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गुरदासपुर में कांग्रेस की बंपर जीत के मायने, कहां चूकी भाजपा और आप

पंजाब में भाजपा सांसद विनोद खन्ना की मौत के बाद खाली हुई गुरदासपुर सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने...
गुरदासपुर में कांग्रेस की बंपर जीत के मायने, कहां चूकी भाजपा और आप

पंजाब में भाजपा सांसद विनोद खन्ना की मौत के बाद खाली हुई गुरदासपुर सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने भारी अंतर से चुनाव जीत लिया। कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने भाजपा के स्वर्ण सिंह सलारिया को तकरीबन 2 लाख के अंतर से हराया।

राज्य में कांग्रेस की जीत के बाद इस सीट पर इतने बड़े अंतर से जीत को कैप्टन अमरिंदर सिंह के बढ़ते कद की तरह भी देखा जा सकता है। इसके अलावा कुछ और वजहें भी रहीं, जिन्होंने कांग्रेस की जीत में भूमिका निभाई।

भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू का भी असर पड़ा।

सबसे ज्यादा नुकसान में रही आम आदमी पार्टी। आम आदमी पार्टी को दिल्ली से बाहर नहीं गिना जाता है लेकिन माना जा रहा था कि पंजाब में उसकी अच्छी पकड़ बन गई है लेकिन विधान सभा चुनाव के नतीजे और गुरूदासपुर के नतीजे बताते हैं कि अभी भी आम आदमी पार्टी पंजाब में पैर नहीं जमा सकी है। इसके अलावा पिछले दिनों पार्टी के भगवंत मान के नशे में होने के कुछ वीडियो भी सामने आए थे, जिसकी वजह से पार्टी की साख को धक्का लगा।

उपचुनाव में वोटिंग भी कम हुई है। राज्य में नई सरकार चुनकर आई है इसलिए अभी उससे लोग खासे नाराज नहीं दिख रहे हैं। लोग कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के बारे में कोई राय बनाने से पहले उन्हें थोड़ा समय भी देना चाहते हैं।

बीजेपी और अकालियों के बीच नजर आ रही दूरियों ने भी इस चुनाव में कांग्रेस की जीत में भूमिका निभाई। दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और नवजोत सिंह सिद्धू ने सुनील जाखड़ का प्रचार किया।

भाजपा उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया की छवि भी उनके लिए परेशानी का सबब बनी। उन पर बालात्कार के आरोप रहे हैं हालांकि सलारिया ने इन आरोपों से इनकार किया। वहीं शिरोमणि अकाली दल के सुच्चा सिंह लंगा पर भी बलात्कार का आरोप है। उधर, सुनील जाखड़ पर कोई आरोप नहीं था।

जीएसटी के बाद आई व्यापारियों की परेशानियों को भी इस हार का एक कारण माना जा सकता है।

भले ये कहा जाए कि एक सीट के चुनाव से पूरे राज्य की जनता का मूड नहीं भांपा जा सकता लेकिन कांग्रेस इसे बड़ी जीत की तरह पेश करने का मौका नहीं चूकेगी और आने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी इसका फायदा उठाना चाहेगी।

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