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जेएनयू में मारपीट का आंखो-देखा हाल, जानिए रात को क्या था मंजर

आज सुबह स्टूडेंट फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मुझे शाम को जेएनयू से फोन आता है कि यहां पर...
जेएनयू में मारपीट का आंखो-देखा हाल, जानिए रात को क्या था मंजर

आज सुबह स्टूडेंट फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मुझे शाम को जेएनयू से फोन आता है कि यहां पर मारपीट हो रही है। ऐसे में रिपोर्टर होने के नाते मैं मुनिरका स्थित अपने घर से मौके पर पहुंचा। लेकिन वहां करीब साढ़े आठ बजे पहुंचने पर जो मैंने मंजर देखा, वह बहुत भयानक था।  जेएनयू गेट  के बाहर की सभी स्ट्रीट लाइटें बंद कर दी गई थी। गेट पर ही नारे लग रहे थे कि देशद्रोही यहां से जाओ, भारत माता की जय, वंदेमातरम...। उनमें से कईयों के चेहरे मास्क लगा हुए था और कई लोगों के हाथों में लकड़ियां, रॉड आदि थे।  जिनके जरिए तोड़-फोड़ और छात्रों पर हमला किया जा रहा था। यहां तक मेरे फोन को भी छीन लिया गया। जब मैंने उनसे बताया कि मैं मीडिया से हूं, तो फिर बड़े जोर से मेरे मुंह पर आकर नारे लगाए लगाए जाने लगे। मुझसे मेरी आईडी मांगी गई और फोन देते हुए कहा गया मोबाइल से फोटो डिलीट करो।

गेट पर 400-500 लोग इकट्ठा थे

उस वक्त गेट के बाहर 400-500 लोग इकट्ठा हो गए थे। अंदर काफी शोर-शराबा था। कई छात्रों को काफी चोंटे आई थी। छात्रों को समर्थन देने के लिए योगेंद्र यादव भी पहुंचे लेकिन उनके साथ भी धक्का-मुक्की हुई। पुलिस उपद्रवियों को रोकने की कोशिश जरूर कर थी लेकिन वह केवल शब्दों तक ही सीमित था। मेरे सामने एक लड़की को उपद्रिवयों ने पास में स्थित मुनिरका कालोनी तक दौड़ा लिया गया। एक लड़के को सड़क पर घेर कर पीटा गया। हालात ऐसे थे कि जैसे कानून-व्यवस्था जैसी कोई चीज नहीं है। हमलावरों को किसी बात का जैसे डर ही नहीं था। हर बार वह यही नारे लगा रहे थे देशद्रोही बाहर जाओ.. । यहां तक घायल छात्रों को जो एंबुलेस लेकर एम्स जा रही थी, उसे भी रोका गया। बहुत मुश्किल से पुलिस उसे बाहर निकाल पाई।

मुनिरका तक डर का साया

उपद्रवियों ने जिस तरह से जेएनयू और वहां के करीब स्थित मुनरिका तक आतंक मचाया उसे रात 10 बजे भी महसूस किया जा सकता है। मुनरिका में बहुत छात्र-छात्राएं रहते हैं, उनसे जब हमने बात करने की कोशिश की तो वह इतना डरे -सहमे हुए थे कि वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। वह रोते हुए कह रहे थे हमारे समाने दोस्तो को बहुत बेरहमी से पीटा गया लेकिन हम कुछ कर नहीं सके। अब तो यहां भी रहने से डर लग रहा है।

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