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तीन सालों में लाल-किले से किए गए वादों और दावों में नरेंद्र मोदी कितने पास, कितने फेल?

दालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, गांवों में बिजली, वन रैंक-वन पेंशन, लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट, पोस्ट ऑफिस को पेमेंट बैंक में बदलना, स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन- इन मुद्दों पर कहां खड़ी है मोदी सरकार?
तीन सालों में लाल-किले से किए गए वादों और दावों में नरेंद्र मोदी कितने पास, कितने फेल?

15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर बातें रखीं। कश्मीर मुद्दे पर की गई उनकी टिप्पणी सुर्खियां बनी रहीं। नरेंद्र मोदी ने हर बार की तरह सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया और कई योजनाओं के सफल होने का दावा भी किया। नरेंद्र मोदी 2014 से ऐसा करते आ रहे हैं। तीन साल में लाल किले से किए गए उनेक वादों/दावों की पड़ताल से पता चलता है कि इनमें से कुछ पूरे हो पाए हैं, कुछ अधूरे हैं। फैक्टचेकर नाम की एक वेबसाइट ने मोदी के 2014-2017 तक लाल किले के चार भाषणों का विश्लेषण किया है। 

क्या हैं ये दावे और वादे और उनकी हकीकत-

1. 2016 में मोदी ने दावा किया कि सरकार ने सैनिकों के लिए वन-रैंक वन पेंशन योजना पूरी की।

फैक्टचेक- 2015 में सरकार ने वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करने का आदेश दिया। अप्रैल 2017 तक 8,792 करोड़ रूपए बीस लाख से ज्यादा लाभार्थियों के लिए जारी किए गए। ये पैसे तीन किश्तों में दिए जाने थे लेकिन एक किश्त अभी बाकी है।

सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के लिए जस्टिस रेड्डी समिति बनाई थी, जिसने अक्टूबर 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। सरकार फिलहाल समिति की सिफारिशों पर विचार कर रही है।

2.  2016 में मोदी ने दालों की बुआई के लिए जमीन के क्षेत्र को डेढ़ सौ फीसदी बढ़ाने के लिए किसानों की तारीफ की थी। साथ ही दावा किया था कि दालों को बोने के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की है।

फैक्टचेक- 25 जुलाई, 2017 को कृषि मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए एक उत्तर में कहा गया कि असल में बुआई का क्षेत्र सिर्फ 5.5 फीसदी बढ़ा है। 2016-17 में दालों की बुआई का क्षेत्रफल 17.5 फीसदी बढ़ा। 2015-16 में दालों के न्यूनतम समर्थम मूल्य में सरकार ने बढ़ोत्तरी की और सरकार ने 2015-16 में 200 रुपए का बोनस दिया और 2016-17 में 450 रुपए का। हालांकि सिर्फ मूंग और उड़द की दालों में ही बढ़ोत्तरी हुई। तुअर जैसी बड़ी दाल की फसल 2013-14 के समर्थन मूल्य से भी कम पर उगाई गई।

3. 2016 में मोदी ने कहा कि पोस्ट ऑफिस को पेमेंट बैंकों में बदल दिया जाएगा। जून 2016 की एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि सितंबर 2017 तक ऐसे 650 पेमेंट बैंक की सुविधा उपलब्ध रहेगी।

फैक्टचेेक- जनवरी 2017 से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) 100,000 रूपयों तक के सेविंग अकांउट खोलने का प्रस्ताव दे रहे हैं। मार्च 2017 में आईपीपीबी ने छत्तीसगढ़ के रायपुर और झारखंड के रांची में आठ जगहों पर अपनी शाखाएं खोलीं।डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट ने 976 एटीएम, जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में हैं, लगाए हैं। फिलहाल सरकार ने सितंबर 2017 तक लक्ष्य हासिल करने को कहा है, उस हिसाब से यह कार्य प्रगति पर है लेकिन ये प्रगति कहां तक पहुंची, इसका कोई आंकड़ा फिलहाल मौजूद नहीं है।

4.  2015 में नरेंद्र मोदी ने कहा कि 18,500 गांवों में बिजली नहीं थी। उस दौरान उन्होंने टीम इंडिया का उल्लेख करते हुए कहा था कि टीम इंडिया का लक्ष्य 1000 दिनों में इन गांवों को बिजली पहुंचाना है।

फैक्टचेक-  पहले सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई 2015 से 750 दिनों में 18,452 गांवों में से 76.58 फीसदी या 14,132 गांवों तक  बिजली पहुंच चुकी थी। ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 8 फीसदी गांवों में हर घर में एक बिजली कनेक्शन है यानी हर घर तक बिजली पहुंचने और गांव में बिजली पहुंचने में बड़ा अंतर है। ऊर्जा मंत्रालय जिस पैमाने पर पूरे गांव के विद्युतीकरण को मानता है, वह 1997 का पैमाना है, जिसके तहत गांव की सार्वजनिक जगहों, जैसे-स्कूल, अस्पताल, ग्राम पंचायत में बिजली पहुंचने को पूरे गांव में बिजली पहुंचना मान लिया जाता है, फिर चाहे गांव के 90 फीसदी घरों में बिजली ना हो।

5- 2015 में मोदी ने दावा किया कि सरकारी स्कूलों में एक साल के भीतर लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट का वादा पूरा हो गया है।

फैक्टचेक-  2015-16 तक, ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पांच फीसदी सरकारी स्कूलों में लड़कियों का टॉयलेट नहीं है। 10 अगस्त 2017 को राज्य सभा में मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि स्वच्छ भारत अभियान में 4,17,796 टॉयलेट बने, जिनमें 15 अगस्त 2015 तक 1 लाख 92 हजार टॉयलेट लड़कियों के लिए सरकारी स्कूलों में बनाए गए।

6- 2016 में मोदी सरकार ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों को 20 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ पेंशन दी जाएगी।

यह वादा पूरा करने में सरकार सफल रही है। स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन स्कीम, 1980 के तहत सरकार यह पेंशन देती है।

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