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कैसे रुकें बच्चों की मौतें, जब बिहार सरकार ने ही कैंची चलाई थी बाल पोषण के बजट पर

मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौतों का दौर अभी तक रुका नहीं है। अभी तक इस बीमारी से 129 बच्चों...
कैसे रुकें बच्चों की मौतें, जब बिहार सरकार ने ही कैंची चलाई थी बाल पोषण के बजट पर

मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौतों का दौर अभी तक रुका नहीं है। अभी तक इस बीमारी से 129 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। गरीब परिवारों के बच्चों की मौतों की मुख्य वजह कुपोषण माना जा रहा है। बच्चों को कुपोषण से बचाने में सरकार पूरी तरह फेल रही है। बच्चों को पौष्टिक आहार मिले भी कैसे, जब सरकार ने ही बजट में भारी कटौती कर दी।

पोषण का बजट घटाकर आधा किया

बिहार सरकार के बजट पर नजर डालते हैं तो यह समझना मुश्किल नहीं होता है कि बच्चों के कुपोषण के लिए कौन जिम्मेदार है। एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आइसीडीएस) के तहत विशेष पोषण कार्यक्रम में बजट घटाकर आधा कर दिया गया। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में इस कार्यक्रम के लिए 1239 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित बजट था जिसे घटाकर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 758 करोड़ रुपये कर दिया गया। पिछले वित्त वर्ष का शुरुआती प्रस्ताव 708 करोड़ रुपये का था लेकिन इसका पुनरीक्षित बजट 1239 करोड़ रुपये किया गया। इससे जाहिर है कि बच्चों के पोषण के लिए इस कार्यक्रम में अधिक धन की आवश्यकता पड़ी। इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिए बजट घटाकर आधा कर दिया गया। वर्ष 2017-18 में इसका बजट 604 करोड़ रुपये था।

अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए पिछले साल बजट में कटौती

अनुसूचित जातियों के परिवार के बच्चों के लिए आइसीडीएस में बजट पर कैंची चलाने से कोई रहम नहीं की गई। जबकि यह सभी जानते हैं कि अनुसूचित जाति में गरीब ज्यादा हैं और उनके परिवारों में बच्चों को पोषक आहार की आवश्यकता और ज्यादा है। बजट दस्तावेज को देखने पर पता चलता है कि इन अनुसूचित जातियों के लिए पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में बजट प्रस्ताव 830 करोड़ रुपये किया गया था लेकिन घटाकर इसका पुनरीक्षित बजट आधे से भी कम कर दिया गया। इसका बजट घटकर 409 करोड़ रुपये रह गया। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष के दौरान इन जातियों के लिए आइसीडीएस का संचालन कैसे हुआ होगा। इसका बजट 2017-18 के 525 करोड़ रुपये से बढ़ाकर पिछले वित्त वर्ष में 830 करोड़ रुपये किया गया था। लेकिन बाद में इसे घटाकर आधे से कम कर दिया गया। हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिए इसका बजट पिछले साल के पुनरीक्षित बजट के मुकाबले दोगुने से ज्यादा यानी 896 करोड़ रुपये किया गया है लेकिन वास्तव में कितना बजट मिलेगा, यह अगले महीनों में ही पता चल पाएगा।

जनजातियों के बच्चों के लिए कम आवंटन

बजट कटौती की मार अनुसूचित जनजातियों के परिवारों के बच्चों को भी झेलनी पड़ी। इनका बजट 105 करोड़ रुपये से घटाकर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 75 करोड़ रुपये कर दिया गया। हालांकि वर्ष 2017-18 के 83 करोड़ रुपये बजट के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में बढ़ाकर 105 करोड़ रुपये किया गया था।

पोषण के लिए कुल बजट आवंटन  

अगर पोषण के लिए बिहार सरकार के कुल बजट की बात करें तो उसमें भी कटौती हुई है। इसका पिछले वित्त वर्ष का कुल बजट 1754 करोड़ रुपये था जो चालू वित्त वर्ष में घटकर 1729 करोड़ रुपये रह गया। पिछले साल पोषण का शुरूआती बजट 1644 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2017-18 के 1203 करोड़ रुपये से ज्यादा था।

कैसे घटा पोषण का बजट (आंकड़े करोड़ रुपये में)

वित्त वर्ष   सामान्य बच्चे     अनुसूचित जाति   जनजाति    कुल

2017-18   604             525             83        1203

2018-19   1239            409             105       1754

2019-20   758             896             75        1729

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