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पुलिस आंदोलन बना 'रमन सरकार' की मुसीबत, कांग्रेस ने लगाया दमन का आरोप

भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सामने एक बार फिर आंदोलन की चुनौती खड़ी हो गई है।...
पुलिस आंदोलन बना 'रमन सरकार' की मुसीबत, कांग्रेस ने लगाया दमन का आरोप

भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सामने एक बार फिर आंदोलन की चुनौती खड़ी हो गई है। शिक्षाकर्मियों की मांगे पूरी करने के बाद उनका सामना सूबे के पुलिस कर्मचारियों से हो रहा है। पुलिस परिजनों द्वारा अपनी मांगों को लेकर धरना देने की धमकी के बाद सरकार उन पर कड़ाई बरतती नजर आ रही है। हालांकि सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि राज्य में पुलिस को पर्याप्त सुविधाएं दी जा रही है। जबकि पुलिस परिजन पर्याप्त भत्ते और छुट्टियों की मांग कर रहे हैं। इस बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार पर इस आंदोलन के दमन करने का आरोप लगाया है।

दरअसल, वेतन, भत्ते और छुट्टियों सहित अन्य सुविधाओं को लेकर पुलिसकर्मी सरकार के व्यवहार से नाराज हैं। लेकिन वो कानूनी तौर पर आम सरकारी कर्मचारियों के जैसे धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते। ऐसे में तोड़ निकालते हुए उन्होंने अपनी मांगों को रखने के लिए अपने परिवार वालों को आगे किया है। उनके परिजनों द्वारा 25 जून को राज्य भर में महाधरने का ऐलान किया गया है।

60 रुपये वर्दी भत्ता... इतने में रुमाल भी आता है क्या?’

प्रस्तावित धरने की घोषणा के बाद राज्य का गृह विभाग पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के समझाने-बुझाने में लग गया है। नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने आउटलुक को बताया कि उन पर लगातार पुलिस अधिकारियों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है कि वे अपने परिवार वालों को धरना-प्रदर्शन करने से रोकें, अन्यथा उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस लाइन रायपुर में रहने वाली पुलिस कर्मचारी की पत्नी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि शांति-पूर्वक आंदोलन करना उनका अधिकार है लेकिन सरकार उनके आंदोलन को रोकने के लिए उनके पति को परेशान कर रही है।

उन्होंने कहा, “ पुलिस कर्मचारी को मिलने वाले सायकल भत्ते से लेकर आवास भत्ते तक अपर्याप्त हैं। 60 रुपये वर्दी भत्ता मिलता है। बताइए, इतने में रुमाल भी आता है क्या?”

रमन सरकार कर रही दमन: कांग्रेस

इधर, कांग्रेस ने पुलिस परिजनों के इस आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है। साथ ही कांग्रेस की सरकार बनने पर उनकी मांगों को पूरी करने का भरोसा दिया है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आउटलुक से कहा, “रमन सरकार पुलिस परिजनों के जायज आंदोलन का दमन कर रही है। कांग्रेस की सरकार बनते ही हम उनकी मांगे पूरी करेंगे।”

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी दे रहें हैं। उन पर दबाव डाल रहे हैं कि उनके परिजन धरना-प्रदर्शन ना करें। उन्होंने कहा कि पुलिस अपनी सेवा शर्तों से बंधे हुए हैं वे आंदोलन नहीं कर सकते लेकिन उनके परिजनों को रोकना कहां जायज है? रमन सरकार आंदोलन को रोकने के लिए अस्वीकार्य तरीकों का इस्तेमाल कर रही है।

पुलिस अनुशासन बनाए रखें, पूरी होंगी मांगें: भाजपा

भाजपा की ओर से कहा गया उनकी सरकार पुलिस की मांगों को लेकर गंभीर है। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस के आरोपों को नकारते हुए कहा कि वे आंदोलन का दमन नहीं बल्कि अनुशासन की बात कर रहे हैं। कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा भ्रम फैला रही है। उन्होंने कहा, “अनुशासन देने वाली पुलिस या उनके परिजनों को इस तरह आंदोलन का रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहिए। सम्मान की नजरों से देखी जाने वाली सेना या पुलिस सड़क पर उतर आएं तो यह ठीक नहीं है। इसके बजाय उन्हें वेलफेयर बोर्ड या अन्य मंचों के माध्यम से अपनी बात रखनी चाहिए।” पुलिस परिजनों की मांगों पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने इसे लेकर सकारात्मक संदेश दिया है। उनकी मांगों को लेकर निश्चित तौर पर विचार किया जाएगा। रमन सरकार ने पहले भी पुलिस के लिए काफी काम किया है। उनकी मांगे शत् प्रतिशत पूर्ण होंगी।

ऐसे भड़की चिंगारी

मदनवाड़ा नक्सली वारदात (2009) में तत्कालीन एसपी वीके चौबे समेत 26 जवानों की शहादत हुई थी। इसके बाद सबसे पहले बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग उठी। पुलिस के जवानों द्वारा मांग रखी गई कि नक्सली मूवमेंट में शामिल होने वाले जवानों को बुलेटप्रूफ जैकेट मुहैय्या कराई जानी चाहिए। इस घटना के बाद इन मांगों के अलावा छुट्टी और भत्ते की मांगें भी उठने लगी।

इसी कड़ी में राज्य में पुलिस आंदोलन के कर्ताधर्ता के रूप में बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव का नाम भी सामने आया है। पिछले दिनों राकेश यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया। राकेश पर देशद्रोह, पुलिस कर्मियों को भड़काने और आईटी एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं। 3 साल पहले रायगढ़ में पदस्थ राकेश ने एक दिन की छुट्टी, काम के घंटे कम करने और भत्ता बढ़ाने की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। उनकी इस अर्जी को तो नामंजूर कर दी गई, साथ उनके इस कृत्य को अनुशासनहीनता करार दिया गया। राकेश के खिलाफ कार्रवाई की गई। वे अपनी मांग पर अडिग रहे, जिसके चलते राकेश को बर्खास्त कर दिया गया। माना जाता है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में पनप रहे पुलिस आंदोलन के पीछे राकेश की मांगों ने बड़ी भूमिका निभाई है।

आंदोलन और छत्तीसगढ़ की सियासत

कहा जा रहा है कि शिक्षाकर्मियों, नर्सों के आंदोलन के समाप्त होने के बाद पुलिस आंदोलन आने वाले विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। पिछले दिनों राज्य में कार्यरत शिक्षाकर्मियों को संविलियन का तोहफा देते हुए रमन सरकार ने लाखों लोगों की नाराजगी को दूर किया। राज्य में होने वाले चुनाव से पहले इसे बड़ा ऐलान माना गया। लेकिन शिक्षाकर्मियों का आंदोलन खत्म होते ही पुलिस कर्मचारियों की ओर से नाराजगी खुलकर सामने आ गई। ऐसे में सरकार के पास उनकी मांगों को पूरी करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है। हालांकि इस वक्त रमन सरकार किसी भी तरह से 25 जून को होने वाले धरने को स्थगित कराने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

 

 

 

 

   

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