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भाजपा के इस बड़े नेता ने ईवीएम पर लिखी थी किताब, बताया कि क्यों हो सकती है इससे छेड़छाड़

लोकसभा चुनाव के नतीजों से ठीक पहले ‘ईवीएम’ की चर्चा जोरो पर है। विपक्षी दलों की ओर से इस पर लगातार...
भाजपा के इस बड़े नेता ने ईवीएम पर लिखी थी किताब, बताया कि क्यों हो सकती है इससे छेड़छाड़

लोकसभा चुनाव के नतीजों से ठीक पहले ‘ईवीएम’ की चर्चा जोरो पर है। विपक्षी दलों की ओर से इस पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं जबकि सत्तारूढ़ भाजपा इसकी पुरजोर समर्थन करती दिख रही है। लेकिन एक वक्त था जब खुद भाजपा के कई दिग्गज नेता ईवीएम के विरोध में मजबूती से खड़े थे। यहां तक कि पार्टी के मौजूदा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने तो  ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर पूरी एक किताब लिख डाली। उस दौरान लालकृष्ण आडवाणी, सुब्रमण्यम स्वामी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने विशेषज्ञों की सहायता से ईवीएम मशीन के साथ होने वाले छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को लेकर पूरे देश में सघन अभियान चलाया था। यानी भाजपा ईवीएम का विरोध करने वाली सबसे पहली राजनीतिक पार्टी थी।

दरअसल, साल 2009 में भाजपा ने चुनावी हार का सामना किया था, तब पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे। तब 2010 में जीवीएल नरसिम्हा राव ने ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क: कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ नामक एक किताब भी लिखी थी। मजेदार बात यह है कि इस किताब की प्रस्तावना लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखी थी। इस पुस्तक पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्राबाबू नायडू का भी संदेश छपा हुआ है।

क्या है इस किताब में?

इस पुस्तक के कवर पर ही लिखा है – चुनाव आयोग द्वारा भारत के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम की अक्षतता को आश्वस्त करने में नाकामी का चौंकाने वाला खुलासा।

भाजपा नेता राव ने इस किताब की शुरुआत में लिखा है कि  मशीनों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है, भारत में उपयोग होने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) इसका अपवाद नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक प्रत्याशी को दिया वोट दूसरे प्रत्याशी को मिल गया है या फिर प्रत्याशियों को वो मत भी मिले हैं जो कभी डाले ही नहीं गए।

इस किताब के जरिए ईवीएम प्रणाली के विशेषज्ञ और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड डिल ने बताया है कि ईवीएम का उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित तो बिल्कुल भी नहीं है।

जीवीएल नरसिम्हाराव ने इस पुस्तक में 2010 के ही उस मामले की भी चर्चा की है जिसमें हैदराबाद के तकनीकी विशेषज्ञ हरि प्रसाद ने मिशिगन यूनिवर्सिटी के दो शोधार्थियों के साथ मिलकर ईवीएम को हैक करने का दावा किया था।

अब क्यों ईवीएम का समर्थन

विपक्षी दल अब भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि जिन लोगों ने सबसे ज्यादा विरोध किया है वो आज चुप हैं। अपनी सुविधा के हिसाब से भाजपा ने इसका विरोध किया और अब दूसरों के विरोध को खारिज कर रहे हैं।

बता दें भाजपा नेताओं ने जब चुनाव आयोग को ईवीएम पर अपनी शिकायत दी थी। तब आयोग ने इस समस्या का निपटारा कर दिया था। पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला आउटलुक को दिए इंटरव्यू में बताते हैं, “मेरे समय में लालकृष्ण आडवाणी और सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पत्र लिखकर इस मामले को उठाया था। उन लोगों ने कहा कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। उनको भरोसा दिलाने के लिए मैंने कहा कि आप अपनी टीम के साथ आइए और उसे हैक करके दिखाइए। मैंने 100 मशीनें मंगवाई हैं और एक तरह से पोलिंग स्टेशन तैयार कर दिया है। वे ईवीएम को हैक नहीं कर पाए। फिर कुछ लोगों ने कहा कि ईवीएम को घर ले जाने की इजाजत दें। मैंने कहा कि ऐसा मैं नहीं कर सकता, क्योंकि आप घर ले जाकर रिवर्स इंजीनियरिंग कर सकते हैं। एक हफ्ते तक बातचीत चलती रही, उसके बाद स्वामी ने कहा कि हम संतुष्ट हैं, लेकिन पेपरट्रेल की व्यवस्था करिए। उसी के बाद से मैंने वीवीपैट की शुरुआत की। वीवीपैट अच्छी तरह से काम कर रहा है।”

 

 

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