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देश में कानूनी जागरूकता के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत: प्रशांत भूषण

देश के जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा है कि देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है और इसे सुधारने के लिए देश में कानूनी जागरूकता के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता का एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।
देश में कानूनी जागरूकता के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत: प्रशांत भूषण

भूषण ने भोपाल में आयोजित एक टॉक शो में कहा, देश में न्यायपालिका एक बहुत ही अहम संस्थान है। देश की न्यायिक व्यवस्था चरमराई हुई है। इसे सुधारने के लिए देश में एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा। उन्होंने कहा कि देश में उच्च स्तर पर न्यायपालिका की कोई जवाबदेही नहीं है। सरकार और न्यायपालिका से स्वतंत्र ऐसी कोई संस्था नहीं है जहां न्यायपालिका की शिकायत की जा सके। इस वजह से न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार भी खूब पनप रहा है। उन्होंने कहा, देश में कानूनी जागरूकता जरूरी है और सरकार के खिलाफ तो आप न्यायालय में जा सकते हैं। लेकिन अदालत की प्रणाली गड़बड़ाई हुई है और वहां आपकी सुनवाई नहीं होती है। लंबी-लंबी तारीखें मिलती हैं। इसलिए देश में कानूनी जागरूकता के साथ-साथ न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरूकता लाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन चलाया गया। उसी प्रकार देश की न्याय व्यवस्था के प्रति सामाजिक जागरूकता के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाना होगा।

 

भूषण ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायपालिका और सरकार में बैठे लोग इसमें बदलाव नहीं चाहते हैं तथा इसमें सुधार की उनकी रूचि नहीं है, बल्कि सरकार तो चाहती है कि न्याय व्यवस्था ऐसी ही चरमराई रहे। यदि यह चरमराई रहेगी तो भी यह लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाएगी। यदि न्याय व्यवस्था मजबूत और कामयाब होती है तो वह लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार को अधिक प्रतिबद्ध करती है। उन्होंने कहा, हमारे देश का दुर्भाग्य है कि बहुत सारे न्यायाधीश बेवकूफ और नासमझ होते हैं और बहुत सारे न्यायाधीश बेईमान भी होते हैं क्योंकि न्यायपालिका में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की कोई जवाबदेही नहीं होती है। भूषण ने कहा, देश की न्याय व्यस्था चरमराने का ही परिणाम है कि अधिकतर न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के बाद मध्यस्थता (आर्बिटेशन) वगैरह करने लगे हैं। आर्बिटेशन एक ऐसा उद्योग बन गया है जिसमें शीर्ष अदालत के बहुत सारे न्यायाधीश शामिल हैं तथा कई करोड़ो रुपये कमा रहे हैं। इसलिए न्याय व्यवस्था के बदलाव में उनकी कोई रूचि नहीं है।

 

उन्होंने कहा, छोटे-छोटे बच्चों में हिन्दूत्व की भावना लाने के लिए आरएसएस की दीनानाथ बत्रा की किताबें स्कूली पाठ्यक्रम में लाने की योजना है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस अपने स्कूलों के बच्चों में मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ जहर घोलने का काम कर रहा है। दुर्भाग्य से देश के भाजपा शासित राज्य आरएसएस के लेखकों की पुस्तकें पाठ्यक्रम में चलाने की कोशिश कर रहे हैं इसका हमें तीव्र विरोध करना चाहिए। भूषण ने मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को भ्रष्ट संस्था बताते हुए कहा कि वह इसके खिलाफ जनहित याचिका लगाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के 99 प्रतिशत गांवों में एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है, इसलिए 3 से साढ़े तीन साल के पाठ्यक्रम वाला डॉक्टरों का एक ऐसा कैडर बनाना होगा जो लोगों की प्राथमिक चिकित्सा की जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्होंने भारतीय राजनीति में विकल्प के तौर पर उभरी आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को विफल बताते हुए आरोप लगाया कि बड़े बड़े विज्ञापन प्रकाशित कर सरकारी पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और जन लोकपाल मुद्दे पर यह सरकार कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाई है। उन्होंने बताया कि राजनीति में एक और विकल्प जनता को उपलब्ध कराने के लिये वह और उनके साथी फिर एक बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेंगे।

 

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