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कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक, जले पर नमक छिड़क रही मामूली राहत

शांति देवी जिन्होंने फसल बोने के नाम पर बैंक से 1 लाख रुपये कर्ज लिया था, लेकिन इनको जो ऋणमाफी का प्रमाण पत्र दिया गया है, उसमें 10.36 रुपये का कर्ज माफ है।
कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक, जले पर नमक छिड़क रही मामूली राहत

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जहां किसानों की कर्ज माफी को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं वहीं कई किसानों को बेहद मामूली रकम मिलने की खबरें आ रही हैं। फसल ऋण मोचन योजना के तहत फसल ऋण माफी प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन कर भले ही सरकार अपनी पीठ थपथपा रही हो। लेकिन मामूली रकम की वजह से किसानों में रोष व्याप्त है।

दावे बड़े, राहत मामूली  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक प्रदेश के लघु एवं सीमान्त किसानों ऋण मोचन प्रमाण पत्र कैम्प आयोजित कर योजना के प्रथम चरण में कुल 7,371 करोड़ की धनराशि करीब 12 लाख किसानों के ऋण खातों में अन्तरित हो चुकी है। जिन किसानों के ऋण माफी की राशि 1 रुपये से लेकर 10 रुपये तक है, उन किसानों की संख्या अब तक 4,814 है। उसी प्रकार 100 से  500 तक की ऋण माफी के अंतर्गत करीब 7,000 किसान हैं। 

विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार कम धन राशि माफ कर के किसानों की संख्या बढ़ा कर दिखाने का काम कर रही है, वहींं सरकार नें कहा है कि कतिपय जनपदों में आयोजित कैम्पों में अत्यधिक कम धनराशि के ऋण-मोचन प्रमाण पत्रों के वितरण के सम्बन्ध में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।

राहत के नाम पर मजाक 

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में 11 सितंबर को फसल ऋणमोचन योजना के अंतर्गत कई किसानों को महज 10 रुपये, 38 रुपये, 221 रुपये और 4000 रुपये के कर्जमाफी का प्रमाण पत्र बांटा गया। जबकि इस योजना के तहत लघु और सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के कर्ज माफ होने हैं।

सोमवार को हमीरपुर जिले के प्रभारी मंत्री मन्नू कोरी खुद अपने हाथों से किसानों को कर्ज माफी के प्रमाण पत्र देने पहुंचे। इस दौरान शांति देवी जिन्होंने फसल बोने के नाम पर बैंक से 1 लाख रुपये कर्ज लिया था, लेकिन इनको जो ऋणमाफी का प्रमाण पत्र दिया गया है, उसमें 10.36 रुपये का कर्ज माफ है। वहीं एक और किसान यूनुस खान, जिसने 60 हजार रुपये कर्ज लिया था, उसकी 38 रुपये की कर्ज माफी की गई है।

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इस तरह की खबरें आ रही हैं। समाचार पत्र हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में ऐसे किसानों की संख्या बहुत है जिन्हें नौ पैसे से लेकर 377 रुपये तक के कर्जमाफी का प्रमाण पत्र सौंपा गया। नगीना गांव के बलिया का सिर्फ 9 पैसे ही माफ किया गया। वहीं बास्टा के चरण सिंह के 84 पैसे कर्जमाफी से संतोष करना पड़ा।

ऐसे ही बागपत में भी इस तरह के मामले उजागर हुए हैं। समाचार पत्र अमर उजाला के मुताबिक लुहारा गांव के किसान सत्यपाल सिंह के 12 रुपये, काठा गांव के धीरज के 14. 38 रुपये,  डौला गांव के जफरू के 214. 33 रुपये, फैजपुर निनाना गांव के तेजपाल सिंह के 108 रुपये, हिसावदा गांव के सौराज सिंह के 156.61 रुपये, नैथला गांव के महेश के 20.66 रुपये, पाली गांव के तेजपाल सिंह के 959 रुपये ही माफ किए।

किसानों ने कहा, धोखा

भनपुर के कंथूआ गांव के किसान गुरु प्रसाद ने आरोप लगाया कि उन्होंने पिछले साल पंजाब नैशनल बैंक के केसीसी अकाउंट से उसने 30 हजार रुपये का कर्ज लिया था। उसे  सरकार के एक लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने के दावे से उम्मीद थी कि उनका पूरा कर्ज माफ हो जाएगा, लेकिन उनका सिर्फ 566 रुपये ही माफ हुआ। उन्होंने इसे धोखा करार दिया।

क्या कहते हैं अधिकारी?

बिजनौर के जिला कृषि अधिकारी डॉ. अवधेश मिश्र का कहना है, “ऋण मोचना योजना के प्रथम चरण में 22,156 किसानों का कर्ज माफ हुआ है। लघु और सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ होना था। कुछ किसान ऐसे भी है जिनका 9 पैसे, 84 पैसे, 2 रुपये और तीन रुपये का कर्ज माफ किया गया है। दूसरे चरण के लिए एक लाख 70 हजार किसानों का सत्यापन का काम चल रहा है। सत्यापन के बाद किसानों की सूची शासन को भेजी जाएगी।”

बागपत के डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने कहा, “ऋण माफी के कई मामलों की शिकायतें मिली है, जांच कराई जाएगी। जो नियम बनाए हैं, उसी आधार पर ऋण माफी होगी।” जबकि, बागपत के तहसीलदार राज बहादुर सिंह ने कहा पात्र किसानों की सूची का सत्यापन कराकर ही कर्ज माफी हुई है। कितना ऋण किसान पर था, यह तो बैंक ही स्पष्ट कर सकते हैं।

सरकार का तर्क

राज्य सरकार का कहना है कि उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि "वितरण राशि ठीक उसी प्रकार है जो किसानों की बैंक के पास थी।" यानी जितना कर्ज किसानों का बैंक में था वह माफ कर दिया गया। 

क्या है वजह?

कहा जा रहा है कि बैंक बचत खाते में रुपये जमा होते ही अपने कर्ज में एडजेस्ट कर लेते हैं। आमतौर पर किसान इस तरह के खातों में रुपये जमा करने से बचते हैं। कुछ रुपये जिन किसानों पर कर्ज बचा, उसे ऋण माफी में शामिल किया गया है। सरकार पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वह ऐसा इसलिए कर रही है ताकि कर्जमाफ हुए किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हो जिसे वे अपनी उपलब्धि में शामिल कर सकें। लेकिन ऐसे में उन किसानों को लाभ नहीं मिल पाया जिन्होंने जैसे-तैसे करके अपना कर्ज चुका दिया। 

किसानों में निराशा

गौरतलब है कि 17 अगस्त को लखनऊ में एक भव्य कार्यक्रम के द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को ऋण माफी का सर्टिफिकेट बांटकर इस योजना का शुभारंभ किया था। इस कार्यक्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। सरकार की इस योजना से किसानों के भीतर काफी आस जगी थी लेकिन मौजूदा घटनाओं ने किसानों की निराशा फिर से बढ़ा दी है।

 

 

 

 

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