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विरोध के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के डोमिसाइल नियम बदले, नौकरियां स्थानीय लोगों को मिलेंगी

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया...
विरोध के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के डोमिसाइल नियम बदले, नौकरियां स्थानीय लोगों को मिलेंगी

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया है। सरकार ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करके नया नियम लागू किया है। दो दिन पहले सरकार ने ग्रुप-4 तक की नौकरियां ही स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित की थीं। नियम के मुताबिक कोई व्यक्ति कम से कम 15 साल जम्मू कश्मीर में रहने के बाद स्थानीय नागरिक माना जाएगा।

विरोध होने पर अधिसूचना में बदलाव

बुधवार के नियम जारी होने के बाद स्थानीय राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया होने के बाद सरकार ने संशोधित गजट अधिसूचना जारी की है। जम्मू एंड कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन (एडेप्टेशन ऑफ स्टेट लॉज) ऑर्डर-2020 में यूटी की सभी नौकरियां स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित की गई है। जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश पिछले साल एक अक्टूबर से बनाया गया था। सरकार ने पांच अगस्त 2019 को इस राज्य का विशेष दर्जा खत्म करके और विभाजन करके दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए थे। दूसरा यूटी लद्दाख है।

क्या कहता है नया नियम

संशोधित अधिसूचना के अनुसार उल्लिखित शर्तें पूरी करने वाले व्यक्ति जम्मू कश्मीर यूटी में किसी भी पद पर आवेदन करने के उद्देश्य से स्थानीय निवासी माने जाएंगे। इस अधिसूचना के अंश संशोधित जम्मू कश्मीर सिविल सर्विसेज (डिसेंट्रलाइजेशन एंड रिक्रूटमेंट) एक्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति स्थानीय निवासी नहीं है तो वह यूटी में किसी भी पद के लिए आवेदन करने का हकदार नहीं होगा। एक अप्रैल को अधिसूचना में सिर्फ ग्रुप-4 तक की सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित की गई थीं। ग्रुप-4 में पुलिस कांस्टेबल और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही आते हैं।

नए डोमिसाइल नियम

डोमिसाइल कानून के मुताबिक कोई व्यक्ति 15 साल राज्य में रहा हो तो वह स्थानीय नागरिक माना जाएगा। अगर किसी ने सात साल तक राज्य में शिक्षा पाई है और दसवीं और बारहवीं की परीक्षा दी है तो भी उसे स्थानीय निवासी माना जाएगा। रिलीफ एंड रिहेबिलिटेशन कमिश्नर के यहां प्रवासी के तौर पर पंजीकृत व्यक्ति इन नियमों के मुताबिक स्थानीय निवासी माने जाएंगे। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अगर दस साल राज्य में बिता चुके हैं तो उनके बच्चों को भी स्थानीय निवासी माना जाएगा।

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