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हर दिन दुनिया भर में बीस हजार नाबालिग लड़कियों की होती है शादी

अजीत झा -बिहार में नाबालिग लड़कियों की शादी का बढ़ रहा चलन -हर 48 मिनट में बच्ची से दुष्कर्म, 50 फीसदी...
हर दिन दुनिया भर में बीस हजार नाबालिग लड़कियों की होती है शादी

अजीत झा

-बिहार में नाबालिग लड़कियों की शादी का बढ़ रहा चलन

-हर 48 मिनट में बच्ची से दुष्कर्म, 50 फीसदी कुपोषित

आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है। बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाएगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में ह‌र रोज 20 हजार से ज्यादा नाबालिग लड़कियों की शादी होती है।

'सेव द चिल्ड्रन' और 'वर्ल्ड बैंक' के मुताबिक हर साल 75 लाख लड़कियों की शादी उनके देश में विवाह के लिए तय न्यूनतम आयु से कम में होती है। सेव द चिल्ड्रन की कार्यकारी निदेशक (पॉलिसी, एडवोकेसी एंड कैंपेन) क्रिस्टी मैकनिल के मुताबिक इध्‍ार कई देशों में बाल विवाह की संख्या में इजाफा देखा गया है। सरकारों ने इसे रोकने के लिए कानून तो बनाए हैं पर इन्हें पूरी तरह से लागू करने की चुनौती अब भी है। पश्विमी और मध्य अफ्रीका के देशों में बाल विवाह की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। केवल इसी इलाके में हर साल 17 लाख लड़कियों की शादी तय उम्र से कम में कर दी जाती है।

भारत की बात करें तो बालिका शिक्षा और सशक्‍तीकरण में एक दशक में स्थिति काफी सुधरी है। 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी का प्रतिशत घटकर 27 हो गया है। लेकिन, बिहार जैसे प्रदेश में नाबालिग लड़कियों की शादी का ग्राफ बढ़ रहा है। यहां 39.1 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की आयु से पहले हो जाती है। लिंग अनुपात भी चिंताजनक है। 2017 में एक हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 947 है। शहरी क्षेत्रों और कुछ राज्यों में तो यह आंकड़ा और भी डरावना है।  एनसीआरबी के अनुसार देश में हर 48 मिनट पर एक बच्ची किसी न किसी की हवस का शिकार बनती है।

स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या भी चिंता पैदा करती है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बेसलाइन सर्वे 2014 की रिपोर्ट के अनुसार 15 से 17 साल की करीब 16 फीसदी लड़कियां बीच में ही स्कूल छोड़ देती हैं। देश में लगभग 50 फीसदी लड़कियां कुपोषित हैं। गौरतलब है कि 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के तौर पर मनाने का फैसला संयुक्‍त राष्ट्र ने 2011 में ल‌िया था। इस साल का थीम, किशोरियों की ताकतः विजन 2030 है।

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