक्ष अमित शाह हैं। पैनल ने यह भी पाया कि तत्कालीन आईपीएल चेयरमैन ने ज्यादा बोलीदाताओं को रोकने के लिए आईपीएल की संचालन समिति (जीसी) की जानकारी या मंजूरी बगैर ही निविदा आमंत्रण (आईटीटी) के अंतिम मसौदे में दो 'अकारण एवं दुर्लभÓ शर्तें जोड़ दी थीं। मूल मसौदे का हिस्सा न होते हुए भी इन दो विवादास्पद शर्तों को जीसी की मंजूरी मिल गई जिसके तहत बोलीदाताओं के लिए कम से कम एक अरब डॉलर की पूंजी होने और 460 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देना अनिवार्य कर दिया गया। जब इसमें सिर्फ दो बोलीदाता सामने आए तो मायूस दो पार्टियों-सहारा और दैनिक जागरण- ने बीसीसीआई से शिकायत की और बीसीसीआई ने निविदा रदद कर दी। रिपोर्ट सौंपते वञ्चत जेटली उस समय बीसीसीआई के उपाध्यक्ष थे जबकि समिति में दो अन्य सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और चिरायु अमीन थे। उसी दौरान जेटली डीडीसीए के भी अध्यक्ष थे लेकिन कीर्ति आजाद की ओर से लगातार मिल रहे शिकायती पत्रों पर कोई उचित कार्रवाई करने के बजाय कीर्ति आजाद को 25 सितंबर 2010 को लिखे पत्र में उन्हें याद दिलाया कि डीडीसीए ने आपको राष्ट्रीय चयनकर्ता बनने के लिए अपना प्रतिनिधि बनाया। आपको चयन समिति के अध्यक्ष के लिए भी चुना गया लेकिन आपके संबंध डीडीसीए के साथ मजबूत नहीं हो पाए। मैं डीडीसीए में आपकी सक्रिय भागीदारी के लिए प्रयासरत रहा हूं , इसके बावजूद आप लगातार अप्रमाणित आरोप लगाते रहे हैं। एक सम्‍मानित सांसद होने के बावजूद आपने अपने पद का दुरुपयोग आरोप मढऩे में ही किया है और अतीत में भी डीडीसीए के ओल्ड क्लब हाउस को खत्म करने की कोशिश में शिकायतें की हैं।

सूत्रों का कहना है कि दरअसल बड़े नेताओं की कमाई टीवी पर क्रिकेट मैच प्रसारण के अधिकार से होती है जिसमें करार की रकम कुछ और अदायगी की रकम कुछ और होती है। इसी तरह आईपीएल फ्रेंचाइजी की कमाई परोक्ष रूप से सट्टेबाजी और मैच फिञ्चिसंग से होने की बात भी अंदरूनी सूत्र बताते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कैसे संभव होता कि पूरे टूर्नामेंट की इनामी राशि ही 15 करोड़ होने के बावजूद टीम का कोई एक खिलाड़ी ही 16 करोड़ में खरीदा जाए।

कीर्ति आजाद ने यह भी शिकायत दर्ज कराई है कि क्रिकेट के हिमायती बनने वाले जेटली ने 2 अक्टूबर 2013 को फिरोजशाह कोटला मैदान में डीडीसीए द्वारा संचालित बार में शराब बंटवाई थी जबकि महात्मा गांधी के जन्मदिन पर इस दिन शराब परोसना कानूनन जुर्म है। इस संदर्भ में उन्होंने आईपी एस्टेट पुलिस थाने में जेटली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अर्जी भी दी है। आजाद का कहना है कि डीडीसीए के एक सदस्य एन. पी. बक्चशी की शिकायत पर दिल्ली के आबकारी उपायुञ्चत आई. डी. वर्मा ने 2 अञ्चटूबर 2013 को उञ्चत बार का निरीक्षण भी किया था। वहां से बरामद शराब की तीन बोतलों से इस बात की पुष्टि हो गई थी कि शिकायत सही है। आजाद का कहना है कि यह न सिर्फ दिल्ली एक्साइज एक्ट का उल्लंघन है बल्कि प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टु नेशनल ऑनर एक्ट (1971) का भी उल्लंघन है। लिहाजा डीडीसीए के अध्यक्ष, सचिव और प्रवक्ता सहित सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई होनी चाहिए। कीर्ति आजाद लगातार डीडीसीए में हो रहे घपलों और गड़बडिय़ों के मुद्दे पर अरुण जेटली को चिट्ठी लिखते रहे हैं लेकिन जेटली के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का प्रयास करने जैसा कदम उन्होंने पहली बार उठाया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में पुलिस ने डीडीसीए से जवाब मांगा है।

लंबे समय से डीडीसीए पर काबिज अरुण जेटली पर ललित मोदी ने भी ट्वीट के जरिये अब हमला बोला है। मोदी ने ट्वीट करके जेटली से सवाल किया है कि जब आप विपक्ष के नेता थे तो लंदन के ताज होटल में नहीं मिले थे? बीसीसीआई के सदस्य करोड़ों रुपये टीए-डीए के रूप में लेते थे लेकिन आप मेरा रिकॉर्ड देख सकते हैं। मोदी ने जेटली पर यह भी आरोप लगाया कि आईपीएल में जो भी गड़बड़ी हुई है, उसके लिए एन. श्रीनिवासन और अरुण जेटली जिम्मेदार हैं। उनका अगला आरोप है कि बीसीसीआई में पांच लोगों (श्रीनिवासन, राजीव शुक्ला, अनुराग ठाकुर, अरुण जेटली और जगमोहन डालमिया) का गैंग है जो पार्टी लाइन से हटकर काम करते हैं। मोदी ने ट्वीट किया है, 'अरुण जेटली को स्वेच्छा से अपने सभी फोन रिकाड्र्स का खुलासा कर देना चाहिए, इससे सब कुछ साफ हो जाएगा। जनवरी में जेटली और जयललिता की मुलाकात श्रीनि को बचाने के लिए ही हुई थी। अरुण जेटली दिल से कांग्रेसी हैं और वह सिर्फ मेरा निशाना हैं। डीडीसीए घोटाले को मत भूलें जिसे कीर्ति आजाद ने सही तरीके से उजागर किया है, निशाने पर जेटली और नरिंदर बत्रा हैं। नरिंदर बत्रा और भूपेन यादव, जेटली की टीम के ही सदस्य हैं।’ ललित मोदी का यह भी ट्वीट है कि अरुण जेटली विपक्ष के नेता रहते हुए लंदन में उनसे अकेले में मिले थे।

जेटली की ही पार्टी के लोकसभा सांसद कीर्ति आजाद कई वर्षों से उन्हें तीखा पत्र लिखकर डीडीसीए में हुए घोटालों पर जवाब मांग रहे हैं। जेटली उनके आरोपों को हवा में उड़ाते रहे हैं मगर अब बदली हुई परिस्थितियों में जेटली के लिए इन आरोपों को खारिज करना आसान नहीं होगा। आजाद चि_ी लिखकर जेटली को समय-समय पर आगाह करते रहे कि डीडीसीए में प्रशासन किस कदर बेलगाम हो चुका है, फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के निर्माण के नाम पर कितना बड़ा घोटाला किया गया है। इन्हीं में से एक पत्र की बानगी कुछ इस प्रकार हैं:

1. अब लगता है कि डीडीसीए को लेकर क्रिकेट प्रेमियों की आशंका सच साबित हो रही है। ऐसा लगता है कि कई सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के विभिन्न मुद्दों के जरिये डीडीसीए पर कद्ब्रजा जमा रखा है जिससे डीडीसीए का बर्बाद होना तय है और इस इकाई के समर्थन में कोई नहीं आगे आ रहा है। पूर्व और वर्तमान के लगभग सभी अधिकारियों ने डीडीसीए को अंतिम दम तक निचोडऩे का ही काम किया है। यह सब हम क्या देख रहे हैं?

2. सन 2013-14 की बैलेंस शीट भी सही तरीके से नहीं बनाई जा सकती है क्योंकि इसमें एस. पी. बंसल और अनिल खन्ना ने 1.55 करोड़ रुपये के फर्जी बिल और गलत खर्चे दिखाए हैं। यह सब पंकज भारद्वाज, सी. के. भारद्वाज, प्रीतम पंवार और चौरसिया की मिलीभगत से किया गया है। सही तरीके से तैयार बैलेंस शीट के बगैर डीडीसीए को बीसीसीआई आगे कोई सहायता राशि नहीं देगा।

3. संजय भारद्वाज ने तीसहजारी अदालत में हलफनामा (केस संख्‍या 215 (3)) दिया है कि ऑडिट करने वाली संस्था का विघटन हो चुका है। यदि ऐसा है तो डीडीसीए के खातों की ऑडिट के लिए इस संस्था को नियुक्त करने की अनुमति क्या आपने दी है? यह संस्था किस हैसियत से डीडीसीए के गड़बड़ खाते की ऑडिट कर रही है? इस संस्था को लोक अदालत या सीएलबी मामलों में डीडीसीए का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति कैसे दी जा रही है?

4. पुलिस अधिक उम्र वाले खिलाडिय़ों के मामले में पहले ही एक प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है जिसमें कई लडक़ों ने धोखे से कम उम्र वाले प्रमाण-पत्र सौंपे हैं और दिल्ली की तरफ से कम आयु वर्ग की टीम में खेल रहे हैं। दिल्ली की अंडर 14 टीम के कप्तान मनजोत सिंह कालरा की अधिक उम्र को लेकर हमारा संगठन और बिशन सिंह बेदी जी भी कई शिकायतें कर चुके हैं और इन शिकायतों को सुनील देव कचरे की पेटी में डालते रहे क्योंकि वह बखूबी जानते हैं कि इस लडक़े का विशेष तौर पर चयन उन्होंने ही किया है। खिलाडिय़ों के चयन में एक बड़ा घपला चल रहा है जिसके उजागर होने पर डीडीसीए और आपकी बहुत खराब छवि सामने आ सकती है। हमारे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद आपने इस धोखाधड़ी को दबाना ही सर्वश्रेष्ठ समझा और  सुनील देव तथा विनोद तिहारा जैसे लोगों का समर्थन करते रहे ताकि सच दफन ही रहे।

5. स्टेडियम के निर्माण का भी घोटाला है। चौबीस करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू हुआ निर्माण कार्य 130 करोड़ रुपये तक पहुंच गया लेकिन निर्माण पूरा नहीं हुआ।

इस तरह के कई घोटालों का जिक्र करते हुए कीर्ति आजाद ने जेटली का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की है और कई संबंधित पत्र भी संलग्न किए हैं। पत्र में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है, 'कानून का उल्लंघन करने के मामले में किसी भी वञ्चत आपके पुराने करीबी जेल जा सकते हैं लेकिन आप अब भी उन्हें बचाने के लिए सभी हथकंडे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। अञ्चसर आप कहते भी रहे हैं कि कानून अपना काम करेगा। लिहाजा मुझे पूरा विश्वास है कि आप चाहे उन्हें बचाने की जितनी कोशिश कर लें, कानून अपना काम जरूर करेगा। डीडीसीए की धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के खात्मे में आपने कभी हमारे प्रयासों को सहयोग नहीं किया लेकिन हमने अपना प्रयास जारी रखा है। मैं वादा करता हूं कि आपको जल्दी इसके परिणाम मिलेंगे। डीडीसीए में सैकड़ों फर्जी बिलों का भुगतान सिटी टेक सॉल्यूशंस, माइक्रो सिस्टक्वस, डिजिटल सॉल्यूशंस, आर. के. ज्वेलर्स, एक्‍स्ट्रा वैल्यू कंसल्टिंग आदि कंपनियों को किया गया है।

भारतीय जनता पार्टी सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रही है। दुष्यंत सिंह की कंपनी (नियंत होटल्स) में ललित मोदी ने 11 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है जिसे वसुंधरा राजे ने भी स्वीकार किया है। वसुंधरा चुनावी हलफनामे में इस कंपनी में अपने शेयर का जिक्र कर चुकी हैं। हालांकि गलत संदेश जाने के डर से भाजपा का कोई आला नेता उनसे नीति आयोग की बैठक में मिलने से कतराता रहा। ऐसे में 21 जुलाई से शुरू हो रहा संसद का मॉनसून सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं और हो सकता है कि विपक्ष राज्यसभा की कार्यवाही को भी बाधित कर दे। वैसे ललित मोदी ने ट्वीट के जरिये यह सवाल उठाकर दोनों मुक्चय पार्टियों को लपेटे में ले लिया है कि आईपीएल, बीसीसीआई और राज्यों के संघों से टीए-डीए लेने वाले सभी सदस्यों ने अपनी आय का खुलासा किया है? नहीं तो ञ्चयों नहीं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि इन सभी सदस्यों ने प्रथम श्रेणी का किराया, होटल में ठहरने का खर्च नकद में लिया और कई ने तो अपने मंत्रालय या कंपनी को भी खर्च का बिल भेज दिया। वैसे ललित मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका और दामाद रॉबर्ट वाड्रा से मुलाकात का जिक्र छेडक़र कांग्रेस को भी सफाई देने के लिए मजबूर कर दिया है। प्रियंका गांधी के कार्यालय ने ऐसी किसी मुलाकाल से इनकार किया है।

 

      अरुण जेटली से पूर्व क्रिकेटरों के सवाल

1. डीडीसीए में आप किस हैसियत से हैं? क्‍या आपने कभी कोई प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेला है?

2. नरिंदर बत्रा को डीडीसीए में कैसे प्रवेश मिला? क्या उन्होंने कभी चुनाव लड़ा है या फिर आपने अपना प्रतिनिधि बना रखा है?

3. कोटला की जमीन किसकी है? क्‍या आपके पास भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) के वैध और हस्ताक्षरयुक्त लीज हैं? इस लीज पर कब हस्ताक्षर हुए थे?

4.  इस लीज में ञ्चया आपको अवैध निर्माण की भी इजाजत दी गई थी? या फिर 10 वर्षों के लिए कॉर्पोरेट बॉक्‍स बनाने की भी सब-लीज मिली हुई है जिसमें आपको 10 वर्षों के लिए कॉर्पोरेट बॉक्‍स बनाने का अधिकार दिया गया हैï?

5. निर्माण कार्य का ठेका किसे दिया गया था?

ञ्चया आपको पता है कि लोक निर्माण कार्यों तक के लिए उप-ठेकेदारों को मिले उप-ठेके भी असली ठेकेदार के पास ही हैं? यदि हां तो इसकी अनुमति ञ्चयों दी गई?

6. उस समय की यूपीए सरकार ने तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक (उत्तरी) के नेतृत्व में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से जांच क्‍यों शुरू कराई थी? उसका क्‍या निष्कर्ष रहा और इसकी रिपोर्ट में क्‍या सामने आया?

7.क्या यह सच है कि कई सदस्य आपको लगातार अपने सहयोगियों द्वारा की जा रही गड़बडिय़ों के प्रति आगाह करते रहे? क्या आपको मेल, चिट्ठियों और प्रतिनिधियों के जरिये तथा बैठकों और सालाना आम बैठकों (एजीएम) में आपके आसपास हो रही गड़बडिय़ों की जानकारी दी जाती रही और आप बिशन सिंह बेदी, कीर्ति आजाद, सुरिंदर खुराना, आकाश लाल, गुरचरण सिंह जैसे प्रत्येक प्रतिनिधि की शिकायतों की अनदेखी करते रहे?

8. यदि आपको इतनी शिकायतें लिखित रूप से और एजीएम की बैठकों में मिलती रही हैं तो आपने कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या यह सच है कि आप अपने करीबियों को बचाने के लिए इन शिकायतों की अनदेखी करते रहे जबकि विभिन्न गड़बडिय़ों में उनकी आपसी सांठगांठ के पर्याप्त सबूत हैं?

9. क्या यह सच है कि एजीएम में आप शिकायतों को दरकिनार करते रहे और बिलों को पास करने, एक ही लेखाधिकारी को नियुक्त करने तथा अपने साथ जुड़े ज्यादातर छद्म नामों के साथ छद्म चुनाव कराने के एजेंडे पर ही चलते रहे?

10. क्या आपको पता है कि डीडीसीए का धन घुमा-फिराकर इसके अधिकारियों के पास ही पहुंच रहा है?

क्या आपको सदस्यों और क्रिकेटरों ने आगाह नहीं किया है कि यहां के अधिकारी फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिल पेश करते हुए जनता के धन को हड़प रहे हैं?

11.क्या आपको पता है कि ज्यादातार बड़े वेंडर या ठेकेदार आपस में संबंधित कंपनियां हैं और उनके एक ही निदेशक हैं और उन्हें अब तक सिर्फ डीडीसीए से ही काम मिला है? क्या आप यह भी जानते हैं कि आपके महासचिव एस. पी. बंसल की कंपनी रतन इंडस्ट्रीज का इस्तेमाल परोक्ष रूप से डीडीसीए का धन बंसल तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है?

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