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महाराष्ट्र: कीटनाशक के छिड़काव से क्यों हो रही है किसानों की मौत?

एक तरफ जहां किसानों की मौत गरीबी और कर्ज की वजह से होती रही है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के किसानों पर...
महाराष्ट्र: कीटनाशक के छिड़काव से क्यों हो रही है किसानों की मौत?

एक तरफ जहां किसानों की मौत गरीबी और कर्ज की वजह से होती रही है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के किसानों पर एक और मुसीबत का पहाड़ टूट गया है। अब सूबे के किसान कीटनाशक की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं। अब तक राज्य में कीटनाशक के छिड़काव से 39 किसानों की मौत हो चुकी है। यवतमाल वर्धा, चंद्रपुर के इलाकों में पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से लगातार किसानों की जानें जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अकेले यवतमाल जिले में ही 21 किसानों की मौत हो चुकी है। कीटनाशको के इस प्रभाव से लगभग 450 किसान प्रभावित हुए हो चुके हैं।

क्यों हो रही हैं मौतें?

द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक चंद्रपुर के रहने वाले साईनाथ सोयम (42) करुनजी काले नामक व्यक्ति के कपास के खेत में स्प्रे करने गया था। वह वहां पर पिछले 6 दिनों से कीटनाशकों का छिड़काव करने जा रहा था। उसने शनिवार को अपनी सेहत खराब होने की बात कही। उसे गोंडपिरी के ग्रामीण हॉस्पिटल में ले जाया गया। इसके बाद हाल गंभीर होने पर चंद्रपुर के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। यहां उसकी मौत हो गई।

बीबीसी के अनुसार, इन मौतों पर महाराष्ट्र के मंत्री मदन येरावार का कहना है कि छिड़काव के वक्त मुंह पर मास्क लगाने, हाथों मे दस्ताने और शरीर पर ऐप्रन पहनने की जरूरत थी। लेकिन ये नहीं हुआ। लोगों ने हमेशा की तरह शर्ट निकालकर सिर्फ बनियान पहने छिड़काव किया। इससे ज्यादा छिड़काव वाले रसायन सीधे शरीर पर आने से त्वचा के भीतर पसीने के जरिए जाने से भी इन्फेक्शन हुआ हो सकता है। हाथ में छिड़काव वाले रासायनिक जहर का अंश होता है, फिर भी उसी हाथ से तम्बाकू या गुटखा खा लिया तो रासायनिक जहर सीधे पेट में उतरता है।

वे आगे कहते हैं, “छिड़काव के लिए दवाइयों का मिश्रण सही तरह से हुआ या नहीं ये भी देखना होता है। ये सारी बातें बीज कंपनियां सबको बताती नहीं, बस लिफलेट पर छापती हैं। लेकिन, खेत मजदूर या किसान उसे कितना पढ़ते हैं? कोई पालन नहीं होता।"

एबीपी न्यूज के मुताबिक, सालों से किसानों के लिए संघर्ष करने वाले एक्टिवस्ट किशोर तिवारी बताते हैं कि इन कीटनाशकों में आर्गेनोफॉस्फोरस नाम का जहरीला पदार्थ मिलाया जाता है और ये वही केमिकल है, जिसका प्रयोग हिटलर ने यहूदीयों के नरसंहार के दौरान किया था। किशोर तिवारी के अनुसार, ये मुद्दा रासायनिक खेती से जुडा हुआ है, जिसे खत्म करना जरूरी है।

दोषी कौन?

जानकारों का कहना है कि खेती में कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल और नए किस्म की दवाओं के छिड़काव को लेकर किसानों में जानकारी के अभाव से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। किसानों को हानिकारक कीटनाशकों से बचाव के लिए ट्रेनिंग और सुरक्षा का पर्याप्त अभाव भी देखा जा सकता है। हालांकि मंत्री हंसराज अहिर का कहना है, “इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। जो भी दोषी पाया गया उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हमने कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं कि खेतों में बिना कृषि विभाग के सलाह के काई भी किसान कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करेगा। अगर ऐसा हुआ और किसी किसान की मौत होती है तो इसकी जिम्मेदारी कृषि विभाग के अफसरों की होगी।”

 

 

 

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