Advertisement

चर्चाः अमेरिकी बिजनेस में हिस्सेदारी। आलोक मेहता

वह जमाना गया, जब वचन देने वाले राजा-महाराजा बिना लिखा-पढ़ी हुए वायदा पूरा करने के लिए अपनी जान तक गंवाने को तैयार रहते थे। अब महाशक्तियां कू‌टनीतिक मित्रता ‘बिजनेस’ के लिए करती दिखती हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के हाथ-गले मिलने और मीठी बातों से अभिभूत होने की गलती न की जाए।
चर्चाः अमेरिकी बिजनेस में हिस्सेदारी। आलोक मेहता

बुश हों या ओबामा या पूर्व और भावी क्लिंटन- मित्रता के मीठे बोल एवं टी.वी. कैमरों के सामने मुस्कराहट से अति प्रसन्न होना ठीक नहीं है। अमेरिका ने 660 करोड़ मूल्य की भारतीय मूर्तियां लौटाई हैं, जिन्हें कभी भारत से तस्करी करके अमेरिका में बेच दिया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री को यह मूर्तियां वापस दे दी गईं, लेकिन अमेरिका ने अपने छह परमाणु संयंत्र भारत को बेचने का सौदा कर लिया। यह कई हजार करोड़ रुपये की परियोजना है और क्रियान्वयन में भी 10 से 15 वर्ष तक लग सकते हैं। इसी तरह अमेरिका ने मिसाइल टेक्नालॉजी रिजीम की सदस्यता के लिए रास्ता बना दिया। इससे अब अमेरिका अपनी मिसाइलें भी भारत को बेच सकेगा। निश्चित रूप से भारत की सुरक्षा व्यवस्‍था के लिए यह उपयोगी होगा। न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की सदस्यता के लिए अमेरिकी समर्थन एक हद तक कूटनीतिक खेल है। भारत से अधिकाधिक बिजनेस और मुनाफे के लिए अमेरिका ने महीनों-वर्षों की आंखमिचौली के बाद अपनी सहमति देते हुए ध्यान दिलाया कि चीन अड़ंगे डाल रहा है। मतलब भारतीय मित्र- अपने पड़ोसी चीन से स्वयं निपटो। लेकिन अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे अपने परम मित्रों को समर्थन देने के लिए क्यों नहीं कहता? भारत को एन.एस.जी. की सदस्यता मिलने से अत्याधुनिक हथियारों और परमाणु क्षेत्र के व्यापार में भारत भी प्रतियोगी हो जाएगा। वह शक्ति संपन्न भी होगा। यह पुराने धंधेबाज देशों का हिस्सा ही लेगा। इ‌सलिए भारत को अभी प्रतीक्षा के साथ अन्य देशों की सहमति लेने के ‌लिए अधिक कूटनीतिक प्रयास करने होंगे। दूसरी तरफ, सुरक्षा के क्षेत्र में लाजिस्टिक सहयोग यानी भारतीय ठिकानों के अमेरिकी इस्तेमाल पर समझौते के प्रस्ताव को लटकाए रखना होगा। चीन से मीठे-कड़वे अनुभवों के बावजूद चीन या इस क्षेत्र के अन्य देशों के विरुद्ध भविष्य में किसी अमेरिकी गतिविधि में साथ देने का समझौता भारतीय हितों के विरुद्ध ही होगा।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad