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भंडारण सुविधा नहीं : 60 करोड़ की प्‍याज खरीदी, आधी सड़ गई बाद में और लगाए 7 करोड़

प्याज उत्पादक किसानों को राहत देने की कोशिश में मध्‍यप्रदेश सरकार को दोहरी मार पड़ी है। सरकार ने छह रु. किलो के हिसाब से 10.4 लाख क्विंटल प्याज खरीदी। उसे गोदाम तक पहुंचाने में करीब 7 करोड़ रु. खर्च हो गए। तय हुआ कि प्याज को खुले बाजार में बेचा जाएगा। कोशिश भी हुई लेकिन बिकी नहीं।
भंडारण सुविधा नहीं : 60 करोड़ की प्‍याज खरीदी, आधी सड़ गई बाद में और लगाए 7 करोड़

नतीजा यह हुआ कि गोदामों में रखे-रखे ही आधी प्याज सड़ गई। अब इस सड़ी प्याज को ठिकाने लगाने में राज्य सरकार के खजाने के करीब 7 करोड़ रुपए लग गए। किसानों से प्याज खरीदने, भंडारण और उसे बेचने का जिम्मा मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के पास था। अब अधिकारी बोलने से बच रहे हैं कि आखिर प्याज सड़ कैसे गई। 

गौरतलब है कि प्रदेश में इस साल प्याज का बंपर उत्पादन हुआ। मई में इसके दाम 50 पैसे किलो तक पहुंच गए। भंडारण की सुविधा नहीं होने के बावजूद सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए 60 करोड़ रु. खर्च कर 10 लाख क्विंटल से अधिक प्याज खरीदी। खुले बाजार में 4 रु. किलो के हिसाब से बेचने की कोशिश की लेकिन बिकी नहीं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली या पीडीएस के तहत एक रु. किलो में प्याज लेने को कोई तैयार नहीं था।

नतीजा यह हुआ कि गोदामों में रखे-रखे ही सात लाख क्विंटल प्याज सड़ गई। इसके पीछे कहा जा रहा है कि प्याज बेचने का निर्णय देरी से लिया गया। इसीलिए प्याज ख़राब हो गई। कुछ उचित मूल्य की दुकान के मालिकों का आरोप है कि मार्कफेड प्याज बेचने के बारे में कभी गंभीर नहीं था। यह भी बताया जा रहा है कि प्याज की खरीदी से लेकर उसे ठिकाने लगाने तक राज्य सरकार को 45 से 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

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