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आतंकी गुफा में धमाका

भारतीय सेना ने पाकिस्तान सीमा में बने आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर पहला बड़ा सबक सिखा दिया है। वर्षों से भारत पाक सीमा में प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ और गतिविधियों का सामना करता रहा है। उड़ी में आतंकियों ने भारतीय सेना के शिविर पर हमला कर 18 सैनिकों को मार दिया। इस घटना के बाद देश भर में गुस्से का माहौल था।
आतंकी गुफा में धमाका

सेना ही नहीं भारत के अनुभवी वरिष्ठ राजनयिक एवं विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी पाकिस्तान को करारा जवाब देने की हिमायत की। फिर भी यह मानना होगा कि भारत ने बहुत संतुलित रणनीति के तहत ठिकानों पर सर्जिकल कार्रवाई की है। इस बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ खड़ा है, क्योंकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का एक बड़ा गढ़ बन चुका है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे पड़ोसी देश भी पाकिस्तानी आतंकवादी गतिविधियों से परेशान रहे हैं। आतंकवादी मादक पदार्थों (ड्रग्स) एवं अवैध हथियारों के धंधे में लगे हुए हैं और उन्हें पाकिस्तान की आई.एस.आई. एवं सेना हरसंभव सहायता देती रही है। नतीजा यह है कि पाकिस्तान की जनता भी विभिन्न शहरों में आतंकवादियों के हमलों का शिकार हो रही है। उधर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलुचिस्तान में पाकिस्तान की सेना जुल्म ढाती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पहली बार पाकिस्तान को बलुचिस्तान के जुल्मों की याद दिलाई और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने स्पष्ट शब्दों में बता दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और अब पाकिस्तान के आतंकी हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। इस तरह राजनीतिक इच्छा शक्ति और सरकार की हरी झंडी मिलने से भारतीय सेना को भी आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल कार्रवाई की योजना क्रियान्वित करने में आसानी हुई। आखिरकार, भारत कूटनीतिक तरीकों से कब तक पाकिस्तान को समझा सकता था। कभी तो संयम का बांध टूटना था। अमेरिका ने भी पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों पर लगाम कसने की सलाह दी है। बहरहाल, इस कार्रवाई से आतंकवादी एवं पाकिस्तान के नापाक इरादे खत्म नहीं होंगे। सीमा पर अधिक चौकसी एवं सुरक्षा तंत्र को लगातार सतर्क एवं मजबूत रखना होगा।

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