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नाबालिग का उत्‍पीड़न : आसाराम की नौवीं जमानत याचिका खारिज

अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस निर्मलजीत कौर की अदालत ने आसाराम की नौंवी जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
नाबालिग का उत्‍पीड़न : आसाराम की नौवीं जमानत याचिका खारिज

जोधपुर की जेल में बंद आसाराम जमानत की उम्मीद लगाए बैठे थे। याचिका खारिज होने के बाद आसाराम और उनके समर्थकों के चहरे मायूस हो गए। जमानत खारिज होने का मलाल उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। उनके वकील को भी उम्‍मीद थी कि जिस तरह पैरवी की है, उससे तो जमानत मिल ही जाएगी।

पूर्व में भी जिला एवं सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आसाराम की आठ जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी, मुकुल रोहतगी, सुब्रमण्यम स्वामी जैसे अधिवक्ता भी आसाराम को राहत नहीं दिलावा पाए थे।

कुछ दिन पहले आसाराम ने कोर्ट के बाहर बोला भी कि जब जब जमानत की उम्मीद होती है तब तब ऐसा कुछ घटित होता है कि मेरी जमानत खारिज हो जाती है। आसाराम की ओर से इस बार सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चन्द्र और उनके सहयोगी सेवा राम ने पैरवी की। वहीं पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द पुरोहित, पीसी सोलंकी और सरकार की ओर से शिव कुमार व्यास ने पैरवी की।

इससे पूर्व 18 जुलाई को अंत‍रिम जमानत आवेदन भी खारिज कर दिया गया था। आसाराम की ओर से अधिवक्ताओं ने आसाराम की उम्र, ट्रायल के लम्बे समय एवं बिमारियों के आधार पर जमानत की पैरवी की।

आसाराम की जमानत याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय से आए अधिवक्ता सेवाराम ने कहा कि हाईकोर्ट आसाराम को जमानत देना ही नहीं चाहता। वहीं राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आसाराम को जेल में ही मारना चाहती है।

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