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अब वंशवाद पर बोले वरुण गांधी, 'पैसे और परिवार के बूते मिलता है राजनीति में मौका'

भाजपा नेता और यूपी के सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने अपने एक लेख में युवाओं को राजनीति में आने के...
अब वंशवाद पर बोले वरुण गांधी, 'पैसे और परिवार के बूते मिलता है राजनीति में मौका'

भाजपा नेता और यूपी के सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने अपने एक लेख में युवाओं को राजनीति में आने के लिए आने वाली बाधाओं का उल्लेख किया है।

उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लिखे गए एक लेख को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर युवाओं को मौका दिया भी जाता है तो उनकी पारिवारिक विरासत के आधार पर। यहां पर वरुण ने खुद को भी इसका लाभार्थी बताया है। उन्होंने लेख में इस बात का उदाहरण दिया कि कैसे दुनिया भर में युवा राजनेता तेजी से उभर रहे हैं।


उन्होंने लिखा कि ऑस्ट्रिया के नए चांसलर सेबेस्टियन कुर्ज सिर्फ 31 साल के हैं। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डेन 37 साल की हैं। टोनी ब्लेयर और डेविड कैमरून दोनों 43 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन गए थे। इमैन्युएल मैक्रॉन खुद 39 साल के हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी लोक सभा बूढ़ी हो रही है और हमारे नेता रिटायरमेंट की उम्र से ज्यादा के होकर भी सत्ता पर काबिज हैं।

वरुण लिखते हैं कि आज के दौर में युवाओं की राजनीति में भागीदारी पैसा, पारिवारिक विरासत और संपर्क पर निर्भर है। वरुण गांधी सर्बिया और केन्या में युवा नेताओं को ट्रेनिंग देने वाले प्रोग्राम का भी जिक्र करते हैं।

इसके अलावा उन्होंने राजनीति में युवाओं के आरक्षण की भी वकालत की है। उन्होंने कहा कि मोरक्को, पाकिस्तान, केन्या और इक्वाडोर जैसे देश युवाओं के लिए सीटें तय कर रखी हैं। अगर कई मानकों से लेकर जातीय समूहों को आरक्षण दिया जा सकता है तो युवाओं को क्यों नहीं?

वरुण गांधी ने इक्वाडोर, एल सल्वाडोर, युगांडा और बुरुंडी जैसे देशों का हवाला देते हुए कहा है कि इन देशों में उम्मीदवारी की उम्र घटाकर 18 साल कर दी गई है। वह बताते हैं कि बोस्निया में अगर किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है तो आर्टिकल 13.7 के मुताबिक, वे सीट सबसे युवा उम्मीदवार को दे देते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक ढांचे को युवाओं का सशक्तिकरण करना चाहिए। युवा नेता समझते हैं कि नए भारत को क्या चाहिए। राजनीतिक पार्टियों को ऐसे नेताओं को बढ़ावा देने के लिए स्पेस देना चाहिए। 

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