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इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से खुलासा, महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था सबसे बेहतर, उत्तर प्रदेश फिसड्डी

टाटा ट्रस्ट,  सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष,...
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से खुलासा, महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था सबसे बेहतर, उत्तर प्रदेश फिसड्डी

टाटा ट्रस्ट,  सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने मिलकर देश की कानून व्यवस्था को लेकर एक रिपोर्ट बनाई है। इसे इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के नाम से जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था सबसे बेहतर है। इसके बाद केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा का नंबर आता है। वहीं, उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे फिसड्डी है। छोटे राज्यों की बात करें तो गोवा में कानून-व्यवस्था सबसे बेहतर है, जबकि सबसे खराब हालत त्रिपुरा की है।

क्या कहती है रिपोर्ट

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 18200 जज हैं, लेकिन अभी भी जजों के 23 फीसदी पद खाली हैं। कैदियों की बात करें तो देश के करीब सभी जेलों में उनकी क्षमता से अधिक कैदी हैं। जबकि 67.7 फीसदी कैदी अभी अंडरट्रायल हैं। रिक्तियों की बात करें तो पुलिस में 22 फीसदी (1 जनवरी 2017 तक),  जेल में 33 से 38 फीसदी (31 दिसंबर 2016) और अदालतों में 20 से 40 फीसदी (2016-2017) भर्तियां रिक्त हैं। वहीं, न्याय और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है। देश भर में 2.4 करोड़ पुलिस फोर्स में महज सात फीसदी महिलाएं हैं। जेल कर्मचारियों में 10 फीसदी ही महिलाएं हैं। जबकि महिला जजों की संख्या करीब 26.5 फीसदी हैं।

रिपोर्ट का कहना है कि 2016 और 2017 में सिर्फ छह राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों गुजरात, दमन-दीव, दादर-नगर हवेली, त्रिपुरा, ओडिशा, लक्षद्वीप, तमिलनाडु और मणिपुर ने ही कोर्ट में दर्ज सभी मामलों का निपटारा किया।

पुलिस प्रशिक्षण पर सवाल

पिछले पांच वर्षों में औसतन लगभग 6.4 फीसदी पुलिस फोर्स को ही सेवाओं के दौरान प्रशिक्षण दिया गया। इसका मतलब है कि 90 फीसदी से अधिक पुलिस वाले बिना आधुनिक प्रशिक्षण के ही कानून-व्यवस्था को संभाल रहे हैं।

अदालतों में लंबित मामले

रिपोर्ट के मुताबिक देश की निचली अदालतों में 2.8 करोड़ मामले लंबित हैं, जबकि 24 फीसदी मामले तो पांच वर्षों से लंबित हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गुजरात, मेघालय और अंडमान-निकोबार में हर चार मामलों में से एक केस पांच वर्षों से लटका पड़ा है। जबकि 23 लाख केस 10 वर्षों से लटके हैं।

रैंकिंग में कौन कहां

पुलिस के मामले में तमिलनाडु सबसे अव्वल, तो उत्तर प्रदेश सबसे नीचे है। कैदियों के मामले में पूरे देश में केरल सबसे बेहतर राज्य है, तो झारखंड फिसड्डी है। ज्यूडिशियरी यानी मामलों के निपटारे के मामले में भी तमिलनाडु टॉप पर है, तो बिहार सबसे निचले पायदान पर है। कानूनी सहायता के मामले में भी केरल शीर्ष और उत्तर प्रदेश सबसे नीचे है।

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