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मोदी सरकार 2.0 में पिछड़ रहा है भारत, हंगर इंडेक्स सहित इन मोर्चों पर लुढ़का

हालिया जारी 117 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में भारत 102वें स्थान पर पिछड़ गया है।...
मोदी सरकार 2.0 में पिछड़ रहा है भारत,  हंगर इंडेक्स सहित इन मोर्चों पर लुढ़का

हालिया जारी 117 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में भारत 102वें स्थान पर पिछड़ गया है। एशिया में इसकी स्थिति कई पड़ोसी देशों से भी खराब है। रिपोर्ट में चीन 25वें, पाकिस्तान 94, बांग्लादेश 88वें, नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें और श्रीलंका 66 वें पायदान पर है। अर्थव्यवस्था संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे भारत के लिए यह इसलिए भी झटका है क्योंकि भारत ना सिर्फ भूख सूचकाकं में खराब स्तर पर पहुंचा है बल्कि इससे पहले विकास दर और वर्ल्ड कॉम्पटेटिव इंडेक्स में भी कई पायदान नीचे फिसला है।

इन मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है भारत....

वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स)

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2019 के अनुसार, भारत 117 देशों की रैंकिंग में 102 पायदान पर है। एशिया में इसकी स्थिति कई पड़ोसी देशों से भी खराब है। रिपोर्ट में चीन 25वें, पाकिस्तान 94, बांग्लादेश 88वें, नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें और श्रीलंका 66 वें पायदान पर है। बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत जीएचआई रैंक में अव्वल हैं। ब्रिक्स का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश दक्षिण अफ्रीका 59वें स्थान पर है। जीएचआई इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट से संबंधित आयरलैंड की ऐड एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन ऑर्गेनाइजेशन वेल्ट हंगर तैयार करते हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में किसी भी देश को 100 प्वाइंट्स पर रैंक किया जाता है। भारत का स्कोर 30.3 है जो इसे गंभीर हंगर श्रेणी में लाता है।

वर्ल्ड कॉम्पटेटिवनेस इकोनॉमी इंडेंक्स

वार्षिक वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (वर्ल्ड कॉम्पटेटिवनेस इकोनॉमी इंडेंक्स) में भारत 10 पायदान नीचे खिसककर 68वें स्थान पर आ गया है। भारत का 10 पायदान नीचे लुढ़कना अर्थव्यवस्था को संभालने के प्रयासों में जुटी सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ताजा इंडेक्स से पहले भारत ग्लोबल कॉम्पटेटिव इंडेक्स में 58वें स्थान पर था। मगर इस साल भारत ब्राजील के साथ ब्रिक्स देशों में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से रहा। ब्राजील को कॉम्पटेटिव इंडेक्स में 71वें नंबर पर रखा गया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने इंडेक्स जारी करते हुए कहा कि भारत अब भी आर्थिक स्थिरता के मामले में ऊंचे स्तर पर है और उसका आर्थिक सेक्टर बेहद गहराई पूर्ण है। हालांकि उसने बैंकिंग सेक्टर में कमजोरी की ओर भी ध्यान दिलाया, जो बैड लोन (एनपीए) के संकट से जूझ रही है।

आर्थिक विकास दर

विश्व बैंक ने पिछले दिनों कहा है कि बांग्लादेश और नेपाल की आर्थिक विकास दर चालू वर्ष 2019 में भारत से तेज रहेगी। उसने कहा है कि दक्षिण एशिया की आर्थिक विकास दर वैश्विक सुस्ती के कारण कम रहने का अनुमान है। विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर  के अनुमान को 2018-19 के मुकाबले कम कर दिया है। इस वित्त वर्ष की शुरुआती तिमाहियों में व्यापक गिरावट के बाद भारत की विकास दर गिरकर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है। जबकि 2018-19 में देश की विकास दर 6.9 फीसदी रही। हालांकि, दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के अपने नवीनतम संस्करण में बैंक ने कहा कि यदि मौद्रिक नीति उदार रही तो  2021 में धीरे-धीरे 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत की ग्रोथ के अनुमान की उम्मीद है। विश्व बैंक के अनुसार बांग्लादेश की विकास दर 7.9 फीसदी से बढ़कर इस साल 8.1 फीसदी रहने की संभावना है। नेपाल में इस साल और अगले साल औसत विकास दर 6.5 फीसदी रहन का अनुमान है। इसके विपरीत संकटों से घिरे पाकिस्तान की विकास दर घटकर महज 2.4 फीसदी रहने की सभावना है।

संयुक्त राष्ट्र विश्व खुशहाली रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र विश्व खुशहाली रिपोर्ट में इस साल भारत 140वें स्थान पर रहा, जो पिछले साल के मुकाबले सात स्थान नीचे है। फिनलैंड लगातार दूसरे साल इस मामले में शीर्ष पर रहा। इस मामले में भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी पिछड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने यह रिपोर्ट जारी की थी। भारत 2018 में इस मामले में 133 वें स्थान पर था, जबकि इस वर्ष 140वें स्थान पर रहा। संयुक्त राष्ट्र की सातवीं वार्षिक विश्व खुशहाली रिपोर्ट, जो दुनिया के 156 देशों को इस आधार पर रैंक करती है कि उसके नागरिक खुद को कितना खुश महसूस करते हैं। इसमें इस बात पर भी गौर किया गया है कि चिंता, उदासी और क्रोध सहित नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान 67 वें, बांग्लादेश 125 वें और चीन 93 वें स्थान पर है। युद्धग्रस्त दक्षिण सूडान के लोग अपने जीवन से सबसे अधिक नाखुश हैं, इसके बाद मध्य अफ्रीकी गणराज्य (155), अफगानिस्तान (154), तंजानिया (153) और रवांडा (152) हैं।

 

 

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