Advertisement

फेक न्यूज पर सरकार का यूटर्न, पीएमओ की दखल के बाद गाइडलाइन वापस

फेक न्यूज पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दिशानिर्देश को लेकर चौतरफा घिरी सरकार बैकफुट पर आ...
फेक न्यूज पर सरकार का यूटर्न, पीएमओ की दखल के बाद गाइडलाइन वापस

फेक न्यूज पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दिशानिर्देश को लेकर चौतरफा घिरी सरकार बैकफुट पर आ गई।अब गाइडलाइन जारी करने के दूसरे ही दिन मंत्रालय ने इसे वापस लेने का फैसला किया है।

दरअसल, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पीएमओ की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रेस विज्ञप्ति वापस लेने की नसीहत दी गई। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई सिर्फ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ही करेगा। 

बता दें कि फेक न्यूज से निपटने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति के जरिए पत्रकारों की मान्यता के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए। इसमें 'फेक न्यूज' चलाने और फैलाने वाले पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कठोर प्रावधान शामिल थे। इस फैसले को सरकार फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए कारगर कदम मान रही थी जबकि दुरुपयोग की आशंका को लेकर पत्रकारों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है।

मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, “ फेक न्यूज के बारे में किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर अगर वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह निर्धारित करेंगी कि समाचार फेक है या नहीं। इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने या न होने का निर्धारण करना होगा।”

अहम बात यह है कि एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी। यानी शिकायत होते ही पत्रकार की मान्यता 15 दिनों के लिए निलंबित हो जाएगी। जांच से पहले ही इस तरह की कार्रवाई को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए थे।

दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी।

बता दें कि मीडिया जगत में सरकार के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई। कई पत्रकारों का कहना है कि यह मीडिया का गला घोंटने का प्रयास है और इसका बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है। सवाल उठ रहे थे कि फेकन्यूज फैलाने में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली न्यूज वेबसाइटें इस नियम के घेरे में नहीं है। जबकि मुख्यधारा मीडिया या मान्यता प्राप्त पत्रकार पर शिकंजा आसानी से कसा जा सकेगा। पत्रकारों का यह भी कहना है कि कोई न्यूज फेक न्यूज कैसे है?...यह किस प्रकार तय किया जाएगा? वहीं शिकायत मिलते ही 15 दिन के लिए पत्रकार की मान्यता को निलंबित करने के प्रावधान को आरोप साबित होने से पहले दंड करार दिया जा रहा था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad