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सीताराम येचुरी का आरोप, समुदाय विशेष के प्रति हिंसा को बढ़ा रही है भाजपा

हाल ही में देश की प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर चिंता जताई थी कि देश...
सीताराम येचुरी का आरोप, समुदाय विशेष के प्रति हिंसा को बढ़ा रही है भाजपा

हाल ही में देश की प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर चिंता जताई थी कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हिंसा बढ़ रही है और सरकार को इस पर सोचना चाहिए। लेकिन मौजूदा सरकार के केंद्रीय मंत्रियों ने हिंसा या लिंचिंग को ही खारिज कर दिया। इसी से आहत होकर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह समुदाय विशेष के प्रति हिंसा को बढ़ावा दे रही है।

गिरिराज ने कहा, अवॉर्ड वापसी गैंग की वापसी

देश की 49 प्रमुख हस्तियों ने यह पत्र लिखा था। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्मकार, लेखक और अभिनता शामिल थे। लेकिन नामी हस्तियों की चिंता पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना था कि मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए ‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ की दोबारा वापसी हो गई है। इसी तरह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इसे अस्वीकार करते हुए कहा था कि देश में दलित और अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित है और ‘लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबरने’ के लिए आपराधिक घटनाओं को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

आहत येचुरी ने किया ट्वीट

मंत्रियों द्वारा पत्र और पत्र में शामिल चिंता को खारिज किए जाने के बाद माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ट्वीट किया, “आज की वास्तविकता का सच दिखाए जाने पर सरकार हर बात को नकारती है। ऐसा इसलिए हैं कि सत्ताधारी दल खुद ही इस तरह की चीजों को संरक्षण देता है। भाजपा एक समुदाय विशेष के प्रति हिंसा को बढ़ावा दे रही है।”

जय श्रीराम नारे का दुरपयोग

पत्र में फिल्ममेकर्स, लेखक और अभिनेताओं न कहा था कि मुस्लिमों, दलितों और दूसरे अल्प समुदायों के प्रति लिंचिंग तत्काल प्रभाव से बंद होनी चाहिए क्योंकि ‘असंतोष के बिना लोकतंत्र संभव नहीं है।’

प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वालों में फिल्म निर्माताओं श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, मणि रत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, अपर्णा सेन, केतन मेहता, गायिका शुभा मुद्गल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी और कोंकणा सेन शर्मा, इतिहासकार सुमित सरकार, तानिका सरकार शामिल थे। इन लोगों के अलावा इस पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में रामचंद्र गुहा, लेखक अमित चौधरी और अन्य भी शामिल थे। शख्सियतों का यह भी कहना था कि "जय श्रीराम" का नारा "उकसाने वाला" बन गया है जिसके कारण कानून और व्यवस्था बिगड़ती है।

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