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ये हैं असली 'पैडमैन', जिनका किरदार अक्षय कुमार निभा रहे हैं

अक्षय कुमार ने अपनी आने वाली फिल्म पैडमैन का पोस्टर शेयर किया है। फिल्म 2018 में गणतंत्र दिवस के मौके पर...
ये हैं असली 'पैडमैन', जिनका किरदार अक्षय कुमार निभा रहे हैं

अक्षय कुमार ने अपनी आने वाली फिल्म पैडमैन का पोस्टर शेयर किया है। फिल्म 2018 में गणतंत्र दिवस के मौके पर यानी 26 जनवरी को रिलीज होगी।


‘पैडमैन' अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना ने गौरी शिंदे के साथ मिलकर प्रोड्यूस की है। बताया जा रहा है कि यह एक बायॉपिक फिल्म है जो रियल लाइफ हीरो अरुणाचलम मुरुगनाथम पर आधारित है। उन्होंने महिलाओं के लिए पैड मेकिंग मशीन बनाई ताकि उन्हें सस्ते दाम पर सैनिटरी नैपकिन मिल सके।

फिल्म में अक्षय के अलावा सोनम कपूर और राधिका आप्टे मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म में अमिताभ बच्चन का भी कैमियो रोल है। डायरेक्टर आर बाल्की की यह फिल्म अपने पहले पोस्टर से ही काफी आशाजनक लग रहा है। पोस्टर में अक्षय एक साइकल पर नजर आ रहे हैं।

यह फिल्म माहवारी और महिलाओं के स्वास्थ्य पर फोकस करती है।

कौन हैं अरुणाचलम मुरुगनाथम?

अरुणाचलम तमिलनाडु के कोयंबटूर के निवासी हैं। उन्होंने सैनेटरी नैपकिन बनाने के लिए दुनिया की सबसे सस्ती मशीन बनाई है।

वो स्कूल ड्रॉप आउट है और उन्होंने पीरियड्स जैसी टैबू को चैलेंज करने की ठानी। उनका मिशन देश भर की गरीब महिलाओं (खासकर गांव की महिलाओं) को सस्ते दाम पर सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराना था।

उनके पिता हैंडलूम वर्कर थे। उन्हें मशीन और पैंड्स की रुई के बारे में अच्छे से पता था।

उन्हें 1998 में अपनी पत्नी शांति से पता चला कि पीरियड्स के समय महिलाओं को किन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

उन्होंने पाया कि उनके गांव के आस-पास के एरिया में सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल बहुत कम होता है। 10 में से सिर्फ 1 महिला ही इसका प्रयोग करती है।

उन्होंने जल्द ही रुई से सेनेटरी पैड बनाया और अपनी पत्नी से इसे यूज करने के लिए कहा, लेकिन वो फीडबैक पाने के लिए एक महीना इंतजार नहीं कर पाए। इसके पास वो अपनी बहन के पास गए, लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल करने से मना कर दिया।

इसके बाद वह लोकल मेडिकल कॉलेज के छात्रों के पास गए, लेकिन वहां भी किसी ने इस्तेमाल नहीं किया। इसके बाद अरुणाचलम ने इसे खुद ट्राई करने का फैसला लिया।

इसके बाद उन्होंने एक 'गर्भाशय' बनाया, जिसमें उन्होंने बकरी का खून भर लिया। उन्होंने उसमें कुछ मिलाया, जिससे खून ना जमे। वह सैनेटरी नैपकिन को अपने कपड़ों के अंदर पहन कर दिन भर घूमते थे। हालांकि इससे बदबू भी आती थी। वह देखना चाहते थे कि उनके द्वारा बनाए गए सैनेटरी नैपकिन्स कितना सोख पाने में सक्षम हैं।

उन्हें 2 साल 3 महीने यह पता लगाने में लग गए कि सेनेटरी पेड्स किन चीजों के बने होते हैं। इसके साढ़े चार साल बाद उन्होंने पैड्स बनाने के लिए सस्ती मशीन बनाया।

नेशनल इनोवेशन अवॉर्ड की 943 एन्ट्रीज में उनके मशीन को पहला स्थान मिला। अरणाचलम ने 18 महीनों में 250 मशीन बनाई। 2014 में उन्हें टाइम्स मैगजीन के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में चुना गया। 2016 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया।

आज वो जयश्री इंडस्ट्रीज नाम का नैपकिन बिजनेस चला रहे हैं। इसकी 2003 यूनिट्स पूरे भारत में हैं। 21000 से ज्यादा महिलाएं यहां काम करती हैं।

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