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काले धन पर वही ढाक के तीन पात

स्विट्जरलैंड में आधिकारिक तौर पर ताजा सार्वजनिक किए गए बीसियों विदेशी स्विस बैंक खाता धारकों में मात्र पांच भारतीय खाताधारकों के होने से एक बार फिर साफ हो चला है कि विदशों में अवैध धन जमा कराने वाले भारतीयों के मामले में दिखावटी शोर ज्यादा और वास्तविक कार्रवाई कम हो रही है।
काले धन पर वही ढाक के तीन पात

स्विटजरलैंड में ताजा सार्वजनिक किए गए नामों में उद्योगपति यश बिड़ला, दिवंगत पोंटी चड्ढा के दामाद गुरजीत सिंह कोचर और तीन भारतीय महिलाएं हैं – स्नेहलता साहनी, संगीता साहनी और दिल्ली की व्यवसायी रीतिका शर्मा। शुरू की दोनों महिलाएं एक टायर कारोबारी परिवार से हैं। स्नेहलता साहनी का संयुक्त खाता अपने पति भूषण लाल साहनी के साथ है जो साहनी टायर्स के प्रबंध निदेशक हैं।

स्नेहलता साहनी के पुत्र सहित साहनी परिवार के खातों में कुल जमा राशि 16.7 करोड़ रुपये हैं जो नगण्य हैं। ऊपर से यदि वे भारतीय अधिकारियों के सामने अपने खातों के लेनदेन का ब्यौरा सार्वजनिक न करना चाहें तो इसके लिए स्विस फेडरल टैक्स प्र‌ाधिकरण ने उन्हें एक माह का समय दिया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशों में जमा अवैध धन के खाता धारकों के मामले में न्याय चक्र जिस धीमी गति से चल रहा है, उससे भी उन्हें संसद में हाल में पारित अवैध धन कानून राहत देने वाला ही साबित होगा। प्रवर्तन निदेशालय और आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों के अनुसार संसद से ताजा अधिनियम पास होने के बाद विदेशी बैंकों और टैक्स शरणस्‍थलियों में भारतीय खाताधारकों के खिलाफ भारत की आर्थिक अपराध एजेंसियों की जांच लगभग ठप हो गई है।

दरअसल, नए कानून में व्यवस्‍था है कि विदेशी बैंक खातों में जमा अघोषित राशि पर आयकर और तगड़ी पेनल्टी चुकाने पर आगे कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसका लाभ उठाते हुए हर खाताधारक आगे पूछताछ, जांच और कार्रवाई से बच जाएगा। ये खाताधारक ‘पैसा कहां से आया’ जैसे असहज सवालों से भी बच जाएंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार विदेशों में हर खाता अवैध धन वालों का नहीं होता। जैसे बाहर पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों और बाहर कारोबार कर रहे भारतीय व्यवसायियों के खाते। ये तो घोषित होते हैं। लेकिन असली मसला तो अघोषित और अवैध कमाई वाले विदेशी खातों का है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नए कानून का लाभ उठाते हुए अवैध धन वाले खाताधारक भी पेनल्टी और कर चुका कर इंसाफ के तराजू पर तुलने और अपने किए की सजा भुगतने से बच जाएंगे। विदेशी बैंकों में ज्यादातर अवैध धन बेनामी जमा होता है। ये बेनामी खाते भी ताजा कानून का लाभ उठाकर वैद्य हो जा सकते हैं जिसके बाद उनके पीछे के असली मालिक गोपनीय के गोपनीय रह जाएंगे। क्या इस प्रसंग में पिछली एनडीए सरकार के कार्यकाल की करवंचना ‘माफी योजना’ याद नहीं आ रही? तो लीजिए, फिर वही ढाक के तीन पात।

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