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संतान के सम्मान को ताक पर नहीं रखेगी मां : उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 60 साल के एक शख्स को दोषी ठहराये जाने और छह महीने की कैद की सजा के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि किसी मां से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह छेड़छाड़ के मामले में किसी को फंसाने के लिए अपनी संतान का सम्मान ताक पर रख देगी।
संतान के सम्मान को ताक पर नहीं रखेगी मां : उच्च न्यायालय

न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने कहा कि दोषी का अपने बचाव में दिया गया यह तर्क आधारहीन है कि लड़की की मां ने उससे खरीदी गयी चीजों के लिए पैसा देने से बचने के लिए उसे गलत तरह से फंसाया है। एेसा कोई सबूत नहीं पेश किया गया कि उससे कोई चीज खरीदी गयी।

अदालत ने कहा, करीब 60 साल के व्यक्ति के खिलाफ झूठा बयान देने के लिए बच्ची को गलत मकसद से कोई काम नहीं सौंपा गया था और उसके साथ महिला की पहले से कोई कटुता या बैर नहीं था। बचाव में यह तर्क कि बच्ची की मां ने कुछ खानपान की चीजें उधार खरीदी थीं और पैसा नहीं दे सकी और भुगतान से बचने के लिए उसे गलत तरह से फंसाया गया है, जो कि आधारहीन है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार रेहड़ी पर गजक और मूंगफली बेचने वाला आरोपी 10 जनवरी, 2008 को नाबालिग बच्ची को उस समय अपने घर ले गया था जब वह अपने घर जा रही थी। उसने लड़की को गलत तरह से बंधक बनाकर उसका यौन उत्पीड़न किया। मजिस्‍ट्रेट की अदालत ने उसे अपराध का दोषी ठहराया था और एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। सत्र अदालत ने भी फैसले पर मुहर लगाई लेकिन सजा घटाकर छह महीने की साधारण कैद कर दी।

उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराये जाने और सजा के फैसले पर मुहर लगा दी। दोषी शख्स ने सत्र न्यायाधीश के चार जून के फैसले की वैधता और औचित्य को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। भाषा एजेंसी 

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