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बुरहान वानी की मौत से बिगड़ गए कश्मीर के हालात

हिजबुल के आतंकी बुरहान वानी और उसके दो साथियों के एनकाउंटर के बाद हिंसा की चपेट में पूरा कश्मीर घाटी आ गया। कई दिनों तक चली हिंसक वारदातों में 32 से अधिक मौते हुई वहीं पांच सौ से ज्यादा लोग घायल हुए इनमें पुलिस वाले भी शामिल हैं।
बुरहान वानी की मौत से बिगड़ गए कश्मीर के हालात

पुलवामा, कुपवाड़ा, शोपियां, गांदरबल, बांदीपुरा में हिंसा की सर्वाधिक घटनाएं हुई। हिंसा के कारण अमरनाथ यात्रा पर गए लोगों को भी दिक्क‍तों का सामना करना पड़ा। राज्य में खराब हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति की समीक्षा की और शांति बनाए जाने की अपील की। यहां तक की जम्मू‍-कश्मीर की मुख्य‍मंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। लेकिन इस अपील का कश्मीर की जनता पर बहुत असर नहीं पड़ा। अपील के बाद भी हिंसात्मक घटनाएं जारी रही और लोगों को भारी दिक्क‍तों का सामना करना पड़ा। कई इलाकों में लगा कफ़्यू वहां की हालात बताने के लिए काफी है। लंबे समय बाद कश्मीर घाटी में इस तरह की घटना हुई जब लोगों ने पत्थर फेंके, गाडिय़ों के शीशे तोड़े और आम लोगों को भी निशाना बनाया। इससे पहले सेना और पुलिस के जवानों को ही निशाना बनाया जाता रहा है।
22 साल का बुरहान वानी के अंदर ऐसा क्या था जिसने कश्मीर घाटी को हिंसक बना दिया। श्रीनगर से 50 किलोमीटर दूर शरीफाबाद के रहने वाले वानी पर जमात-ए-इस्लाम का गहरा असर था। बुरहान का परिवार भी जमात की विचारधारा से प्रभावित था। बुरहान ने सोशल मीडिया को जमात की विचारधारा से जोडऩे का सबसे बड़ा हथियार बनाया और इस काम में उसे सफलता भी मिली। सोशल मीडिया पर वानी के फालोअर की संख्या‍ लगातार बढ़ती जा रही थी। यहां तक उससे जुडऩे वाले युवाओं की संख्या‍ में भी बेतहाशा वृद्घि हो रही थी। बुरहान अचानक सुर्खियों में आ गया और पुलिस उसकी तलाश में जुट गई। बुरहान कश्मीरी युवाओं को लुभाने में कामयाब भी हो रहा था और भारत के प्रति नफरत के भाव पैदा करने में सफल हो रहा था।

बुरहान युवाओं को उस रास्ते पर ले जा रहा था जिसमें न तो कोई चुनाव होता था और न कोई झूठे वादे। हक के लिए कुछ भी करने का जो भाव वह युवाओं में भर रहा था यही उसकी सबसे बड़ी ताकत बनती जा रही थी। बुरहान की बढ़ रही ताकत से पुलिस भी हैरान थी। इसलिए पुलिस के सामने एक ही रास्ता था कि बुरहान को किसी तरह से रोका जाए। जिस समय बुरहान का एनकाउंटर हुआ उस समय उसके साथ दो साथी और थे जो कि एनकाउंटर में मारे गए। इस घटना ने युवाओं को विरोध का एक मुद्दा दे दिया और हिंसा भडक़ उठी। इस हिंसा में उन अराजक तत्वों का भी योगदान रहा जिन्होंने भीड़ का हिस्सा बनकर घटना का अंदाज दिया। इस हिंसा को लेकर पाकिस्तान की ओर से आई प्रतिक्रिया ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जहां अमेरिका की यात्रा स्थोगित करनी पड़ी वहीं विदेश दौरे पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपनी अधूरी यात्रा छोडक़र भारत लौटे। हिंसा को लेकर सियासत भी गरम गई है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घाटी में हिंसा संघ के एजेंडे को बढ़ाने की प्रतिक्रिया है। वहीं केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि कश्मीर में हिंसा बर्दाश्त नहीं है।

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