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अनुसूचित जाति और जनजातियों की सहायता के लिए नहीं दिया केंद्र सरकार ने पैसा

केंद्र सरकार के सात मंत्रालयों और विभागों ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित...
अनुसूचित जाति और जनजातियों की सहायता के लिए नहीं दिया केंद्र सरकार ने पैसा

केंद्र सरकार के सात मंत्रालयों और विभागों ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों (एससी-एसटी) की कल्याणकारी योजनाओं के लिए कोई फंड आवंटित नहीं किया। अधिकारियों के अनुसार 12 मंत्रालयों और विभागों ने नीति आयोग की सिफारिश से बहुत कम फंड आवंटित किए।

नीति आयोग की गाइडलाइन का पालन करना है मंत्रालयों को

नीति आयोग ने 2017 में एससी और एसटी की विकास कार्य योजना के लिए नई गाइडलाइन तैयार की थी। केंद्र सरकार के 41 मंत्रालयों और विभागों को इनका पालन करना था। लेकिन एक अधिकारी ने कहा कि यह गाइडलाइन इस साल जनवरी में ही तैयार हो पाई। इस वजह से चालू वित्त वर्ष में इनका पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित संभव नहीं है।

गाइडलाइन तैयार होने में देरी मुख्य वजह

अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय और विभाग तमाम स्कीमों के लिए फंड आवंटन के बारे में फैसला नवंबर-दिसंबर के दौरान करते हैं जो अगले वित्त वर्ष में लागू किया जाता है। जबकि नई गाइडलाइन इस साल जनवरी में ही तैयार हो पाई। ऐसे में बजट आवंटन में कोई बदलाव अगले वित्त वर्ष में ही संभव हो पाएगा।

इतना पैसा आवंटित करना है मंत्रालयों को

नीति आयोग की गाइडलाइन के अनुसार 41 चिन्हित मंत्रालयों और विभागों को जनजातियों की स्कीमों के लिए कम से कम 4.3 फीसद और अनुसूचित जातियों के लिए 8.3 फीसदी फंड आवंटित किए जाने चाहिए। इस साल जनवरी में आर्थिक मामलों के विभाग ने जनजातीय मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पत्र लिखा था। इसमें बताया गया था कि सात मंत्रालयों और विभागों ने एसटी और एससी स्कीमों के लिए फंड आवंटित ही नहीं किया जबकि 12 अन्य विभागों और मंत्रालयों ने नीति आयोग के दिशानिर्देश में तय राशि से कम फंड आवंटित कि। आर्थिक मामलों के विभाग ने इन सभी 19 मंत्रालयों और विभागों को दिशानिर्देश लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था।

धन की कमी से मदद नहीं मिल पाएगी कमजोर वर्गों को

अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि जब मंत्रालयों और विभागों ने एससी और एसटी स्कीमों के लिए धन आवंटित ही नहीं किया या फिर कम पैसा आवंटित किया तो उनका संचालन किस हद तक प्रभावित हो रहा है। अंततः अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाली मदद और सुविधाओं में कटौती ही होगी। यह तथ्य अहम है कि समाज इन कमजोर वर्गों के अधिकांश लोग गरीब हैं ऐसे में उनके जीवन यापन पर इसका बुरा असर पड़ने लगा है।

  

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