Advertisement

तीन तलाक: SC के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- शरीयत में दखल मंजूर नहीं

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर नाखुशी जाहिर करते हुए इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला माना है।
तीन तलाक: SC के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- शरीयत में दखल मंजूर नहीं

भोपाल में रविवार को दिनभर चली बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि बोर्ड में फैसला लिया गया है कि शरीयत में किसी भी तरह का दखल मंजूर नही है। वहीं संविधान में जो संरक्षण दूसरे धर्मों के लोगों को मिला है, वही संरक्षण मुसलमानों को भी मिलना चाहिए। 

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बैठक के दौरान बोर्ड ने एक कमेटी गठित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें ग्रंथों के अनुसार बड़े पैमाने पर सामुदायिक सुधारों की उपेक्षा करने की प्रक्रिया और सलाह देने के अलावा 22 अगस्त को तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी जांच होगी। साथ ही, यह समिति इस बात का भी अध्ययन करेगी कि कोर्ट के फैसले में शरीयत को लेकर कोई विसंगति तो नहीं है।

फारूकी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अटार्नी जनरल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि अदालत के हस्तक्षेप के बगैर तलाक के सभी रूपों को अवैध करार दिया जाना चाहिए। हम इस बात का विरोध करते हैं।

कमाल फारूकी ने कहा कि बोर्ड ने इस पर नाखुशी जाहिर की है और इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला माना है। बोर्ड ने माना कि तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) गुनाह और शर्मनाक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम खुश नहीं हैं। यह एक तरह से हमारी धार्मिक भावनाओं पर चोट है। बोर्ड ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रही है और मुस्लिम समुदाय इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

रविवार को हुई बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना रब्बे हाशमी नदवी, महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी, उपाध्यक्ष डॉ.सैयद कल्बे‍ सादिक, मोहम्मद सलीम कासमी, सचिव जफरयाब जिलानी, सांसद असदुद्दीन आेबैसी सहित बोर्ड की वर्किंग कमेटी के लगभग 45 सदस्य मौजूद थे।

SC ने एक बार में तीन तलाक को किया गैर-कानूनी

1400 साल पुरानी तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस दौरान 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा था कि एक साथ तीन तलाक कहने की प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इललीगल (गैरकानूनी) है।

वहीं, बेंच में शामिल दो जजों ने कहा कि सरकार तीन तलाक पर 6 महीने में कानून बनाए, लेकिन 22 अगस्त को देर शाम सरकार ने इस पर अपना स्टैंड साफ कर दिया। लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भले ही दो जजों ने कानून बनाने की राय दी है, लेकिन बेंच के मेजॉरिटी जजमेंट में तीन तलाक को असंवैधानिक बताया गया है। लिहाजा, इसके लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad