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वायु प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाया दिल्ली-एनसीआर में निर्माण पर प्रतिबंध, कहा- प्रभावित श्रमिकों को करें भुगतान

बिगड़ती वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र...
वायु प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाया दिल्ली-एनसीआर में निर्माण पर प्रतिबंध, कहा- प्रभावित श्रमिकों को करें भुगतान

बिगड़ती वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने कहा कि हवा की गुणवत्ता खराब होने की प्रतीक्षा करने के बजाय, निकट भविष्य में वायु प्रदूषण के प्रत्याशित स्तरों के आधार पर अग्रिम योजना बनानी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्य कांत ने कहा कि इस बीच एक अंतरिम उपाय के तौर में और अगले आदेश तक के लिए हम एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर फिर से रोक लगाते हैं। हालाकि निर्माण से संबंधित गैर-प्रदूषणकारी गतिविधियों जैसे कि प्लंबिंग कार्य, आंतरिक सजावट, विद्युत कार्य और बढ़ईगीरी को जारी रखने की अनुमति है।

आदेश में कहा, "राज्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रम उपकर के रूप में एकत्र किए गए धन का उपयोग उन्हें उस अवधि के लिए निर्वाह प्रदान करने के लिए करेंगे, जिसके दौरान निर्माण गतिविधियां प्रतिबंधित हैं और श्रमिकों की संबंधित श्रेणियों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत अधिसूचित मजदूरी का भुगतान करें।"

इस मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली सरकार अपने स्तर पर प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठा रही है। कंस्ट्रक्शन के काम बंद होने पर सभी मजदूरों के खातें में 5-5 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। कई निर्माण स्थल ऐसे हैं जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है तो वहां कैंप लगा कर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।

इस आदेश में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया गया कि ग्रेडेड रिस्पांस के लिए एक योजना तैयार की गई है, जिसके अनुसरण में परिवेशी वायु प्रदूषण के बिगड़ते स्तर के आधार पर उपायों की पहचान की जाती है।

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