अनुच्छेद 370 में संशोधन के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर देश-विदेश की मीडिया में अलग-अलग खबरे आ रही हैं। बीबीसी सहित कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों ने अपनी खबरों में 9 अगस्त को श्रीनगर के सौरा इलाके में बड़े विरोध प्रदर्शन की बात कही थी। बीबीसी के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागने के अलावा पैलेट गन का भी इस्तेमाल किया। इसका सरकार की तरफ से साफ तौर पर खंडन किया गया था। लेकिन जम्मू-कश्मीर के एडिशनल डायरेक्टर जनरल मुनीर खान ने बुधवार को बताया कि श्रीनगर और अन्य जिलों के विभिन्न हिस्सों में कुछ घटनाएं हुई हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया गया था। कोई बड़ी चोट नहीं आई है। पैलेट गन से कुछ लोगों को चोटें लगी हैं, जिनका इलाज किया गया है।
गृह मंत्रालय की सफाई, उपद्रवियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की
इससे पहले गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने 10 अगस्त को एक ट्वीट किया था। इसमें रॉयटर्स और पाकिस्तान के अखबार डॉन में प्रकाशित इस खबर को मनगढ़ंत और गलत बताया गया कि श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन में 10 हजार लोगों ने भाग लिया। मंत्रालय के अनुसार श्रीनगर और बारामूला में छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए और उनमें 20 से भी अधिक लोग शामिल नहीं थे।
गृह मंत्रालय की तरफ से एक और ट्वीट किया गया कि श्रीनगर के सौरा क्षेत्र की घटना को लेकर मीडिया में खबरें आई हैं। 9 अगस्त को लोग स्थानीय मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद लौट रहे थे। उनमें कुछ उपद्रवी भी थे, जिन्होंने अशांति फैलाने के लिए सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की। लेकिन सुरक्षा बलों की तरफ से कोई फायरिंग नहीं की गई।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईंटों भरी गली की तसवीर छापी
लेकिन अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने 12 अगस्त को अपने फ्रंट पेज पर पथराव के बाद ईंटों से भरी एक गली की तसवीर छापी। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 7 लोग जख्मी भी हुए। हालांकि, भारतीय मीडिया में इस तरह की कोई खबर नहीं आई और सरकार की तरफ से भी ऐसी किसी घटना का जिक्र नहीं किया गया। न ही इस खबर का खंडन किया गिया। यहां तक कि कुछ लोगों ने विदेशी मीडिया सहित बीबीसी को कश्मीर मसले पर ‘झूठ’ बोलने और ‘प्रोपेगेंडा’ चलाने का आरोप लगाया।
लेकिन, एडिशनल डायरेक्टर जनरल मुनीर खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बताया उससे अलग ही कहानी सामने आती है। उन्होंने कहा कि श्रीनगर और अन्य जिलों के विभिन्न हिस्सों में कुछ घटनाएं हुई हैं। पैलेट गन से कुछ लोगों को चोटें लगी हैं, जिनका इलाज किया गया है।
पूरे जम्मू-कश्मीर में इस महीने के शुरू से ही भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। 4 अगस्त की रात को कर्फ्यू भी लगा दिया गया था। साथ ही, पूरी घाटी में इंटरनेट, मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं बंद हैं। इस बीच मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया, जहां सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हालात बहुत ही संवेदनशील हैं, लेकिन अभी तक खून की एक भी बूंद नहीं बही है और न ही किसी मौत हुई।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    